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सोशल मीडिया पर लगाम : कांग्रेस ने पूछा- क्या हम तानाशाही शासन में रह रहे हैं? - उत्तर कोरियाई दृष्टिकोण करार दिया

डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए बुधवार को नए आईटी नियम 2021 लागू हो गए. कांग्रेस पार्टी ने इसे लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा. कांग्रेस ने पूछा- क्या हम तानाशाही शासन में रह रहे हैं?

अभिषेक मनु सिंघवी
अभिषेक मनु सिंघवी
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Published : May 26, 2021, 5:45 PM IST

नई दिल्ली : डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए नए आईटी नियम लागू करने को लेकर कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर तानाशाही का आरोप लगाया.

बुधवार को एक पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता और सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा जारी किए गए नए नियम 'भयानक भीषण और कठोर' हैं.

उन्होंने कहा कि 'नए नियम भारत में प्रवचन, विचार-विमर्श और असंतोष की जीवंत संस्कृति के लिए एक गंभीर झटका हैं. उनके जारी होने से पता चलता है कि भाजपा सरकार 'बिग डैडी' सिंड्रोम से पीड़ित है.'

सुनिए कांग्रेस नेता ने क्या कहा

नए आईटी नियम में क्या?

नए आईटी नियम (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम 2021 को फरवरी में जारी किया गया था, जिसमें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को तीन महीने का समय दिया गया था.

नए नियमों के तहत सोशल मीडिया कंपनियों को एक बड़े शिकायत निवारण तंत्र के रूप में एक शिकायत अधिकारी नियुक्त करना होगा. इसके साथ ही मंच पर सामग्री की सक्रिय निगरानी, ​​भारतीय उपयोगकर्ताओं के लिए मासिक अनुपालन रिपोर्ट, स्व-नियमन तंत्र और सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा बनाई गई एक निगरानी तंत्र भी होगा.

उत्तर कोरियाई दृष्टिकोण करार दिया

सिंघवी ने इसे उत्तर कोरियाई दृष्टिकोण करार देते हुए केंद्र सरकार पर निशाना साधा. सिंघवी ने कहा कि 'विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के हर स्तंभ और एजेंसी को अपने अधीनस्थ करने का ये मोदी सरकार का प्रयास है. मोदी सरकार ने जिस बेशर्मी से ऐसा किया है उस 'तानाशाही शासन' पर उत्तर कोरिया भी शरमा जाए.'

उन्होंने कहा कि 'क्या हम तानाशाही शासन में रह रहे हैं?'

उन्होंने दावा किया कि जब इन नियमों को प्रकाशित किया गया था, तो नियम 4 में अत्यधिक आपत्तिजनक दृष्टिकोण नजर आया था, जो सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को सूचना के पहले प्रवर्तक की पहचान करने के लिए बाध्य करता है. नियम 4 (2) ट्रेसबिलिटी की आवश्यकता का परिचय देता है.

उन्होंने खंड 3 (डी) का भी हवाला दिया, जिसके तहत सभी प्लेटफार्मों को किसी भी अदालत द्वारा आपत्तिजनक समझी जाने वाली सामग्री को हटाना होगा.

नियमों के दुरुपयोग की जताई आशंका

सिंघवी ने आरोप लगाया कि पिछले सात वर्षों से सत्ताधारी दल और सरकार ने व्यापक शब्दों की परिभाषा में 'राजद्रोह' के अपराधों को शामिल किया है. उन्होंने कहा कि 'मोदी सरकार की नई ओरवेलियन परिभाषा में पीएम या एचएम की सभी आलोचनाएं, कोविड 19 प्रबंधन की आलोचना, प्राधिकरण की कोई भी पूछताछ, सत्ता की सच्चाई दिखाने के सभी प्रयास इसमें शामिल हैं. हम सभी कल्पना कर सकते हैं कि सोशल मीडिया को आतंकित करने के लिए हर दिन इन नियमों का दुरुपयोग कैसे किया जाएगा.'

