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भारत जोड़ो यात्रा के बाद तेलंगाना में कांग्रेस की स्थिति मजबूत हुई: बीआरएस नेता

भारत राष्ट्र समिति के एक वरिष्ठ नेता केशव राव ने कांग्रेस पार्टी की तारीफ कर सबको चौंका दिया है. यह प्रशंसा ऐसे समय में की गयी है कि जब लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी गयी है.

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Published : Jan 8, 2023, 1:47 PM IST

Etv BharaBharat Jodo Yatra (File Photo)t
Etv Bharatभारत जोड़ो यात्रा (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: तेलंगाना की सियासत में भले ही भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) का कांग्रेस से छत्तीस का आंकड़ा है लेकिन प्रदेश की सत्तारूढ़ पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने भारत जोड़ो यात्रा पर निकले राहुल गांधी की सराहना की है. बीआरएस संसदीय दल के नेता व पार्टी के राज्यसभा सदस्य के. केशव राव का मानना है कि इस यात्रा के तेलंगाना से गुजरने के बाद राज्य में कांग्रेस की स्थिति कुछ मजबूत हुई है.

उन्होंने यह भी कहा कि दक्षिण के इस राज्य में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कितना भी कुछ कर ले, उसकी दाल नहीं गलने वाली है. उल्लेखनीय है कि अगले साल होने वाले तेलंगाना विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा ने इस राज्य में आक्रामक प्रचार अभियान छेड़ रखा है. आंध्र प्रदेश (संयुक्त) की लगातार तीन सरकारों में कैबिनेट मंत्री रहे के.

केशव राव ने एजेंसी से बातचीत में कहा, 'यह सही है कि उसने (भाजपा) कुछ उपचुनावों में जीत हासिल की है लेकिन इसका अर्थ यह नहीं निकाला जाना चाहिए कि वह राज्य की सत्ता हासिल कर लेगी. दक्षिण के इस राज्य में उसका प्रवेश नहीं होगा.' उन्होंने कहा, 'राज्य में बीआरएस के लिए न तो भाजपा और न ही कांग्रेस कोई चुनौती है.'

भाजपा ने तेलंगाना की 119 सदस्यीय विधानसभा में जीत के लिए 90 सीट का लक्ष्य तय किया है और उसने अपनी रणनीति को अंजाम तक पहुंचाने के लिए मिशन-90 पर काम करना शुरू कर दिया है तथा इस कड़ी में कई कार्यक्रमों की रूपरेखा भी बनाई है. यह पूछे जाने पर कि क्या वह कांग्रेस के कमजोर होने का लाभ कुछ अन्य राज्यों की तरह तेलंगाना में भी भाजपा को मिलता देख रहे हैं, राव ने कहा, 'कांग्रेस हमारे लिए कोई चुनौती नहीं है लेकिन उनकी यात्रा (राहुल गांधी की अगुवाई में भारत जोड़ो यात्रा) के बाद वह कुछ मजबूत जरूर हुई है.'

गौरतलब है कि तेलंगाना में कांग्रेस की 'भारत जोड़ो यात्रा' 24 अक्टूबर को शुरू हुई थी और महाराष्ट्र में प्रवेश करने से पहले करीब 350 किलोमीटर की दूरी तय कर सात नवंबर को समाप्त हुई. हालांकि, इसके बाद कांग्रेस की तेलंगाना इकाई में कलह भी सामने आई. प्रदेश अध्यक्ष रेवंत रेड्डी के खिलाफ प्रदेश कांग्रेस नेताओं के एक वर्ग ने मोर्चा खोल दिया, जिसे सुलझाने के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह को हस्तक्षेप करना पड़ा था.

कांग्रेस की अंदरूनी खींचतान पर बीआरएस के एक धड़े का मानना है कि कांग्रेस का अत्यधिक कमजोर होना उसके लिए अच्छा संकेत नहीं है क्योंकि इसका फायदा भाजपा को मिल सकता है. बीआरएस के एक नेता ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा कि हूजुराबाद हो या मुनूगोड़े विधानसभा सीट का उपचुनाव, इनके नतीजों की समीक्षा करने से पता चलता है कि कांग्रेस के कमजोर होने से भाजपा मजबूत हुई है.

उन्होंने कहा, 'ऐसे में कांग्रेस अगर अत्यधिक कमजोर होगी तो यह हमारे लिए अच्छा संकेत नहीं है. हमारा शीर्ष नेतृत्व भी इसे समझता है और मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों के अनुरूप रणनीति तय करेगा.' तेलंगाना के प्रमुख राजनीतिक विश्लेषक और उस्मानिया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर के. नागेश्वर भी बीआरएस के इस नेता की बात से सहमत दिखे.

