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राफेल सौदा : कांग्रेस ने फिर उठाई जेपीसी जांच की मांग, साधा निशाना

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Published : Jul 3, 2021, 3:51 PM IST

भारत के साथ करीब 7.8 बिलियन यूरो के राफेल सौदे (Rafale deal) में कथित भ्रष्टाचार की अब फ्रांस में न्यायिक जांच होगी. राफेल सौदे को लेकर जांच के लिए एक फ्रांसीसी जज को नियुक्त किया गया है. इस आदेश के बाद भारत में भी सियायत तेज हो गई है. कांग्रेस ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है.

कांग्रेस महासचिव और मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला
कांग्रेस महासचिव और मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला

नई दिल्ली : फ्रांस की लोक अभियोजन सेवा (पीएनएफ) ने राफेल सौदे की जांच के आदेश दिए हैं. इस आदेश के बाद भारत में कांग्रेस पार्टी ने राफेल सौदे की जांच संयुक्त संसदीय समिति से कराने की मांग दोहराई है. सरकार पर निशाना साधा है.

एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कांग्रेस महासचिव और मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, 'बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार, देशद्रोह, राजकोष को नुकसान से जुड़े राफेल घोटाले का घिनौना सच आखिर सामने आ ही गया है. इसने सौदे को लेकर मोदी सरकार की भूमिका को भी उजागर कर दिया है.'

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला

फांस की वेबसाइट ने किया दावा

कांग्रेस नेता सुरजेवाला ने जिक्र किया कि फ्रांस की समाचार वेबसाइट, Mediapart.fr ने भी रिलायंस इंफ्रा और डसॉल्ट एविएशन के बीच एक संयुक्त उद्यम कंपनी बनाने के लिए किए गए समझौते का विवरण जारी किया है, जिसे डसॉल्ट रिलायंस एयरोस्पेस लिमिटेड (DRAL) कहा जाता है. ये फांस के तत्कालीन प्रधानमंत्री के बयान की पुष्टि करता है. ओलांद ने कहा था कि 'रिलायंस को डसॉल्ट के औद्योगिक भागीदार के रूप में नियुक्त करने का निर्णय मोदी सरकार का था और इस मामले में फ्रांस के पास 'कोई विकल्प नहीं था.'

सुरजेवाला ने लगाए आरोप

सुरजेवाला ने कहा, 'पीएनएफ की जांच में फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद जो राफेल सौदे पर हस्ताक्षर किए जाने के समय पद पर थे और वर्तमान फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों जो उस समय हॉलैंड की अर्थव्यवस्था और वित्त के कार्यों को संभाल रहे थे, शामिल हैं. साथ ही तत्कालीन रक्षा मंत्री जो अब विदेश मंत्री है जीन-यवेस ले ड्रियन के साथ-साथ आरइन्फ्रा यानी रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड की भी भूमिका है.'

फांस ने भ्रष्टाचार के आरोप नकारे थे

फ्रांसीसी पत्रिका द्वारा आरोपों की रिपोर्ट के बाद, फ्रांसीसी एयरोस्पेस प्रमुख डसॉल्ट एविएशन ने अप्रैल में भारत के साथ राफेल लड़ाकू जेट सौदे में भ्रष्टाचार के नए आरोपों को खारिज कर दिया था, यह कहते हुए कि अनुबंध में कोई उल्लंघन नहीं था.

2019 के चुनाव में विपक्ष मे उठाया था मुद्दा

विपक्षी दल ने 2019 के आम चुनावों के दौरान इस मुद्दे को उठाया था, जहां कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने संयुक्त संसदीय समिति से जांच की मांग की थी. कांग्रेस ने यह भी उल्लेख किया था कि रक्षा खरीद प्रक्रिया के तहत, भारत सरकार की नीति की परिकल्पना है कि प्रत्येक रक्षा खरीद अनुबंध में एक 'इंटिग्रिटी क्लॉज' होगा जिसमें कहा गया कि कोई बिचौलिया नहीं होगा. साथ ही कमीशन या रिश्वत का भुगतान नहीं होगा. बिचौलिए या कमीशन या रिश्वतखोरी के किसी भी सबूत पर आपूर्तिकर्ता रक्षा कंपनी पर प्रतिबंध लगाने, अनुबंध रद्द करने, एफआईआर दर्ज करने और विभिन्न आपूर्तिकर्ता कंपनी पर भारी वित्तीय दंड लगाने के गंभीर दंडात्मक परिणाम होंगे.

59,000 करोड़ रुपये का सौदा

एनडीए सरकार ने 23 सितंबर, 2016 को फ्रांसीसी एयरोस्पेस प्रमुख डसॉल्ट एविएशन से 36 राफेल जेट खरीदने के लिए 59,000 करोड़ रुपये का सौदा किया था, जो लगभग सात साल के बाद 126 मीडियम मल्टी-रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (MMRCA) की खरीद के लिए था.

