ETV Bharat / bharat

congress president election : कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव संपन्न, किसका पलड़ा भारी ?

कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव संपन्न हो चुका है. मलिल्कार्जुन खड़गे या शशि थरूर, किसके सिर बंधेगा ताज, अब इस पर बहस शुरू हो चुकी है. आज हुए चुनाव में करीब नौ हजार पीसीसी सदस्यों ने मतदान किया. 19 अक्टूबर को परिणाम आएंगे. पढ़िए ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता अमित अग्निहोत्री की रिपोर्ट.

Kharge and Tharoor
खड़गे और थरूर
author img

By

Published : Oct 17, 2022, 4:10 PM IST

नई दिल्ली : कांग्रेस अध्यक्ष पद चुनाव के लिए आज हुए मतदान में लगभग 9 हजार पीसीसी प्रतिनिधियों ने मतदान किया. वहीं इस सवाल पर कि मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) या शशि थरूर ( Shashi Tharoor) किसको बढ़त है, इसको लेकर पार्टी हलकों में चर्चा की जा रही है. हालांकि एआईसीसी मुख्यालय में मतगणना के बाद 19 अक्टूबर को नतीजे आएंगे. दोनों ही पक्ष चुनाव प्रचार के दौरान जीत का दावा कर रहे थे, लेकिन दोनों उम्मीदवारों ने सुबह फोन पर एक-दूसरे से बात की और एक-दूसरे की सफलता की कामना की. इस दौरान दोनों प्रत्याशियों ने कहा कि जीत किसी भी को यह प्रक्रिया पार्टी को मजबूत करेगी.

इससे पहले थरूर खेमे ने सबसे पुरानी पार्टी में युवाओं से अपील करने के लिए बदलाव के नाम पर वोट मांगे. तिरुवनंतपुरम के लोकसभा सांसद ने कहा कि खड़गे का समर्थन करने वाले यथास्थिति का विकल्प चुनेंगे. वहीं खड़गे ने कांग्रेस की विचारधारा की रक्षा करने की आवश्यकता को पूरा करने के लिए पार्टी के साथ अपनी पांच दशकों की सार्वजनिक सेवा और जुड़ाव का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने संगठन की कई चुनौतियों का सामना किया.

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार अनौपचारिक रूप से 'आधिकारिक' उम्मीदवार खड़गे के पास बढ़त थी. उनके पीछे गांधी परिवार का सबसे महत्वपूर्ण फैक्टर 'आशीर्वाद' था. हालांकि खड़गे ने बार-बार इस बात से इनकार किया कि उन्हें गांधी परिवार ने चुनाव लड़ने के लिए कहा था. पर पार्टी के 'प्रथम' परिवार की इच्छा का मौन संदेश सबके पास पहुंच गया. कांग्रेस के कई शीर्ष नेताओं ने खड़गे के नामांकन का खुलकर समर्थन किया था.

खड़गे का समर्थन करने वालों में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, एआईसीसी के कोषाध्यक्ष पवन कुमार बंसल, दिग्विजय सिंह, पी चिदंबरम, तारिक अनवर, पीएल पुनिया, एके एंटनी, भूपिंदर सिंह हुड्डा, सलमान खुर्शीद शामिल थे. इसके ठीक विपरीत, थरूर के पास केवल कुछ ही समर्थक थे और शीर्ष नेता अनुपस्थिति जब लोकसभा सांसद ने कुछ समय पहले अपना नामांकन दाखिल किया था. बाद में, सैयद नसीर हुसैन, दीपेंद्र हुड्डा और प्रो. गौरव वल्लभ सहित पार्टी के कई प्रवक्ताओं और नेताओं ने खड़गे के प्रचार के लिए पार्टी पद से इस्तीफा दे दिया.

थरूर के समर्थन में ऐसा कोई नाम सामने नहीं आया जिससे पता चलता हो कि पार्टी के भीतर अध्यक्ष के चुनाव के लिए किस तरफ हवा चल रही है. वहीं केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण के दोनों उम्मीदवारों को दिए गए स्पष्ट निर्देश के बाद भी पार्टी के भीतर कुछ लोग खड़गे के पक्ष में अभियान चला रहे थे, जिसकी थरूर ने सीईसी के पास शिकायत की थी. हालांकि सीईसी के अध्यक्ष मधुसूदन मिस्त्री ने थरूर के इस आरोप को खारिज कर दिया कि इस मामले में उनके पास कोई शिकायत नहीं आई है. दरअसल, थरूर के आरोप को साबित करना मुश्किल था.

