नई दिल्ली: कांग्रेस ने मंगलवार को 'अमृत काल' के सरकार के दावों पर सवाल उठाते हुए कहा कि पिछले आठ वर्षों में नागरिकता छोड़ने वाले भारतीयों की संख्या में 1.7 गुना की वृद्धि हुई है और 2022 में औसतन 600 व्यक्ति प्रति दिन देश छोड़कर चले गए. सरकार भारत आजादी के 75वें वर्ष का जश्न मना रही है और इसे अमृत काल घोषित कर दिया है. कांग्रेस प्रवक्ता प्रोफेसर गौरव वल्लभ ने कहा, 'पिछले वर्षों में अपनी भारतीय नागरिकता छोड़ने वालों की संख्या में 1.7 गुना की वृद्धि हुई है. जनवरी से अक्टूबर 2022 की अवधि में ऐसे मामलों की सबसे अधिक संख्या देखी गई.'
उन्होंने आगे कहा, '2022 में छोड़ने वाले लगभग 7,000 व्यक्ति उच्च निवल मूल्य वाले व्यक्ति थे, जिनकी वार्षिक आय 8 करोड़ रुपये थी. यह उच्च बेरोजगारी दर और देश में विकास के कम अवसरों के कारण हो रहा है. इसकी वजह नोटबंदी और दोषपूर्ण जीएसटी है. हम सरकार से पूछना चाहते हैं कि इतने सारे भारतीय देश क्यों छोड़ रहे हैं ? क्या यह अमृत काल है? अच्छे दिन कब आएंगे? अच्छे दिनों के लिए हमारे लोगों को देश छोड़ने पर क्यों मजबूर होना पड़ रहा है?'
प्रो. वल्लभ ने विदेश मंत्रालय से प्राप्त आंकड़ों का हवाला दिया, जिसमें 2014 में भारतीय नागरिकता छोड़ने वालों की औसत संख्या 354 थी, जो 2021 में 448 और 2022 में 604 हो गई. मंत्रालय के अनुसार, 2014 में भारतीय नागरिकता छोड़ने वालों की वास्तविक संख्या 1,29,328 थी, 2021 में यह बढ़कर 1,63,370 हो गई और 2022 में यह 31 अक्टूबर तक 1,83,741 हो गई. प्रोफेसर वल्लभ ने कहा, 'इसमें 2014 के बाद से 1.7 गुना की वृद्धि देखी गई है. अगर हमारी वैश्विक रैंकिंग लगातार गिर रही है, तो ऐसा होना तय है.'
कांग्रेस नेता ने भारतीयों द्वारा अपनी नागरिकता छोड़ने के कारणों के रूप में लगातार उच्च बेरोजगारी और कम जीडीपी विकास के अवसरों को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने सेंटर फॉर मॉनिटरिंग ऑफ इंडियन इकोनॉमी डेटा का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि 2022 के दौरान बेरोजगारी दर लगातार बहुत अधिक थी. प्रो वल्लभ ने कहा, 'यह 12 में से 9 महीनों के लिए 7 प्रतिशत से अधिक था और 4 महीनों के लिए यह 8 प्रतिशत से अधिक था. दिसंबर के लिए यह कुल मिलाकर 8.3 प्रतिशत और शहरी भारत के लिए 10 प्रतिशत था.'
उन्होंने आगे कहा कि नोटबंदी के दोहरे झटकों और त्रुटिपूर्ण जीएसटी के कारण, भारतीय सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 2017 में 8.3 प्रतिशत से गिरकर 2020 में 3.7 प्रतिशत हो गई और 2020 के लॉकडाउन के कारण 2021 में सकल घरेलू उत्पाद शून्य से 6.7 प्रतिशत नीचे गिर गया. प्रोफेसर वल्लभ ने कहा, '2022 के लिए, सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि 8.7 प्रतिशत थी, लेकिन 2021 में कम आधार वृद्धि के कारण यहां जश्न मनाने के लिए कुछ भी नहीं है.'
उन्होंने इस तथ्य पर खेद व्यक्त किया कि भारत 2022 में ग्लोबल हंगर इंडेक्स में 121 देशों में से 107वें स्थान पर था, जो 2021 में 101वें स्थान से नीचे था. प्रोफेसर वल्लभ ने कहा, 'अफगानिस्तान के अलावा, अन्य सभी एशियाई देश वैश्विक भूख सूचकांक में हमसे बेहतर कर रहे हैं.' इसके अलावा, उन्होंने कहा कि वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम द्वारा जारी 2022 के ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स ने भारत को 146 देशों में से 135वें स्थान पर रखा है, जबकि रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स द्वारा प्रकाशित वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स ने अपनी 2022 की रिपोर्ट में 180 देशों में भारत को 150वें स्थान पर रखा है.
प्रोफेसर वल्लभ ने कहा, 'रिपोर्ट में आगे उल्लेख किया गया है कि भारत मीडिया के लिए दुनिया के सबसे खतरनाक देशों में से एक था.' कांग्रेस नेता ने आगे उल्लेख किया कि संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की रिपोर्ट और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में ऑक्सफोर्ड गरीबी और मानव विकास पहल के अनुसार 2020 में भारत में दुनिया में सबसे अधिक गरीब 228.9 मिलियन थे. प्रो. वल्लभ ने कहा, 'हमने 2020 महामारी के दौरान वैश्विक चरम गरीबी में अधिकतम संख्या 79 प्रतिशत जोड़ी. हमारे पीएम इस मुद्दे पर मन की बात कब करेंगे.'