नई दिल्ली : भारतीय डिप्लोमैट पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बयान को लेकर बीजेपी और कांग्रेस आमने-सामने आ गई हैं. विदेश मंत्री ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारतीय विदेश नीति की आलोचना करने पर तीखी प्रतिक्रिया दी है. राहुल गांधी ने शुक्रवार को कहा था कि भारतीय विदेश सेवा अहंकारी हो गई है.
लंदन के कैब्रिंज यूनिवर्सिटी में आइडिया फॉर इंडिया कॉनक्लेव में शुक्रवार को राहुल गांधी ने कहा था कि कुछ यूरोपीय राजनयिकों ने उनसे कहा था कि आईएफएस पूरी तरह से बदल गया है, वे कुछ भी नहीं सुनते हैं और वे घमंडी हो गए हैं. पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने आगे कहा कि यूरोपीय राजनयिकों ने भी उनसे कहा था कि भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी बता रहे थे कि उन्हें क्या आदेश मिल रहे थे. दोनों पक्षों के बीच कोई बातचीत नहीं हुई.
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Yes, the Indian Foreign Service has changed.
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) May 21, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
Yes, they follow the orders of the Government.
Yes, they counter the arguments of others.
No, its not called Arrogance.
It is called Confidence.
And it is called defending National Interest. pic.twitter.com/eYynoKZDoW
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Yes, they follow the orders of the Government.
Yes, they counter the arguments of others.
No, its not called Arrogance.
It is called Confidence.
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टिप्पणी ने विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर को यह कहते हुए पलटवार किया कि आईएफएस बदल गया है लेकिन यह घमंड नहीं बल्कि हमारे आत्मविश्वास के बारे में है. भारतीय विदेश मंत्री ने ट्वीट किया कि हां, भारतीय विदेश सेवा बदल गई है. हां, अधिकारी सरकार के आदेशों का पालन करते हैं. वे दूसरों के तर्कों का विरोध करते हैं, मगर इसे अहंकार नहीं आत्मविश्वास कहते हैं और इसे कहते हैं राष्ट्रीय हित की रक्षा.
बता दें कि 2019 में विदेश मंत्री बनने से पहले एस जयशंकर 2015-18 तक भारत के विदेश सचिव रहे. केंद्रीय मंत्री ने कांग्रेस नेता और पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद से प्रतिक्रिया मांगी, जो राहुल गांधी के साथ आइडियाज फॉर इंडिया कॉन्क्लेव में शामिल हुए थे. खुर्शीद ने कहा कि वह विदेश मंत्री की टिप्पणियों से हैरान हैं. उन्होंने कहा कि यहां राहुल गांधी की टिप्पणी के बजाय दूसरों के विचारों को सुनना महत्वपूर्ण था.
जवाब में सलमान खुर्शीद ने ट्वीट किया कि यूरोपियन अधिकारियों के आकलन के बारे में राहुल गांधी के बयान पर विदेश मंत्री की प्रतिक्रिया पर आश्चर्य हुआ. हमारे समय में भी आईएफएस में राष्ट्रहित भी सर्वोपरि था? सुनने की क्षमता आत्मविश्वास है, दूसरे तरीके से नहीं। क्या सरकार ने कहा है, सुनो मत? हमारे राजनयिक सरकारी नीति का पालन करते हैं. लेकिन ऐसा तब होना चाहिए जब उन्होंने आईएफएस में सेवा की हो. सुनें, आत्मसात करें और प्रतिक्रिया दें.
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Was present at RG’s London Samruddh Bharat event. On theme of dialogue he flagged European civil servants’ comment. EAM reacted that our diplomats follow government policy. But so they must have when he served in IFS.Listen, absorb and respond is RG’s theme.
— Salman Khurshid (@salman7khurshid) May 21, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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— Salman Khurshid (@salman7khurshid) May 21, 2022
इस मुद्दे पर कांग्रेस के प्रवक्ता सुरजेवाला भी सामने आए. उन्होंने भारतीय राजनय़िकों पर एक पार्टी के एजेंडे को आगे बढ़ाने का आरोप लगाया. अपने ट्वीट में सुरजेवाला ने कहा कि इसे विदेश नीति की धज्जियां उड़ाते हुए राजनीतिक आकाओं के अधीन होना भी कहा जाता है. इसे हमारे क्षेत्र पर अवैध कब्जे का सामना करने के लिए चीन के सामने खड़ा नहीं होना कहा जाता है. कॉन्क्लेव में राहुल ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा था कि चीनी सैनिक लद्दाख में भारतीय क्षेत्र पर कब्जा कर रहे हैं और वहां पुल बना रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह भारत के हितों के खिलाफ है और देश के सामने सुरक्षा चुनौती पेश करता है.
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