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चुनाव आयोग ने भाजपा नेता को दी राहत, कांग्रेस ने बताया लोकतंत्र के लिए काला दिन

असम के मंत्री और भाजपा नेता हिमंत विश्व सरमा के चुनाव प्रचार करने पर लगे प्रतिबंध की अवधि को 48 घंटे से घटाकर 24 घंटे किए जाने के निर्वाचन आयोग के फैसले की कांग्रेस निंदा की ही और इसे संसदीय लोकतंत्र के लिए काला दिन करार दिया है. कांग्रेस ने कहा है कि इस मामले पर चुनाव आयोग को जवाब देना पड़ेगा.

चुनाव आयोग
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Published : Apr 4, 2021, 12:55 AM IST

नई दिल्ली : कांग्रेस ने असम के मंत्री और भाजपा नेता हिमंत विश्व सरमा के चुनाव प्रचार करने पर लगे प्रतिबंध की अवधि को 48 घंटे से घटाकर 24 घंटे किए जाने को संसदीय लोकतंत्र के लिए काला दिन करार दिया है. कांग्रेस पार्टी ने शनिवार को दावा किया कि चुनाव आयोग ने यह फैसला मोदी सरकार के दबाव में किया है, जिसके लिए इतिहास उसे कभी माफ नहीं करेगा. कांग्रेस ने यह सवाल भी किया कि क्या चुनाव आयोग ने इस तरह के नेताओं को लोगों को धमकाने का लाइसेंस दिया है?

दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पार्टी के वरिष्ठ नेता अश्विनी कुमार ने संवाददाताओं से कहा कि इस मामले पर चुनाव आयोग को जवाब देना होगा क्योंकि यह मामला लोकतांत्रिक सिद्धांतों से जुड़ा है. उन्होंने कहा, 'कहीं ऐसा न हो कि आने वाली पीढ़ियों का लोकतंत्र से विश्वास उठाए, इसलिए जवाब जरूरी है.'

वहीं, कांग्रेस महाचिव प्रियंका गांधी ने ट्वीट किया, चुनाव आयोग से हम भाजपा नेता की गाड़ी में ईवीएम मामले में कड़ी कार्रवाई का इंतजार कर ही रहे थे कि आयोग के एक और कदम से ऐसा लगता है कि उसने अपनी रूलबुक से निष्पक्षता वाला पेज फाड़के फेंक दिया है.

प्रियंका ने सवाल किया, आखिर किस दबाव में धमकी देने वाले भाजपा नेता पर प्रतिबंध को 48 घंटे से घटाकर 24 घंटे किया गया?

'मोदी सरकार के दबाव में चुनाव आयोग ने लिया फैसला'
उधर, कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने यह फैसला मोदी सरकार के दबाव में लिया है. सुरजेवाला ने ट्वीट किया, संसदीय लोकतंत्र के लिए काला दिन है. चुनाव आयोग के पास अपने आदेश पर कायम रहने की हिम्मत नहीं है. यह निंदनीय है कि चुनाव आयोग मोदी सरकार के दबाव में झुक गया और सरमा को चुनाव प्रचार से प्रतिबंधित करने का आदेश बदला. इतिहास इस पाप के लिए न तो चुनाव आयोग और न ही भाजपा को माफ करेगा.

उन्होंने सवाल किया, क्या चुनाव आयोग यह बताएगा कि यह फैसला स्वत: लिया गया या फिर भाजपा या सरमा की तरफ से कोई नयी याचिका दायर की गई? अगर ऐसा है, तो फिर इस मामले में शिकायत करने वाले दलों कांग्रेस और बीपीएफ को क्यों नहीं बुलाया गया? क्या यह दंड से मुक्ति के भाव के साथ धमकाने के लिए लाइसेंस देना है?

गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने असम के मंत्री और भाजपा नेता सरमा पर चुनाव प्रचार प्रतिबंध की अवधि 48 घंटे से कम कर 24 घंटे कर दी है. उन्होंने चुनाव आयोग को आश्वासन दिया कि आदर्श आचार संहिता के प्रावधानों का पालन करेंगे, जिसके बाद प्रचार प्रतिबंध की अवधि घटाई गई.

बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट के प्रमुख हागरामा मोहिलारी के खिलाफ कथित तौर पर धमकी भरी टिप्पणी के लिए शुक्रवार को उनके चुनाव प्रचार करने पर चार अप्रैल तक प्रतिबंध लगा दिया गया था.

