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अध्यक्ष चुनाव के बाद राजस्थान CM पर फैसला लेगी कांग्रेस, गहलोत फिलहाल सुरक्षित - एआईसीसी प्रभारी अजय माकन

कांग्रेस में राजस्थान सीएम को लेकर बीते दिनों हुए घटनाक्रम के बाद अशोक गहलोत की कुर्सी बरकरार है (rajasthan cm ashok gehlot). गहलोत ने भले ही सोनिया गांधी से मुलाकात कर माफी मांग ली है, लेकिन अध्यक्ष पद के चुनाव (presidential polls) के बाद बड़ा फैसला हो सकता है. ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता अमित अग्रिहोत्री की रिपोर्ट.

Ashok Gehlot
सोनिया गहलोत
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Published : Oct 2, 2022, 3:19 PM IST

Updated : Oct 2, 2022, 3:45 PM IST

नई दिल्ली : कांग्रेस आलाकमान (Congress high command) राजस्थान में सीएम मुद्दे पर फैसला अध्यक्ष चुनाव के बाद लेगा. सूत्रों ने रविवार को कहा कि यह संकेत है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) अभी सुरक्षित हैं.

एआईसीसी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, 'राजस्थान का मुख्यमंत्री कौन होगा, इस पर फैसला अध्यक्ष चुनाव के बाद होगा.' यह पूछे जाने पर कि क्या गहलोत के कट्टर प्रतिद्वंद्वी सचिन पायलट इस बार भाग्यशाली साबित होंगे. उन्होंने कहा, 'अशोक गहलोत फिलहाल सुरक्षित दिख रहे हैं लेकिन मैं यह नहीं कह सकता कि अगले कुछ हफ्तों में क्या होगा.'

गहलोत-पायलट गुट की लड़ाई (Gehlot Pilot factional fight) हाल ही में तब बाहर आई थी जब कांग्रेस आलाकमान ने गहलोत को अगले कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में पदोन्नत करके और पायलट को मुख्यमंत्री के रूप में स्थापित करके जयपुर में सत्ता का एक सुचारु परिवर्तन सुनिश्चित करने का प्रयास किया था.

राजस्थान में 2023 में चुनाव होने हैं. ऐसे में पार्टी की कोशिश है कि राज्य में कांग्रेस को सत्ता में बरकरार रख फिर वापस लाया जाए. हालांकि, इसे गहलोत का राजस्थान प्रेम कहें कि मौजूदा अध्यक्ष सोनिया गांधी का सीएम को लेकर प्रस्ताव पारित नहीं हो सका. गहलोत के वफादार 90 से अधिक विधायकों ने सीएम पद से उन्हें हटाने के एआईसीसी के दृष्टिकोण के खिलाफ विद्रोह किया. उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि विधायक पायलट को राज्य का शीर्ष पद मिलने का विरोध कर रहे थे. इसके बजाय वे चाहते थे कि उनके गुट का कोई नेता नया मुख्यमंत्री बने.

उस विद्रोह ने सोनिया गांधी को नाराज कर दिया था. गहलोत को अगले कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में उनकी उम्मीदवारी के अलावा अटकलों को हवा दी गई कि मुख्यमंत्री के रूप में उनके दिन सीमित हो सकते हैं. पार्टी सूत्रों ने कहा कि तलवार अभी भी उनके सिर पर लटकी हुई है, लेकिन आलाकमान ने अध्यक्ष चुनाव के कारण अनावश्यक विवाद पैदा करने से बचने के लिए इस मुद्दे को कुछ समय के लिए टाल दिया है.

कांग्रेस का सोनिया गांधी समर्थित मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर के बीच एक हाई-प्रोफाइल अध्यक्ष पद चुनाव बीच में है, जिसे पूरे देश में देखा जा रहा है. मतदान 17 अक्टूबर को होगा और नतीजे 19 अक्टूबर को आएंगे. सीडब्ल्यूसी के एक सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, 'अभी के लिए राजस्थान में यथास्थिति को बिगाड़ना बेहतर नहीं है.'

सूत्रों के मुताबिक, कुछ हफ्तों के बाद पूरी प्रक्रिया को नए सिरे से चलाया जाएगा. एआईसीसी का एक नया पर्यवेक्षक फिर से जयपुर भेजा जाएगा जहां विधायक एक-पंक्ति का प्रस्ताव पारित कर नए पार्टी अध्यक्ष को यह तय करने के लिए अधिकृत करेंगे कि राजस्थान का मुख्यमंत्री कौन होगा. गहलोत को ज्यादा विधायकों का समर्थन प्राप्त है. उन्होंने पहले ही राजस्थान के एआईसीसी प्रभारी अजय माकन को राज्य में नेतृत्व परिवर्तन पर प्रतिक्रिया प्राप्त करने के लिए विधायकों के बीच एक सर्वे करने का सुझाव दिया है.

गहलोत के अध्यक्ष पद की दौड़ से हटने से पहले, उनके तीन करीबी शांति धारीवाल, महेश जोशी और धर्मेंद्र राठौर को 25 सितंबर को विधायकों के विद्रोह का नेतृत्व करने के लिए AICC द्वारा कारण बताओ नोटिस दिया गया था.