उन्होंने एजेंसी से बातचीत में कहा, 'चुनावों में क्या होगा, यह कहना अभी जल्दबाजी होगा लेकिन यह तय है कि कांग्रेस अगर मजबूती से चुनाव लड़ती है और अपने जनाधार को बचाए रखने में सफल होती है तो इससे बीआरएस को फायदा होगा. त्रिकोणीय मुकाबला होना बीआरएस के पक्ष में जाएगा.' नागेश्वर ने कहा, 'कांग्रेस कमजोर होगी तो सत्ता विरोधी मत भाजपा के पक्ष में लामबंद होगा और यदि सत्ता विरोधी मतों का बंटवारा कांग्रेस तथा भाजपा के बीच होता है तो बीआरएस की स्थिति मजबूत होगी.'

उन्होंने कहा कि हाल के उपचुनावों का विश्लेषण भी यही बताता है कि कांग्रेस की मजबूती बीआरएस के पक्ष में है. भाजपा पिछले कुछ साल से तेलंगाना में बीआरएस के एक विकल्प के रूप में उभरने का प्रयास कर रही है. इस प्रयास में उसे कुछ हद तक सफलता भी मिली है. पिछले दो वर्षों के दौरान उसने कुछ विधानसभा उपचुनावों और ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (जीएचएमसी) चुनाव में जीत हासिल की है. इन कारणों से दक्षिण के इस राज्य से उसकी उम्मीदें भी बढ़ गई हैं.

ये भी पढ़ें- संभाजी महाराज को स्वराजरक्षक कहने में कुछ भी गलत नहीं: शरद पवार

वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में टीआरएस को 88 सीट पर विजय मिली थी जबकि भाजपा को सिर्फ एक ही सीट पर जीत मिली थी. कांग्रेस 34.54 प्रतिशत मतों के साथ 19 सीट जीतने में सफल रही थी. टीआरएस ने इस चुनाव में 47.9 प्रतिमत मत हासिल किए थे. तेलंगाना में अगले साल के अंत में विधानसभा चुनाव होना है. दक्षिण के इस राज्य में बीआरएस (पूर्ववर्ती तेलंगाना राष्ट्र समिति) 2004 से लगातार सत्ता में है. आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी की रणनीति के सवाल पर के. केशव राव ने कहा कि उनकी पार्टी मीडिया से चर्चा कर अपनी रणनीति का खुलासा नहीं कर सकती. उन्होंने कहा, 'हमारी रणनीति, हमारी होगी.'

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: तेलंगाना की सियासत में भले ही भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) का कांग्रेस से छत्तीस का आंकड़ा है लेकिन प्रदेश की सत्तारूढ़ पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने भारत जोड़ो यात्रा पर निकले राहुल गांधी की सराहना की है. बीआरएस संसदीय दल के नेता व पार्टी के राज्यसभा सदस्य के. केशव राव का मानना है कि इस यात्रा के तेलंगाना से गुजरने के बाद राज्य में कांग्रेस की स्थिति कुछ मजबूत हुई है.

उन्होंने यह भी कहा कि दक्षिण के इस राज्य में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कितना भी कुछ कर ले, उसकी दाल नहीं गलने वाली है. उल्लेखनीय है कि अगले साल होने वाले तेलंगाना विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा ने इस राज्य में आक्रामक प्रचार अभियान छेड़ रखा है. आंध्र प्रदेश (संयुक्त) की लगातार तीन सरकारों में कैबिनेट मंत्री रहे के.

केशव राव ने एजेंसी से बातचीत में कहा, 'यह सही है कि उसने (भाजपा) कुछ उपचुनावों में जीत हासिल की है लेकिन इसका अर्थ यह नहीं निकाला जाना चाहिए कि वह राज्य की सत्ता हासिल कर लेगी. दक्षिण के इस राज्य में उसका प्रवेश नहीं होगा.' उन्होंने कहा, 'राज्य में बीआरएस के लिए न तो भाजपा और न ही कांग्रेस कोई चुनौती है.'

