कोलकाता : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिवंगत सोमेन मित्रा के बेटे रोहन मित्रा ने पार्टी की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी के साथ मतभेदों के चलते बुधवार को पार्टी की राज्य इकाई के महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया.
चौधरी को लिखे पत्र में मित्रा ने कहा कि वह उनके नेतृत्व में काम करने के इच्छुक नहीं हैं, इसलिए इस्तीफा दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि शुरुआत से मेरे प्रति आपका दृष्टिकोण निराश करने वाला रहा है. आपके करीबी गुट द्वारा मेरे पिता और अन्य नेताओं के खिलाफ पूर्व में इस्तेमाल की गई भाषा बंगाल में पार्टी इकाई को नुकसान पहुंचाने वाली रही है.
उन्होंने कहा कि दो मई के नतीजों के बाद भी, मुझे उम्मीद थी कि आप आवश्यक कदम उठाएंगे और सुधार करेंगे जो राज्य के लोगों को संदेश देगा कि बंगाल कांग्रेस विपक्ष में जगह पाने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से लड़ेगी. अफसोस, ऐसा भी नहीं हुआ.
इस इस्तीफे ने एक बार फिर गुटों में बंटी प्रदेश कांग्रेस के भीतरी कलह को उजागर किया है, जो वाम मोर्चे और आईएसएफ के साथ हाथ मिलाने के बाद विधानसभा चुनावों में एक भी सीट नहीं जीत पाई. मित्रा ने कहा कि पार्टी का राज्य में जबर्दस्त पतन हुआ है और इसके फिर से उठ खड़े होने के कोई संकेत नहीं हैं. उन्होंने पत्र में लिखा कि आपके लहज़े में बदलाव और टीएमसी सरकार और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री के प्रति भाव इस बात का प्रमाण हैं.
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चौधरी से तत्काल इस विषय पर कोई टिप्पणी नहीं मिल पाई है. रोहन की मां शिखा मित्रा का नाम भाजपा ने राज्य चुनावों के लिए चौरंगी सीट से घोषित किया था, जब भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने उनसे मुलाकात की थी. उस वक्त उन्होंने कहा था कि नाम की घोषणा से पहले उनसे विचार-विमर्श नहीं किया गया और वह कांग्रेस नहीं छोड़ेंगी, जिससे मजबूरन भाजपा को अपना प्रत्याशी बदलना पड़ा था.
(पीटीआई-भाषा)