नई दिल्ली : कांग्रेस पार्टी ने बुधवार को केंद्र सरकार पर तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को पारित करने से पहले किसानों और विभिन्न हितधारकों के साथ परामर्श के संबंध में सुप्रीम कोर्ट में "गलत" हलफनामा दायर करने पर हमला बोला. इसके अलावा पार्टी ने पीएम मोदी और केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट से अवमानना नोटिस जारी करने की भी मांग की.
इस मामले पर मीडिया से बात करते हुए कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि आरटीआई से अब चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि मोदी सरकार ने गलत हलफनामा दायर करके सुप्रीम कोर्ट को गुमराह किया है. उन्होंने कहा कि क्या सुप्रीम कोर्ट अब नरेंद्र सिंह तोमर और नरेंद्र मोदी पर भी कार्रवाई करेगा? उन्होंने मांग की कि यह अब सुप्रीम कोर्ट के लिए लिटमस टेस्ट है क्योंकि यह साबित हो गया है कि मोदी सरकार ने सर्वोच्च अदालत की कार्यवाही पर धोखाधड़ी की है.
मोदी सरकार को जारी किया जाए नोटिस
उन्होंने हमला बोलते हुए कहा कि अगर ये परामर्श थे तो आरटीआई में कोई रिकॉर्ड क्यों नहीं है? रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि छुट्टी के दिन अदालत को संविधान पीठ गठित की जाए और अवमानना का नोटिस मोदी सरकार को जारी किया जाए. बता दें, सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष दायर एक हलफनामे में केंद्र ने दावा किया था कि केंद्र सरकार द्वारा अधिनियम का विरोध कर रहे किसानों की सीमित संख्या के साथ संलग्न करने के लिए गंभीर, ईमानदार और रचनात्मक प्रयास किए गए थे. कांग्रेस नेता ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित चार सदस्यीय समिति पर भी सवाल उठाए.
पीएम मोदी पर बोला हमला
कांग्रेस पार्टी क प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने यह दावा किया कि पूरे देश को सर्वोच्च न्यायालय से बहुत उम्मीदें थीं, लेकिन किसानों के साथ बातचीत के लिए बनाई गई समिति पहले से ही तीन कानूनों के पक्ष में है. ऐसे सदस्य किसानों को न्याय कैसे देंगे? क्या यह अहंकारी मोदीजी नहीं हैं?" उन्होंने कहा कि मोदीजी किसानों की बात सुनो, नहीं तो यह देश आपकी बात सुनना बंद कर देगा.
कांग्रेस लीडर जयराम रमेश ने भी दिया बयान
इस मामले पर पूर्व केंद्रीय मंत्री और पार्टी के सीनियर लीडर जयराम रमेश ने भी केंद्र सरकार पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान कृषि कानून पारित किए जाते हैं. संसदीय समिति को इन विधेयकों की जांच करने की अनुमति नहीं है. जयराम रमेश ने कहा कि कृषि कानून के विरोध के बाद राज्यसभा सांसदों को मतदान करने की अनुमति नहीं है. कृषि कानूनों का समर्थन करने वाले एक 'विशेषज्ञ' समूह को सर्वोच्च न्यायालय के माध्यम से नियुक्त किया जाता है ताकि उन्हें पवित्र किया जा सके. यह न्यू इंडिया है.
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सुरजेवाला ने कोर्ट में बहस करने के लिए केंद्र सरकार को भी फटकार लगाई कि "खालिस्तानियों" ने किसानों के विरोध प्रदर्शन में घुसपैठ की है. उन्होंने कहा कि पहले दिन से ही प्रदर्शनकारी किसानों को अपमानित करने के लिए लगातार प्रयास किए गए हैं. क्या इसका मतलब है कि हमारे देश के सभी 62 करोड़ किसान खालिस्तानी हैं? भाजपा के मंत्रियों ने किसानों को नक्सलवादी, देशद्रोही, अतिवादी और कहा है? उन्हें किसानों पर एक स्टैंड लेने की जरूरत है, लेकिन किसानों को अपमानित करने का उनका प्रयास इस बार सफल नहीं होगा.