पढ़ें- लक्षद्वीप में मसौदा नियमन सांस्कृतिक धरोहर पर हमला, इन्हें वापस ले केंद्र: कांग्रेस

उन्होंने कहा कि नियम 7 के तहत नियमों का कोई भी उल्लंघन मूल अधिनियम द्वारा धारा 79 के तहत दी गई सुरक्षा को छीन लेगा जो मध्यस्थ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को सीधे दंड से छूट देता है. नतीजतन नियम 4 (2) के तहत किसी भी आवेदन को लागू किया जाएगा जो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को सीधे तीसरे पक्ष की सामग्री के लिए उत्तरदायी बनाते हैं, जिस पर उनका कोई नियंत्रण नहीं है.

'समस्या मोदीजी के न्यू इंडिया में है'

कांग्रेस नेता ने कहा कि 'समस्या मोदीजी के न्यू इंडिया में है, जहां हर असंतोष देशद्रोह है और हर असहमति एक अशांति है. ऐसी ऑरवेलियन दुनिया और इस तरह के तानाशाही माहौल के हाथों में कठोर और प्रतिकूल परिणामों की अनुमति देने वाले परिशिष्ट II नियम केवल आतंकित करने, गला घोंटने के लिए हैं.'

उन्होंने कहा कि 'सोशल मीडिया के क्षेत्र में स्वतंत्र विचार और अभिव्यक्ति का गला घोंटा जाएगा, जिसे भाजपा और मोदी सरकार अब अपने लिए खतरा मानती है.'

'एक स्वर में बोलना चाहिए बस बहुत हो गया'

सिंघवी ने भाजपा सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला करने का आरोप लगाते हुए उदाहरण के लिए कई घटनाओं का जिक्र किया.

उन्होंने कहा कि 'उत्तर प्रदेश में मरीजों की मदद करने वाले युवाओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई हुई, दिल्ली पुलिस ने पीएम मोदी की आलोचना करने वाले पोस्टर दिखाने पर 17 प्राथमिकी दर्ज की और 15 लोगों को गिरफ्तार किया. ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने वाले 50 से अधिक पत्रकारों को उनकी कोविड 19 रिपोर्ट के लिए गिरफ्तार किया गया. उन्होंने कहा, हम सभी को अपनी स्वतंत्रता और स्वायत्तता के ऐसे हमलों के खिलाफ एक स्वर में 'बस बहुत हो गया' बोलना चाहिए.'

नई दिल्ली : डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए नए आईटी नियम लागू करने को लेकर कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर तानाशाही का आरोप लगाया.

बुधवार को एक पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता और सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा जारी किए गए नए नियम 'भयानक भीषण और कठोर' हैं.

उन्होंने कहा कि 'नए नियम भारत में प्रवचन, विचार-विमर्श और असंतोष की जीवंत संस्कृति के लिए एक गंभीर झटका हैं. उनके जारी होने से पता चलता है कि भाजपा सरकार 'बिग डैडी' सिंड्रोम से पीड़ित है.'

सुनिए कांग्रेस नेता ने क्या कहा

नए आईटी नियम में क्या?

नए आईटी नियम (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम 2021 को फरवरी में जारी किया गया था, जिसमें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को तीन महीने का समय दिया गया था.

नए नियमों के तहत सोशल मीडिया कंपनियों को एक बड़े शिकायत निवारण तंत्र के रूप में एक शिकायत अधिकारी नियुक्त करना होगा. इसके साथ ही मंच पर सामग्री की सक्रिय निगरानी, ​​भारतीय उपयोगकर्ताओं के लिए मासिक अनुपालन रिपोर्ट, स्व-नियमन तंत्र और सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा बनाई गई एक निगरानी तंत्र भी होगा.

उत्तर कोरियाई दृष्टिकोण करार दिया

सिंघवी ने इसे उत्तर कोरियाई दृष्टिकोण करार देते हुए केंद्र सरकार पर निशाना साधा. सिंघवी ने कहा कि 'विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के हर स्तंभ और एजेंसी को अपने अधीनस्थ करने का ये मोदी सरकार का प्रयास है. मोदी सरकार ने जिस बेशर्मी से ऐसा किया है उस 'तानाशाही शासन' पर उत्तर कोरिया भी शरमा जाए.'