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, पार्टी चुनावों में गांधी परिवार के छिपे आशीर्वाद के प्रभाव का एक और संकेत आनंद शर्मा और मनीष तिवारी जैसे कुछ वरिष्ठ असंतुष्टों का शामिल होना था, जिन्होंने खड़गे के नामांकन का समर्थन किया था. मतदान से कुछ दिन पहले तिवारी ने खड़गे के पक्ष में पीसीसी के प्रतिनिधियों से एक सार्वजनिक अपील की थी कि वर्तमान समय में सबसे उपयुक्त उम्मीदवार हैं. दिलचस्प बात यह है कि तिवारी के पास अपने जी23 और यूपीए सरकार के पूर्व सहयोगी थरूर के लिए इस तरह के शब्द नहीं थे. तिवारी से पहले, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पीसीसी के प्रतिनिधियों से खड़गे का समर्थन करने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि खड़गे ने पांच दशक की राजनातिक पारी में पार्टी में बहुत योगदान दिया और विपक्ष को 2024 के होने वाले चुनाव के लिए बीजेपी के खिलाफ एकजुट करने के लिए सबसे उपयुक्त हैं.

हालांकि खड़गे ने बार-बार इस सवाल को खारिज कर दिया कि उन्हें उनके दलित मूल के कारण चुना गया था. हरियाणा की प्रमुख दलित नेता कुमारी शैलजा ने यहां तक ​​तर्क दिया कि खड़गे जैसे व्यक्ति को सर्वसम्मति से पार्टी अध्यक्ष चुना जाना चाहिए, उन्होंने थरूर को दौड़ से बाहर होने का स्पष्ट संकेत दिया. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, एक अन्य कारक जिसने खड़गे को बढ़त दी वह थरूर की तुलना में गांधी परिवार के विश्वासपात्र होने की उनकी छवि थी, जिसे कई लोग मौजूदा आलाकमान के लिए एक चुनौती के रूप में देखते थे. पार्टी नेता चाहते हैं कि गांधी कांग्रेस में एक केंद्रीय व्यक्ति बने रहें, जिस वजह से खड़गे-थरूर की तुलना में महत्वपूर्ण निर्णयों पर गांधी परिवार से परामर्श करने के लिए अधिक खुले थे. खड़गे के लिए एक वरीयता पार्टी के भीतर अनिच्छा को भी इंगित करेगी कि थरूर द्वारा सुझाए गए समाधानों के खिलाफ संगठन के काम करने के तरीके में अचानक बदलाव आया, जिन्होंने कभी पार्टी में काम ही नहीं किया.

अंत में, थरूर और खड़गे दोनों को राहुल गांधी के नेतृत्व में चल रही भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने का मौका मिला. रविवार को जब खड़गे कर्नाटक में राहुल के साथ चल रहे थे, तो तस्वीर ने उनके संबंधों को बयां कर रही थी. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, राहुल पार्टी का नेतृत्व करते रहेंगे लेकिन नए अध्यक्ष के साथ मिलकर काम करना होगा. उन्होंने कहा कि इस पृष्ठभूमि में खड़गे थरूर से बेहतर साथी साबित होंगे.

ये भी पढ़ें - कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए वोटिंग जारी, बेल्लारी में राहुल ने डाला वोट

नई दिल्ली : कांग्रेस अध्यक्ष पद चुनाव के लिए आज हुए मतदान में लगभग 9 हजार पीसीसी प्रतिनिधियों ने मतदान किया. वहीं इस सवाल पर कि मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) या शशि थरूर ( Shashi Tharoor) किसको बढ़त है, इसको लेकर पार्टी हलकों में चर्चा की जा रही है. हालांकि एआईसीसी मुख्यालय में मतगणना के बाद 19 अक्टूबर को नतीजे आएंगे. दोनों ही पक्ष चुनाव प्रचार के दौरान जीत का दावा कर रहे थे, लेकिन दोनों उम्मीदवारों ने सुबह फोन पर एक-दूसरे से बात की और एक-दूसरे की सफलता की कामना की. इस दौरान दोनों प्रत्याशियों ने कहा कि जीत किसी भी को यह प्रक्रिया पार्टी को मजबूत करेगी.

इससे पहले थरूर खेमे ने सबसे पुरानी पार्टी में युवाओं से अपील करने के लिए बदलाव के नाम पर वोट मांगे. तिरुवनंतपुरम के लोकसभा सांसद ने कहा कि खड़गे का समर्थन करने वाले यथास्थिति का विकल्प चुनेंगे. वहीं खड़गे ने कांग्रेस की विचारधारा की रक्षा करने की आवश्यकता को पूरा करने के लिए पार्टी के साथ अपनी पांच दशकों की सार्वजनिक सेवा और जुड़ाव का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने संगठन की कई चुनौतियों का सामना किया.

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार अनौपचारिक रूप से 'आधिकारिक' उम्मीदवार खड़गे के पास बढ़त थी. उनके पीछे गांधी परिवार का सबसे महत्वपूर्ण फैक्टर 'आशीर्वाद' था. हालांकि खड़गे ने बार-बार इस बात से इनकार किया कि उन्हें गांधी परिवार ने चुनाव लड़ने के लिए कहा था. पर पार्टी के 'प्रथम' परिवार की इच्छा का मौन संदेश सबके पास पहुंच गया. कांग्रेस के कई शीर्ष नेताओं ने खड़गे के नामांकन का खुलकर समर्थन किया था.

