नई दिल्ली : कांग्रेस पार्टी ने पाँच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में अपनी करारी हार के लिये जिम्मेदारी लेते हुए यह मान लिया है कि रणनीतिक खामियों के कारण वह चार राज्यों में भाजपा के साशन की वास्तविकता लोगों के सामने नहीं ला सकी. वहीं पंजाब चुनाव में हार पर चर्चा करते हुए पार्टी ने कहा है कि नेतृत्व परिवर्तन के बावजूद वह सत्ता विरोधी लहर को नहीं पाट सके. अधीर रंजन चौधरी ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया, "कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि वह अपने परिवार के सदस्यों राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ पार्टी के हित लिए अपने पदों को छोड़ने के लिए तैयार हैं, लेकिन हम सभी ने इसे खारिज कर दिया."
रविवार को दिल्ली स्थित अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटि मुख्यालय में हुई केंद्रीय कार्य समिति (CWC) के बैठक में पाँचों राज्यों में कांग्रेस पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शन पर पाँच घंटे तक मंथन चला जिसके बाद यह निर्णय लिया गया कि पार्टी एक शिविर का आयोजन कर इस पर चिंतन करेगी। इसके लिये संसद सत्र के बाद बकायदा एक चिंतन शिविर का आयोजन किया जाएगा और चिंतन शिविर से पहले एक बार फिर कांग्रस पार्टी की केंद्रीय कार्य समिति की एक और बैठक होगी। उस बैठक में यह तय किया जाएगा कि चिंतन शिविर में किन विषयों को रखा जाए.
पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद कांग्रस पार्टी एक बार फिर रणनीतिक सुधार की बात कर रही है। लेकिन पाँच घंटे चली सेंट्रल कमिटि के बैठक के बाद पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि सभी विषयों पर चर्चा के बाद केंद्रीय समिति के सभी सदस्य एक बाद पर एकमत रहे कि पार्टी का नेतृत्व सोनिया गांधी ही करें.
दरसल, इस बात की अटकलें तेज थी कि हताशाजनक प्रदर्शन के बाद एक बार फिर सोनिया गाँधी कांग्रस अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश कर सकती हैं जो सही साबित हुई. अधीर रंजन चौधरी ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया, "कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि वह अपने परिवार के सदस्यों राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ पार्टी के हित लिए अपने पदों को छोड़ने के लिए तैयार हैं, लेकिन हम सभी ने इसे खारिज कर दिया." कांग्रस के राष्ट्रीय महासचिव और प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने बताया कि तमाम बातों पर चर्चा के बाद सभी सदस्यों का मत था कि पूरी मजबूती के साथ सोनिया गांधी ही तब तक पार्टी का नेतृत्व करती रहें जब तक पार्टी के संगठनात्मक चुनाव संपन्न नहीं हो जाते.
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बतौर सुरजेवाला कांग्रेस के केंद्रीय कार्य समिति की पांच घंटे लंबे बैठक में तमाम बिन्दुओं पर सिलसिलेवार ढंग से चर्चा हुई और सभी पाँच राज्यों के प्रभारी ने अपनी अपनी रिपोर्ट खुल कर केंद्रीय कार्य समिति के सामने रखी. सूत्रों की माने तो आने वाले समय में कांग्रस पार्टी वरिष्ठ पदों पर बड़े बदलाव कर सकती है. साथ ही संगठनात्मक चुनाव के बाद इस बात पर विचार होगा कि कांग्रेस का अगला पूर्णकालिक अध्यक्ष कौन हो. रविवार को एक बार फिर राजस्थान के मुख्यमंत्री और कांग्रस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत समेत केंद्रीय कार्य समिति के कई अन्य सदस्यों ने भी इच्छा जाहिर की है कि एक बार फिर राहुल गाँधी को पार्टी की कमान संभालनी चाहिए.बहरहाल, मार्च महीने में ही कांग्रस पार्टी की दो और बड़ी बैठकें होनी तय हुई हैं और उन बैठकों के बाद कुछ बड़े और कड़े निर्णय लिये जाने के संकेत भी दिये गये हैं.