इंदौर। अपने चर्चित बयानों को लेकर हमेशा सुर्खियों में बने रहने वाले तिरुवनंतपुरम के सांसद व वरिष्ठ कांग्रेस नेता शशि थरूर ने हिंदू राष्ट्र के मुद्दे पर देश ही नहीं बल्कि देश की आत्मा के विभाजन की आशंका जताई है. मंगलवार को इंदौर में कांग्रेस नेता पीयूष बबेले की पुस्तक 'गांधी सियासत और सांप्रदायिकता' के विमोचन अवसर पर शशि थरूर ने हिंदू राष्ट्र जैसे मुद्दों पर मोदी सरकार के फैसलों की सीधे तौर पर आलोचना की है. शशि थरूर ने इस दौरान अपने संवाद में कहा वर्तमान मोदी सरकार हिंदू राष्ट्र जैसे धर्म संप्रदाय और जाति की बुनियाद पर देश चलाना चाहती है, लेकिन वर्तमान दौर में जो देश के हालात हैं, उससे लगता है कि हिंदू राष्ट्र जैसे मुद्दे पर मोदी सरकार संविधान की बुनियादी सोच को खत्म करके तथाकथित हिंदू राष्ट्र स्थापित करना चाहती है, लेकिन भारत जैसे देश में यह संभव नहीं है. लिहाजा इसकी परिणति देश के विभाजन ही नहीं बल्कि देश की आत्मा के विभाजन जैसी हो सकती है.
बीजेपी-आरएसएस धर्म की बुनियाद पर चलाना चाहते हैं देश: कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा हमारे देश में संविधान के सारे सिद्धांत चाहे वह धार्मिक स्वतंत्रता हो वोट देने, धर्म, पूजा या पद्धतियों को मानने को लेकर सभी को स्वतंत्रता रही है, लेकिन कुछ लोग कहते हैं कि हिंदू खतरे में हैं, तो हम उन्हें बताना चाहते हैं कि हिंदू कोई खतरे में नहीं है. जब तक कि वह भाजपा में नहीं है. शशि थरूर ने कहा आरएसएस और भाजपा के लोग अपनी मानसिकता के तहत धर्म की बुनियाद पर इस देश को चलाना चाहते हैं. इस देश को चलाने का तरीका यह लोग बदलना चाहते हैं, लेकिन कांग्रेस संविधान को पूरा सम्मान देना चाहती है और हम चाहते हैं कि संविधान का बुनियादी ढांचा बना रहे.
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जमीन नहीं आत्मा का भी हो जाएगा विभाजन: शशि थरूर ने कहा भारत में किसी ने कहीं भी जन्म लिया हो कोई किसी भी संप्रदाय या जाति का हो हम सब भारतीय नागरिक हैं. यही संविधान की मूल भावना रही है. जब संविधान लागू हुआ था, उस जमाने में भी जनसंघ, हिंदू महासभा और आरएसएस के लोगों ने कहा था कि यह संविधान हमारे देश में नहीं चलेगा, क्योंकि यह संविधान अंग्रेजी सोच पर आधारित है. उस जमाने में भी देश के लोगों ने इन लोगों की बात को पसंद नहीं किया था. अब यही लोग कहते हैं कि भारत को हिंदू राष्ट्र बनना चाहिए. इसका मतलब यह हुआ कि यदि आप हिंदू नहीं है तो आप अलग हैं या आपके अधिकार हिंदू जितने नहीं हैं. आप अन्य जाति के हैं तो आप यहां नहीं वहां जाइए, इस तरह की बातें लागू करके यह लोग इस देश के संविधान आधारित तौर तरीका बदलना चाहते हैं, लेकिन भारत जैसे विभिन्न संस्कृतियों वाले देश में यह संभव नहीं है. जाहिर है ऐसी स्थिति में न केवल देश का विभाजन तय है बल्कि देश की आत्मा का भी विभाजन हो जाएगा. जो किसी भी प्रकार से उचित नहीं है.