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कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी बोले, हम पार्टी में हिस्सेदार हैं किरायेदार नहीं

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने गुलाम नबी आजाद के पार्टी से त्यागपत्र देने के बाद अपनी प्रतिक्रिया दी है. हालांकि, उन्होंने आजाद का नाम या उनके पार्टी छोड़ने का जिक्र नहीं किया है.

मनीष तिवारी
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Published : Aug 27, 2022, 10:08 AM IST

Updated : Aug 27, 2022, 2:44 PM IST

नई दिल्ली: कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने गुलाम नबी आजाद के पार्टी से त्यागपत्र देने के बाद अपनी प्रतिक्रिया दी है. हालांकि, उन्होंने आजाद का नाम या उनके पार्टी छोड़ने का जिक्र नहीं किया है. अपनी प्रतिक्रिया में उन्होंने कहा कि दो साल पहले, हम में से 23 ने सोनिया गांधी को लिखा था कि पार्टी की स्थिति चिंताजनक है और इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए. उस पत्र के बाद कांग्रेस सभी विधानसभा चुनाव हार गई. अगर कांग्रेस और भारत एक जैसे सोचते थे, तो लगता है कि दोनों में से किसी एक ने अलग तरह से सोचना शुरू कर दिया है.

मनीष तिवारी

पढ़ें: चौधरी बीरेंद्र सिंह ने कहा, कांग्रेस की स्थिति दुर्भाग्यपूर्ण, आजाद ने सही निर्णय लिया

उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि 1885 से मौजूद भारत और कांग्रेस के बीच समन्वय में दरार आ गई है. आत्मनिरीक्षण की जरूरत थी. मुझे लगता है कि 20 दिसंबर 2020 को सोनिया गांधी के आवास पर हुई बैठक में सहमति बन गई होती तो यह स्थिति नहीं आती. कांग्रेस सांसद आगे कहते हैं कि गुलाम नबी आजाद के पत्र के गुण-दोष में मैं नहीं जाना चाहता. वह इसके बारे में समझाने की सबसे अच्छी स्थिति में होंगे. मनीष तिवारी ने कहा कि जिस व्यक्ति की हैसियत एक वार्ड चुनाव लड़ने की भी नहीं है, जो व्यक्ति कभी कांग्रेस नेताओं का चपरासी हुआ करता था, वह जब पार्टी के बारे में ज्ञान देता है तो हंसी आती है.

साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें किसी से सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है. कांग्रेस सांसद कहते हैं कि मैंने इस पार्टी को 42 साल दिए हैं. मैं यह पहले भी कह चुका हूं कि हम इस संस्था यानी कांग्रेस के किरायेदार नहीं हैं, हम पार्टी के सदस्य हैं. अब अगर आप हमें बाहर निकालने की कोशिश करेंगे तो यह दूसरी बात है. तब देखा जाएगा.

इससे पहले आजाद के इस फैसले पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि गुलाम नबी आजाद के कांग्रेस छोड़ने और उनके इस तरह के बयान से मुझे भी व्यक्तिगत रूप से आघात लगा है. मैं खुद सदमे में हूं. उन्होंने कहा कि आजाद ने इस तरह का फैसला क्यों किया? जबकि कांग्रेस ने 42 साल तक उन्हें सब कुछ दिया है. उन्होंने प्रतिक्रिया देने के दौरान यह तक कह दिया कि गुलाम नबी आजाद संजय गांधी के नजदीक माने जाते थे. उन्हें उस वक्त चापलूस कहा जाता था और उसका फायद उन्हें हमेशा मिला है.

सीएम गहलोत ने कहा मैं गुलाम नबी आजाद के फैसले और उनकी ओर से लिखे गए पत्र से सदमे में हूं. वे मेरे मित्र हैं. आजाद साहब का जो आज बयान आया है उससे मुझे आघात लगा है. मैं बयां नहीं कर सकता आज के पत्र को किस रूप में कमेंट करूं, क्योंकि 42 साल तक पार्टी ने उनको मौका दिया. वह व्यक्ति इस तरह का बयान दे रहा है. गहलोत ने कहा कि गांधी परिवार ने एक नौजवान लड़का समझ कर आगे बढ़ाया, कांग्रेस ने 42 साल तक सब कुछ दिया. प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया, मुख्यमंत्री बनाया. इन 42 सालों में कुछ न कुछ पद हमेशा उनके पास रहा और आज वो इस तरह के बयान दे रहे हैं.