पढ़ें- राफेल सौदा: कथित भ्रष्टाचार की जांच पर फ्रांस तैयार, जज की हुई नियुक्ति, रिपोर्ट में दावा

नई दिल्ली : फ्रांस की लोक अभियोजन सेवा (पीएनएफ) ने राफेल सौदे की जांच के आदेश दिए हैं. इस आदेश के बाद भारत में कांग्रेस पार्टी ने राफेल सौदे की जांच संयुक्त संसदीय समिति से कराने की मांग दोहराई है. सरकार पर निशाना साधा है.

एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कांग्रेस महासचिव और मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, 'बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार, देशद्रोह, राजकोष को नुकसान से जुड़े राफेल घोटाले का घिनौना सच आखिर सामने आ ही गया है. इसने सौदे को लेकर मोदी सरकार की भूमिका को भी उजागर कर दिया है.'

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला

फांस की वेबसाइट ने किया दावा

कांग्रेस नेता सुरजेवाला ने जिक्र किया कि फ्रांस की समाचार वेबसाइट, Mediapart.fr ने भी रिलायंस इंफ्रा और डसॉल्ट एविएशन के बीच एक संयुक्त उद्यम कंपनी बनाने के लिए किए गए समझौते का विवरण जारी किया है, जिसे डसॉल्ट रिलायंस एयरोस्पेस लिमिटेड (DRAL) कहा जाता है. ये फांस के तत्कालीन प्रधानमंत्री के बयान की पुष्टि करता है. ओलांद ने कहा था कि 'रिलायंस को डसॉल्ट के औद्योगिक भागीदार के रूप में नियुक्त करने का निर्णय मोदी सरकार का था और इस मामले में फ्रांस के पास 'कोई विकल्प नहीं था.'

सुरजेवाला ने लगाए आरोप

सुरजेवाला ने कहा, 'पीएनएफ की जांच में फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद जो राफेल सौदे पर हस्ताक्षर किए जाने के समय पद पर थे और वर्तमान फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों जो उस समय हॉलैंड की अर्थव्यवस्था और वित्त के कार्यों को संभाल रहे थे, शामिल हैं. साथ ही तत्कालीन रक्षा मंत्री जो अब विदेश मंत्री है जीन-यवेस ले ड्रियन के साथ-साथ आरइन्फ्रा यानी रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड की भी भूमिका है.'

फांस ने भ्रष्टाचार के आरोप नकारे थे

फ्रांसीसी पत्रिका द्वारा आरोपों की रिपोर्ट के बाद, फ्रांसीसी एयरोस्पेस प्रमुख डसॉल्ट एविएशन ने अप्रैल में भारत के साथ राफेल लड़ाकू जेट सौदे में भ्रष्टाचार के नए आरोपों को खारिज कर दिया था, यह कहते हुए कि अनुबंध में कोई उल्लंघन नहीं था.

2019 के चुनाव में विपक्ष मे उठाया था मुद्दा

विपक्षी दल ने 2019 के आम चुनावों के दौरान इस मुद्दे को उठाया था, जहां कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने संयुक्त संसदीय समिति से जांच की मांग की थी. कांग्रेस ने यह भी उल्लेख किया था कि रक्षा खरीद प्रक्रिया के तहत, भारत सरकार की नीति की परिकल्पना है कि प्रत्येक रक्षा खरीद अनुबंध में एक 'इंटिग्रिटी क्लॉज' होगा जिसमें कहा गया कि कोई बिचौलिया नहीं होगा. साथ ही कमीशन या रिश्वत का भुगतान नहीं होगा. बिचौलिए या कमीशन या रिश्वतखोरी के किसी भी सबूत पर आपूर्तिकर्ता रक्षा कंपनी पर प्रतिबंध लगाने, अनुबंध रद्द करने, एफआईआर दर्ज करने और विभिन्न आपूर्तिकर्ता कंपनी पर भारी वित्तीय दंड लगाने के गंभीर दंडात्मक परिणाम होंगे.

59,000 करोड़ रुपये का सौदा

एनडीए सरकार ने 23 सितंबर, 2016 को फ्रांसीसी एयरोस्पेस प्रमुख डसॉल्ट एविएशन से 36 राफेल जेट खरीदने के लिए 59,000 करोड़ रुपये का सौदा किया था, जो लगभग सात साल के बाद 126 मीडियम मल्टी-रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (MMRCA) की खरीद के लिए था.

पढ़ें- राफेल सौदा: कथित भ्रष्टाचार की जांच पर फ्रांस तैयार, जज की हुई नियुक्ति, रिपोर्ट में दावा

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