खड़गे, अध्यक्ष चुनाव के दावेदारों में से एक हैं, वह राज्य में सत्ता परिवर्तन की निगरानी के लिए सोनिया गांधी द्वारा प्रतिनियुक्त एआईसीसी पर्यवेक्षक थे. अगर वह 19 अक्टूबर को पार्टी अध्यक्ष चुने जाते हैं, तो खड़गे को इस मामले पर फिर से फैसला करना होगा.

पढ़ें- सीएम गहलोत बोले- मैंने माकन और मैडम से की थी सर्वे वाली बात

नई दिल्ली : कांग्रेस आलाकमान (Congress high command) राजस्थान में सीएम मुद्दे पर फैसला अध्यक्ष चुनाव के बाद लेगा. सूत्रों ने रविवार को कहा कि यह संकेत है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) अभी सुरक्षित हैं.

एआईसीसी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, 'राजस्थान का मुख्यमंत्री कौन होगा, इस पर फैसला अध्यक्ष चुनाव के बाद होगा.' यह पूछे जाने पर कि क्या गहलोत के कट्टर प्रतिद्वंद्वी सचिन पायलट इस बार भाग्यशाली साबित होंगे. उन्होंने कहा, 'अशोक गहलोत फिलहाल सुरक्षित दिख रहे हैं लेकिन मैं यह नहीं कह सकता कि अगले कुछ हफ्तों में क्या होगा.'

गहलोत-पायलट गुट की लड़ाई (Gehlot Pilot factional fight) हाल ही में तब बाहर आई थी जब कांग्रेस आलाकमान ने गहलोत को अगले कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में पदोन्नत करके और पायलट को मुख्यमंत्री के रूप में स्थापित करके जयपुर में सत्ता का एक सुचारु परिवर्तन सुनिश्चित करने का प्रयास किया था.

राजस्थान में 2023 में चुनाव होने हैं. ऐसे में पार्टी की कोशिश है कि राज्य में कांग्रेस को सत्ता में बरकरार रख फिर वापस लाया जाए. हालांकि, इसे गहलोत का राजस्थान प्रेम कहें कि मौजूदा अध्यक्ष सोनिया गांधी का सीएम को लेकर प्रस्ताव पारित नहीं हो सका. गहलोत के वफादार 90 से अधिक विधायकों ने सीएम पद से उन्हें हटाने के एआईसीसी के दृष्टिकोण के खिलाफ विद्रोह किया. उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि विधायक पायलट को राज्य का शीर्ष पद मिलने का विरोध कर रहे थे. इसके बजाय वे चाहते थे कि उनके गुट का कोई नेता नया मुख्यमंत्री बने.

उस विद्रोह ने सोनिया गांधी को नाराज कर दिया था. गहलोत को अगले कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में उनकी उम्मीदवारी के अलावा अटकलों को हवा दी गई कि मुख्यमंत्री के रूप में उनके दिन सीमित हो सकते हैं. पार्टी सूत्रों ने कहा कि तलवार अभी भी उनके सिर पर लटकी हुई है, लेकिन आलाकमान ने अध्यक्ष चुनाव के कारण अनावश्यक विवाद पैदा करने से बचने के लिए इस मुद्दे को कुछ समय के लिए टाल दिया है.

कांग्रेस का सोनिया गांधी समर्थित मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर के बीच एक हाई-प्रोफाइल अध्यक्ष पद चुनाव बीच में है, जिसे पूरे देश में देखा जा रहा है. मतदान 17 अक्टूबर को होगा और नतीजे 19 अक्टूबर को आएंगे. सीडब्ल्यूसी के एक सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, 'अभी के लिए राजस्थान में यथास्थिति को बिगाड़ना बेहतर नहीं है.'

सूत्रों के मुताबिक, कुछ हफ्तों के बाद पूरी प्रक्रिया को नए सिरे से चलाया जाएगा. एआईसीसी का एक नया पर्यवेक्षक फिर से जयपुर भेजा जाएगा जहां विधायक एक-पंक्ति का प्रस्ताव पारित कर नए पार्टी अध्यक्ष को यह तय करने के लिए अधिकृत करेंगे कि राजस्थान का मुख्यमंत्री कौन होगा. गहलोत को ज्यादा विधायकों का समर्थन प्राप्त है. उन्होंने पहले ही राजस्थान के एआईसीसी प्रभारी अजय माकन को राज्य में नेतृत्व परिवर्तन पर प्रतिक्रिया प्राप्त करने के लिए विधायकों के बीच एक सर्वे करने का सुझाव दिया है.

गहलोत के अध्यक्ष पद की दौड़ से हटने से पहले, उनके तीन करीबी शांति धारीवाल, महेश जोशी और धर्मेंद्र राठौर को 25 सितंबर को विधायकों के विद्रोह का नेतृत्व करने के लिए AICC द्वारा कारण बताओ नोटिस दिया गया था.

खड़गे, अध्यक्ष चुनाव के दावेदारों में से एक हैं, वह राज्य में सत्ता परिवर्तन की निगरानी के लिए सोनिया गांधी द्वारा प्रतिनियुक्त एआईसीसी पर्यवेक्षक थे. अगर वह 19 अक्टूबर को पार्टी अध्यक्ष चुने जाते हैं, तो खड़गे को इस मामले पर फिर से फैसला करना होगा.

पढ़ें- सीएम गहलोत बोले- मैंने माकन और मैडम से की थी सर्वे वाली बात

Last Updated : Oct 2, 2022, 3:45 PM IST
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