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'बड़े लोन डिफॉल्टर को सरकार फिर दे सकती है लोन', कांग्रेस ने उठाए सवाल

जो-जो व्यक्ति लोन के 'बड़े' डिफॉल्टर हैं, सरकार उन्हें फिर से लोन लेने का मौका दे सकती है. इस बाबत रिजर्व बैंक ने नया नियम जारी किया है. बैंक के इस नियम पर कांग्रेस ने सवाल खड़े किए हैं.

congress leader jairam ramesh
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश
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Published : Jun 14, 2023, 7:26 PM IST

नई दिल्ली : कांग्रेस ने जानबूझकर ऋण न चुकाने वालों के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की नीतियों में बदलाव को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. केंद्रीय बैंक की नई नीति बैंकों और वित्तीय कंपनियों को इन चूककर्ताओं के साथ सेटलमेंट करने या उनके ऋण को बट्टे खाते में डालने का मौका देती है. विपक्षी दल ने सवाल किया कि उसने अपने ही नियम को क्यों बदल दिया. कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने एक ट्वीट में पूछा, आरबीआई को स्पष्ट करना चाहिए कि उसने जानबूझकर ऋण न चुकाने वालों को लेकर अपनी नीति क्यों बदली. वह भी तब जब अखिल भारतीय बैंक अधिकारी परिसंघ और अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ ने साफ कहा था कि ऐसा करने से आम लोगों का बैंकों में विश्वास समाप्त हो जाएगा, जमाकर्ताओं का विश्वास डिग जाएगा, ऋण चूक की संस्कृति बढ़ेगी और बैंक तथा उसके कर्मचारियों को नुकसान का खामियाजा भुगतना पड़ेगा.

राज्यसभा सांसद रमेश ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमेशा चुनिंदा कारोबारी समूहों में अपने मित्रों की मदद करने के लिए जल्दबाजी में नियमों को मोड़ा या बदला है. कांग्रेस नेता ने कहा कि आरबीआई को भी इस कदम के खतरों का पूरी तरह एहसास है. उन्होंने कहा, दो साल पहले उसने साफ कहा था कि जानबूझकर ऋण चुकाने वालों को पूंजी बाजार में निवेश करने या नया कर्ज लेने नहीं दिया जाएगा..क्या आरबीआई स्पष्ट करेगी कि कहीं मोदी सरकार ने यू-टर्न लेने के लिए उस पर दबाव तो नहीं डाला.

उन्होंने कहा कि देश के लोगों ने धोखाधड़ी और जानबूझकर ऋण चूक की भारी कीमत चुकाई है. बैंकों ने वित्त वर्ष 2017-18 से 2021-22 के बीच 10 लाख करोड़ रुपये के ऋण बट्टे खाते में डाले जबकि इन बैंकों की रिकवरी दर मात्र 13 प्रतिशत रही. रमेश ने लिखा, जानबूझकर ऋण न चुकाने वाले शीर्ष 50 लोगों के पास, जिसमें पीएम मोदी के मित्र मेहुल चोकसी का नाम सबसे ऊपर है, 31 मार्च 2022 तक 92,570 करोड़ रुपये बकाया थे. मोदी सरकार के कार्यकाल में बैंकिंग धोखाधड़ी 17 गुना हो गई है. यह 2005-14 के बीच 39,993 करोड़ थी जबकि 2015-23 के दौरान 5.89 लाख करोड़ पर पहुंच गई है.

कांग्रेस सांसद ने कहा कि ईमानदार कर्ज लेने वाले जैसे किसान, छोटे और मध्यम उद्यमी तथा वेतनभोगी मध्यम वर्ग के लोग ईएमआई के बोझ के नीचे दबे हुए हैं, लेकिन उन्हें अपना लोन सेटल करने का कभी मौका नहीं दिया जाता है. वहीं, नीरव मोदी, मेहुल चोकसी और विजय माल्या को मौका दिया गया है.

ये भी पढ़ें : RBI MPC Meeting: आरबीआई ने 'रुपे प्रीपेड फॉरेक्स कार्ड' को लेकर उठाया बड़ा कदम, बैंकों को दिए ये निर्देश

(आईएएनएस)

नई दिल्ली : कांग्रेस ने जानबूझकर ऋण न चुकाने वालों के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की नीतियों में बदलाव को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. केंद्रीय बैंक की नई नीति बैंकों और वित्तीय कंपनियों को इन चूककर्ताओं के साथ सेटलमेंट करने या उनके ऋण को बट्टे खाते में डालने का मौका देती है. विपक्षी दल ने सवाल किया कि उसने अपने ही नियम को क्यों बदल दिया. कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने एक ट्वीट में पूछा, आरबीआई को स्पष्ट करना चाहिए कि उसने जानबूझकर ऋण न चुकाने वालों को लेकर अपनी नीति क्यों बदली. वह भी तब जब अखिल भारतीय बैंक अधिकारी परिसंघ और अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ ने साफ कहा था कि ऐसा करने से आम लोगों का बैंकों में विश्वास समाप्त हो जाएगा, जमाकर्ताओं का विश्वास डिग जाएगा, ऋण चूक की संस्कृति बढ़ेगी और बैंक तथा उसके कर्मचारियों को नुकसान का खामियाजा भुगतना पड़ेगा.

राज्यसभा सांसद रमेश ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमेशा चुनिंदा कारोबारी समूहों में अपने मित्रों की मदद करने के लिए जल्दबाजी में नियमों को मोड़ा या बदला है. कांग्रेस नेता ने कहा कि आरबीआई को भी इस कदम के खतरों का पूरी तरह एहसास है. उन्होंने कहा, दो साल पहले उसने साफ कहा था कि जानबूझकर ऋण चुकाने वालों को पूंजी बाजार में निवेश करने या नया कर्ज लेने नहीं दिया जाएगा..क्या आरबीआई स्पष्ट करेगी कि कहीं मोदी सरकार ने यू-टर्न लेने के लिए उस पर दबाव तो नहीं डाला.

उन्होंने कहा कि देश के लोगों ने धोखाधड़ी और जानबूझकर ऋण चूक की भारी कीमत चुकाई है. बैंकों ने वित्त वर्ष 2017-18 से 2021-22 के बीच 10 लाख करोड़ रुपये के ऋण बट्टे खाते में डाले जबकि इन बैंकों की रिकवरी दर मात्र 13 प्रतिशत रही. रमेश ने लिखा, जानबूझकर ऋण न चुकाने वाले शीर्ष 50 लोगों के पास, जिसमें पीएम मोदी के मित्र मेहुल चोकसी का नाम सबसे ऊपर है, 31 मार्च 2022 तक 92,570 करोड़ रुपये बकाया थे. मोदी सरकार के कार्यकाल में बैंकिंग धोखाधड़ी 17 गुना हो गई है. यह 2005-14 के बीच 39,993 करोड़ थी जबकि 2015-23 के दौरान 5.89 लाख करोड़ पर पहुंच गई है.

कांग्रेस सांसद ने कहा कि ईमानदार कर्ज लेने वाले जैसे किसान, छोटे और मध्यम उद्यमी तथा वेतनभोगी मध्यम वर्ग के लोग ईएमआई के बोझ के नीचे दबे हुए हैं, लेकिन उन्हें अपना लोन सेटल करने का कभी मौका नहीं दिया जाता है. वहीं, नीरव मोदी, मेहुल चोकसी और विजय माल्या को मौका दिया गया है.

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(आईएएनएस)

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