असम विधानसभा चुनाव के तीसरे एवं अंतिम चरण के लिए प्रचार चार अप्रैल की शाम को समाप्त हो जाएगा. राज्य में अंतिम चरण के चुनाव छह अप्रैल को होंगे.

नई दिल्ली : कांग्रेस ने असम के मंत्री और भाजपा नेता हिमंत विश्व सरमा के चुनाव प्रचार करने पर लगे प्रतिबंध की अवधि को 48 घंटे से घटाकर 24 घंटे किए जाने को संसदीय लोकतंत्र के लिए काला दिन करार दिया है. कांग्रेस पार्टी ने शनिवार को दावा किया कि चुनाव आयोग ने यह फैसला मोदी सरकार के दबाव में किया है, जिसके लिए इतिहास उसे कभी माफ नहीं करेगा. कांग्रेस ने यह सवाल भी किया कि क्या चुनाव आयोग ने इस तरह के नेताओं को लोगों को धमकाने का लाइसेंस दिया है?

दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पार्टी के वरिष्ठ नेता अश्विनी कुमार ने संवाददाताओं से कहा कि इस मामले पर चुनाव आयोग को जवाब देना होगा क्योंकि यह मामला लोकतांत्रिक सिद्धांतों से जुड़ा है. उन्होंने कहा, 'कहीं ऐसा न हो कि आने वाली पीढ़ियों का लोकतंत्र से विश्वास उठाए, इसलिए जवाब जरूरी है.'

वहीं, कांग्रेस महाचिव प्रियंका गांधी ने ट्वीट किया, चुनाव आयोग से हम भाजपा नेता की गाड़ी में ईवीएम मामले में कड़ी कार्रवाई का इंतजार कर ही रहे थे कि आयोग के एक और कदम से ऐसा लगता है कि उसने अपनी रूलबुक से निष्पक्षता वाला पेज फाड़के फेंक दिया है.

प्रियंका ने सवाल किया, आखिर किस दबाव में धमकी देने वाले भाजपा नेता पर प्रतिबंध को 48 घंटे से घटाकर 24 घंटे किया गया?

'मोदी सरकार के दबाव में चुनाव आयोग ने लिया फैसला'
उधर, कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने यह फैसला मोदी सरकार के दबाव में लिया है. सुरजेवाला ने ट्वीट किया, संसदीय लोकतंत्र के लिए काला दिन है. चुनाव आयोग के पास अपने आदेश पर कायम रहने की हिम्मत नहीं है. यह निंदनीय है कि चुनाव आयोग मोदी सरकार के दबाव में झुक गया और सरमा को चुनाव प्रचार से प्रतिबंधित करने का आदेश बदला. इतिहास इस पाप के लिए न तो चुनाव आयोग और न ही भाजपा को माफ करेगा.

उन्होंने सवाल किया, क्या चुनाव आयोग यह बताएगा कि यह फैसला स्वत: लिया गया या फिर भाजपा या सरमा की तरफ से कोई नयी याचिका दायर की गई? अगर ऐसा है, तो फिर इस मामले में शिकायत करने वाले दलों कांग्रेस और बीपीएफ को क्यों नहीं बुलाया गया? क्या यह दंड से मुक्ति के भाव के साथ धमकाने के लिए लाइसेंस देना है?

गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने असम के मंत्री और भाजपा नेता सरमा पर चुनाव प्रचार प्रतिबंध की अवधि 48 घंटे से कम कर 24 घंटे कर दी है. उन्होंने चुनाव आयोग को आश्वासन दिया कि आदर्श आचार संहिता के प्रावधानों का पालन करेंगे, जिसके बाद प्रचार प्रतिबंध की अवधि घटाई गई.

बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट के प्रमुख हागरामा मोहिलारी के खिलाफ कथित तौर पर धमकी भरी टिप्पणी के लिए शुक्रवार को उनके चुनाव प्रचार करने पर चार अप्रैल तक प्रतिबंध लगा दिया गया था.

असम विधानसभा चुनाव के तीसरे एवं अंतिम चरण के लिए प्रचार चार अप्रैल की शाम को समाप्त हो जाएगा. राज्य में अंतिम चरण के चुनाव छह अप्रैल को होंगे.

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