नई दिल्ली: कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने गुलाम नबी आजाद के पार्टी से त्यागपत्र देने के बाद अपनी प्रतिक्रिया दी है. हालांकि, उन्होंने आजाद का नाम या उनके पार्टी छोड़ने का जिक्र नहीं किया है. अपनी प्रतिक्रिया में उन्होंने कहा कि दो साल पहले, हम में से 23 ने सोनिया गांधी को लिखा था कि पार्टी की स्थिति चिंताजनक है और इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए. उस पत्र के बाद कांग्रेस सभी विधानसभा चुनाव हार गई. अगर कांग्रेस और भारत एक जैसे सोचते थे, तो लगता है कि दोनों में से किसी एक ने अलग तरह से सोचना शुरू कर दिया है.

मनीष तिवारी

पढ़ें: चौधरी बीरेंद्र सिंह ने कहा, कांग्रेस की स्थिति दुर्भाग्यपूर्ण, आजाद ने सही निर्णय लिया

उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि 1885 से मौजूद भारत और कांग्रेस के बीच समन्वय में दरार आ गई है. आत्मनिरीक्षण की जरूरत थी. मुझे लगता है कि 20 दिसंबर 2020 को सोनिया गांधी के आवास पर हुई बैठक में सहमति बन गई होती तो यह स्थिति नहीं आती. कांग्रेस सांसद आगे कहते हैं कि गुलाम नबी आजाद के पत्र के गुण-दोष में मैं नहीं जाना चाहता. वह इसके बारे में समझाने की सबसे अच्छी स्थिति में होंगे. मनीष तिवारी ने कहा कि जिस व्यक्ति की हैसियत एक वार्ड चुनाव लड़ने की भी नहीं है, जो व्यक्ति कभी कांग्रेस नेताओं का चपरासी हुआ करता था, वह जब पार्टी के बारे में ज्ञान देता है तो हंसी आती है.

साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें किसी से सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है. कांग्रेस सांसद कहते हैं कि मैंने इस पार्टी को 42 साल दिए हैं. मैं यह पहले भी कह चुका हूं कि हम इस संस्था यानी कांग्रेस के किरायेदार नहीं हैं, हम पार्टी के सदस्य हैं. अब अगर आप हमें बाहर निकालने की कोशिश करेंगे तो यह दूसरी बात है. तब देखा जाएगा.

इससे पहले आजाद के इस फैसले पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि गुलाम नबी आजाद के कांग्रेस छोड़ने और उनके इस तरह के बयान से मुझे भी व्यक्तिगत रूप से आघात लगा है. मैं खुद सदमे में हूं. उन्होंने कहा कि आजाद ने इस तरह का फैसला क्यों किया? जबकि कांग्रेस ने 42 साल तक उन्हें सब कुछ दिया है. उन्होंने प्रतिक्रिया देने के दौरान यह तक कह दिया कि गुलाम नबी आजाद संजय गांधी के नजदीक माने जाते थे. उन्हें उस वक्त चापलूस कहा जाता था और उसका फायद उन्हें हमेशा मिला है.

सीएम गहलोत ने कहा मैं गुलाम नबी आजाद के फैसले और उनकी ओर से लिखे गए पत्र से सदमे में हूं. वे मेरे मित्र हैं. आजाद साहब का जो आज बयान आया है उससे मुझे आघात लगा है. मैं बयां नहीं कर सकता आज के पत्र को किस रूप में कमेंट करूं, क्योंकि 42 साल तक पार्टी ने उनको मौका दिया. वह व्यक्ति इस तरह का बयान दे रहा है. गहलोत ने कहा कि गांधी परिवार ने एक नौजवान लड़का समझ कर आगे बढ़ाया, कांग्रेस ने 42 साल तक सब कुछ दिया. प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया, मुख्यमंत्री बनाया. इन 42 सालों में कुछ न कुछ पद हमेशा उनके पास रहा और आज वो इस तरह के बयान दे रहे हैं.

Last Updated : Aug 27, 2022, 2:44 PM IST
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