उन्होंने कहा कि 'क्या हम तानाशाही शासन में रह रहे हैं?'

उन्होंने दावा किया कि जब इन नियमों को प्रकाशित किया गया था, तो नियम 4 में अत्यधिक आपत्तिजनक दृष्टिकोण नजर आया था, जो सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को सूचना के पहले प्रवर्तक की पहचान करने के लिए बाध्य करता है. नियम 4 (2) ट्रेसबिलिटी की आवश्यकता का परिचय देता है.

उन्होंने खंड 3 (डी) का भी हवाला दिया, जिसके तहत सभी प्लेटफार्मों को किसी भी अदालत द्वारा आपत्तिजनक समझी जाने वाली सामग्री को हटाना होगा.

नियमों के दुरुपयोग की जताई आशंका

सिंघवी ने आरोप लगाया कि पिछले सात वर्षों से सत्ताधारी दल और सरकार ने व्यापक शब्दों की परिभाषा में 'राजद्रोह' के अपराधों को शामिल किया है. उन्होंने कहा कि 'मोदी सरकार की नई ओरवेलियन परिभाषा में पीएम या एचएम की सभी आलोचनाएं, कोविड 19 प्रबंधन की आलोचना, प्राधिकरण की कोई भी पूछताछ, सत्ता की सच्चाई दिखाने के सभी प्रयास इसमें शामिल हैं. हम सभी कल्पना कर सकते हैं कि सोशल मीडिया को आतंकित करने के लिए हर दिन इन नियमों का दुरुपयोग कैसे किया जाएगा.'

पढ़ें- लक्षद्वीप में मसौदा नियमन सांस्कृतिक धरोहर पर हमला, इन्हें वापस ले केंद्र: कांग्रेस

उन्होंने कहा कि नियम 7 के तहत नियमों का कोई भी उल्लंघन मूल अधिनियम द्वारा धारा 79 के तहत दी गई सुरक्षा को छीन लेगा जो मध्यस्थ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को सीधे दंड से छूट देता है. नतीजतन नियम 4 (2) के तहत किसी भी आवेदन को लागू किया जाएगा जो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को सीधे तीसरे पक्ष की सामग्री के लिए उत्तरदायी बनाते हैं, जिस पर उनका कोई नियंत्रण नहीं है.

'समस्या मोदीजी के न्यू इंडिया में है'

कांग्रेस नेता ने कहा कि 'समस्या मोदीजी के न्यू इंडिया में है, जहां हर असंतोष देशद्रोह है और हर असहमति एक अशांति है. ऐसी ऑरवेलियन दुनिया और इस तरह के तानाशाही माहौल के हाथों में कठोर और प्रतिकूल परिणामों की अनुमति देने वाले परिशिष्ट II नियम केवल आतंकित करने, गला घोंटने के लिए हैं.'

उन्होंने कहा कि 'सोशल मीडिया के क्षेत्र में स्वतंत्र विचार और अभिव्यक्ति का गला घोंटा जाएगा, जिसे भाजपा और मोदी सरकार अब अपने लिए खतरा मानती है.'

'एक स्वर में बोलना चाहिए बस बहुत हो गया'

सिंघवी ने भाजपा सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला करने का आरोप लगाते हुए उदाहरण के लिए कई घटनाओं का जिक्र किया.

उन्होंने कहा कि 'उत्तर प्रदेश में मरीजों की मदद करने वाले युवाओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई हुई, दिल्ली पुलिस ने पीएम मोदी की आलोचना करने वाले पोस्टर दिखाने पर 17 प्राथमिकी दर्ज की और 15 लोगों को गिरफ्तार किया. ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने वाले 50 से अधिक पत्रकारों को उनकी कोविड 19 रिपोर्ट के लिए गिरफ्तार किया गया. उन्होंने कहा, हम सभी को अपनी स्वतंत्रता और स्वायत्तता के ऐसे हमलों के खिलाफ एक स्वर में 'बस बहुत हो गया' बोलना चाहिए.'

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