खड़गे का समर्थन करने वालों में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, एआईसीसी के कोषाध्यक्ष पवन कुमार बंसल, दिग्विजय सिंह, पी चिदंबरम, तारिक अनवर, पीएल पुनिया, एके एंटनी, भूपिंदर सिंह हुड्डा, सलमान खुर्शीद शामिल थे. इसके ठीक विपरीत, थरूर के पास केवल कुछ ही समर्थक थे और शीर्ष नेता अनुपस्थिति जब लोकसभा सांसद ने कुछ समय पहले अपना नामांकन दाखिल किया था. बाद में, सैयद नसीर हुसैन, दीपेंद्र हुड्डा और प्रो. गौरव वल्लभ सहित पार्टी के कई प्रवक्ताओं और नेताओं ने खड़गे के प्रचार के लिए पार्टी पद से इस्तीफा दे दिया.

थरूर के समर्थन में ऐसा कोई नाम सामने नहीं आया जिससे पता चलता हो कि पार्टी के भीतर अध्यक्ष के चुनाव के लिए किस तरफ हवा चल रही है. वहीं केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण के दोनों उम्मीदवारों को दिए गए स्पष्ट निर्देश के बाद भी पार्टी के भीतर कुछ लोग खड़गे के पक्ष में अभियान चला रहे थे, जिसकी थरूर ने सीईसी के पास शिकायत की थी. हालांकि सीईसी के अध्यक्ष मधुसूदन मिस्त्री ने थरूर के इस आरोप को खारिज कर दिया कि इस मामले में उनके पास कोई शिकायत नहीं आई है. दरअसल, थरूर के आरोप को साबित करना मुश्किल था.

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, पार्टी चुनावों में गांधी परिवार के छिपे आशीर्वाद के प्रभाव का एक और संकेत आनंद शर्मा और मनीष तिवारी जैसे कुछ वरिष्ठ असंतुष्टों का शामिल होना था, जिन्होंने खड़गे के नामांकन का समर्थन किया था. मतदान से कुछ दिन पहले तिवारी ने खड़गे के पक्ष में पीसीसी के प्रतिनिधियों से एक सार्वजनिक अपील की थी कि वर्तमान समय में सबसे उपयुक्त उम्मीदवार हैं. दिलचस्प बात यह है कि तिवारी के पास अपने जी23 और यूपीए सरकार के पूर्व सहयोगी थरूर के लिए इस तरह के शब्द नहीं थे. तिवारी से पहले, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पीसीसी के प्रतिनिधियों से खड़गे का समर्थन करने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि खड़गे ने पांच दशक की राजनातिक पारी में पार्टी में बहुत योगदान दिया और विपक्ष को 2024 के होने वाले चुनाव के लिए बीजेपी के खिलाफ एकजुट करने के लिए सबसे उपयुक्त हैं.

हालांकि खड़गे ने बार-बार इस सवाल को खारिज कर दिया कि उन्हें उनके दलित मूल के कारण चुना गया था. हरियाणा की प्रमुख दलित नेता कुमारी शैलजा ने यहां तक ​​तर्क दिया कि खड़गे जैसे व्यक्ति को सर्वसम्मति से पार्टी अध्यक्ष चुना जाना चाहिए, उन्होंने थरूर को दौड़ से बाहर होने का स्पष्ट संकेत दिया. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, एक अन्य कारक जिसने खड़गे को बढ़त दी वह थरूर की तुलना में गांधी परिवार के विश्वासपात्र होने की उनकी छवि थी, जिसे कई लोग मौजूदा आलाकमान के लिए एक चुनौती के रूप में देखते थे. पार्टी नेता चाहते हैं कि गांधी कांग्रेस में एक केंद्रीय व्यक्ति बने रहें, जिस वजह से खड़गे-थरूर की तुलना में महत्वपूर्ण निर्णयों पर गांधी परिवार से परामर्श करने के लिए अधिक खुले थे. खड़गे के लिए एक वरीयता पार्टी के भीतर अनिच्छा को भी इंगित करेगी कि थरूर द्वारा सुझाए गए समाधानों के खिलाफ संगठन के काम करने के तरीके में अचानक बदलाव आया, जिन्होंने कभी पार्टी में काम ही नहीं किया.

अंत में, थरूर और खड़गे दोनों को राहुल गांधी के नेतृत्व में चल रही भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने का मौका मिला. रविवार को जब खड़गे कर्नाटक में राहुल के साथ चल रहे थे, तो तस्वीर ने उनके संबंधों को बयां कर रही थी. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, राहुल पार्टी का नेतृत्व करते रहेंगे लेकिन नए अध्यक्ष के साथ मिलकर काम करना होगा. उन्होंने कहा कि इस पृष्ठभूमि में खड़गे थरूर से बेहतर साथी साबित होंगे.

ये भी पढ़ें - कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए वोटिंग जारी, बेल्लारी में राहुल ने डाला वोट

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.