भाजपा ने तेलंगाना की 119 सदस्यीय विधानसभा में जीत के लिए 90 सीट का लक्ष्य तय किया है और उसने अपनी रणनीति को अंजाम तक पहुंचाने के लिए मिशन-90 पर काम करना शुरू कर दिया है तथा इस कड़ी में कई कार्यक्रमों की रूपरेखा भी बनाई है. यह पूछे जाने पर कि क्या वह कांग्रेस के कमजोर होने का लाभ कुछ अन्य राज्यों की तरह तेलंगाना में भी भाजपा को मिलता देख रहे हैं, राव ने कहा, 'कांग्रेस हमारे लिए कोई चुनौती नहीं है लेकिन उनकी यात्रा (राहुल गांधी की अगुवाई में भारत जोड़ो यात्रा) के बाद वह कुछ मजबूत जरूर हुई है.'

गौरतलब है कि तेलंगाना में कांग्रेस की 'भारत जोड़ो यात्रा' 24 अक्टूबर को शुरू हुई थी और महाराष्ट्र में प्रवेश करने से पहले करीब 350 किलोमीटर की दूरी तय कर सात नवंबर को समाप्त हुई. हालांकि, इसके बाद कांग्रेस की तेलंगाना इकाई में कलह भी सामने आई. प्रदेश अध्यक्ष रेवंत रेड्डी के खिलाफ प्रदेश कांग्रेस नेताओं के एक वर्ग ने मोर्चा खोल दिया, जिसे सुलझाने के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह को हस्तक्षेप करना पड़ा था.

कांग्रेस की अंदरूनी खींचतान पर बीआरएस के एक धड़े का मानना है कि कांग्रेस का अत्यधिक कमजोर होना उसके लिए अच्छा संकेत नहीं है क्योंकि इसका फायदा भाजपा को मिल सकता है. बीआरएस के एक नेता ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा कि हूजुराबाद हो या मुनूगोड़े विधानसभा सीट का उपचुनाव, इनके नतीजों की समीक्षा करने से पता चलता है कि कांग्रेस के कमजोर होने से भाजपा मजबूत हुई है.

उन्होंने कहा, 'ऐसे में कांग्रेस अगर अत्यधिक कमजोर होगी तो यह हमारे लिए अच्छा संकेत नहीं है. हमारा शीर्ष नेतृत्व भी इसे समझता है और मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों के अनुरूप रणनीति तय करेगा.' तेलंगाना के प्रमुख राजनीतिक विश्लेषक और उस्मानिया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर के. नागेश्वर भी बीआरएस के इस नेता की बात से सहमत दिखे.

उन्होंने एजेंसी से बातचीत में कहा, 'चुनावों में क्या होगा, यह कहना अभी जल्दबाजी होगा लेकिन यह तय है कि कांग्रेस अगर मजबूती से चुनाव लड़ती है और अपने जनाधार को बचाए रखने में सफल होती है तो इससे बीआरएस को फायदा होगा. त्रिकोणीय मुकाबला होना बीआरएस के पक्ष में जाएगा.' नागेश्वर ने कहा, 'कांग्रेस कमजोर होगी तो सत्ता विरोधी मत भाजपा के पक्ष में लामबंद होगा और यदि सत्ता विरोधी मतों का बंटवारा कांग्रेस तथा भाजपा के बीच होता है तो बीआरएस की स्थिति मजबूत होगी.'

उन्होंने कहा कि हाल के उपचुनावों का विश्लेषण भी यही बताता है कि कांग्रेस की मजबूती बीआरएस के पक्ष में है. भाजपा पिछले कुछ साल से तेलंगाना में बीआरएस के एक विकल्प के रूप में उभरने का प्रयास कर रही है. इस प्रयास में उसे कुछ हद तक सफलता भी मिली है. पिछले दो वर्षों के दौरान उसने कुछ विधानसभा उपचुनावों और ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (जीएचएमसी) चुनाव में जीत हासिल की है. इन कारणों से दक्षिण के इस राज्य से उसकी उम्मीदें भी बढ़ गई हैं.

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वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में टीआरएस को 88 सीट पर विजय मिली थी जबकि भाजपा को सिर्फ एक ही सीट पर जीत मिली थी. कांग्रेस 34.54 प्रतिशत मतों के साथ 19 सीट जीतने में सफल रही थी. टीआरएस ने इस चुनाव में 47.9 प्रतिमत मत हासिल किए थे. तेलंगाना में अगले साल के अंत में विधानसभा चुनाव होना है. दक्षिण के इस राज्य में बीआरएस (पूर्ववर्ती तेलंगाना राष्ट्र समिति) 2004 से लगातार सत्ता में है. आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी की रणनीति के सवाल पर के. केशव राव ने कहा कि उनकी पार्टी मीडिया से चर्चा कर अपनी रणनीति का खुलासा नहीं कर सकती. उन्होंने कहा, 'हमारी रणनीति, हमारी होगी.'

(पीटीआई-भाषा)

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