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शीतकालीन सत्र: विपक्षी दलों ने किसानों के कई मुद्दों पर तय की रणनीति

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Published : Nov 29, 2021, 9:34 AM IST

Updated : Nov 29, 2021, 12:29 PM IST

कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक में तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी विधेयक सहित कई मुद्दों को लेकर रणनीति पर चर्चा की गई.

मल्‍ल‍िकार्जुन खड़गे
मल्‍ल‍िकार्जुन खड़गे

नई दिल्ली : कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों के नेताओं ने सोमवार को संसद के शीतकालीन सत्र के आरंभ होने से पहले बैठक की जिसमें तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी विधेयक सहित कई मुद्दों को लेकर रणनीति पर चर्चा की गई. सूत्रों के मुताबिक, राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के संसद भवन स्थित कक्ष में हुई इस बैठक में इन विपक्षी दलों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी दिए जाने की जरूरत पर जोर दिया.

इस बैठक में खड़गे के अलावा लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी एवं मुख्य सचेतक के. सुरेश, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सुप्रिया सुले, नेशनल कांफ्रेंस के हसनैन मसूदी, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) के एनके प्रेमचंद्रन और कुछ अन्य नेता शामिल हुए. वहीं, विपक्षी पार्टियों की इस बैठक में TMC ने पहले ही शामिल होने से साफ मना कर दिया था.

इस बीच, राज्यसभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक जयराम रमेश ने दावा किया कि सरकार तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी विधेयक को चर्चा के बिना पारित करना चाहती है.

उन्होंने ट्वीट किया कि मोदी सरकार तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी विधेयक को बिना किसी चर्चा के संसद में आगे बढ़ाना चाहती है. 16 महीने पहले जिस तरह से तीनों कानूनों को पारित किया गया था वह अलोकतांत्रिक था. इस तरह से कानूनों को निरस्त करना और भी अलोकतांत्रिक होगा. विपक्ष इन कानूनों को निरस्त किए जाने से पहले चर्चा की मांग करता है.

बता दें कि रविवार को सरकार द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में करीब 30 दलों ने हिस्सा लिया था. इसमें विपक्षी दलों ने पेगासस जासूसी विवाद, महंगाई, कृषि कानूनों, बेरोजगारी, वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के साथ तनाव सहित कुछ अन्य मुद्दों को उठाया और चर्चा कराने की मांग की. विपक्षी दलों ने सरकार को रचनात्मक मुद्दों पर सकारात्मक सहयोग देने का आश्चासन दिया.

वहीं, रविवार को बुलाई गई बैठक से साफ हो गया है कि इस बार सरकार को घेरने में कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस (TMC) के सूर एक नहीं होंगे. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने संकेत दिया कि उन्‍हें विपक्ष में कांग्रेस का नेतृत्‍व स्‍वीकार नहीं है.

बैठक के बाद राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने संवाददाताओं से कहा कि सर्वदलीय बैठक में 15-20 महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई. सभी दलों ने मांग की कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाने पर सरकार तुरंत ध्यान दे. उन्होंने कहा कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों को मुआवजा देने का विषय, महंगाई, पेट्रोल-डीजल की कीमतों में वृद्धि का मुद्दा भी बैठक में उठा. इसके अलावा बिजली संशोधन विधेयक पर भी सरकार से ध्यान देने को कहा गया है.

उन्होंने कहा कि सरकार ने उनसे कहा कि कुछ विधेयकों को पेश करने के बाद वह उसे संसद की स्थाई समिति को भेजना चाहती है. इस बारे में कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में सोमवार को तय हो जाएगा.

खड़गे ने कहा कि हम सरकार को सहयोग करना चाहते हैं. अच्छे विधेयक आएंगे तब हम सरकार को सहयोग करेंगे. अगर हमारी बात नहीं मानी (चर्चा को लेकर) गई, तब सदन में व्यवधान की जिम्मेदारी सरकार की होगी.

पढ़ें : संसद का शीतकालीन सत्र आज से, कृषि कानूनों की वापसी का बिल पेश करेगी सरकार

कांग्रेस नेता खड़गे ने कहा कि बैठक में कोविड-19 की तीसरी लहर की आशंका के बारे में भी चर्चा हुई.

उन्होंने कहा कि हमने सरकार से मांग की है कि कोविड महामारी के कारण जान गंवाने वालों को चार लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए. इसके अलावा तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों को भी मुआवजा दिया जाए.

खड़गे ने कहा कि हम अपेक्षा कर रहे थे कि बैठक में प्रधानमंत्री आएंगे, लेकिन किसी कारण से वह नहीं आए. उन्होंने कहा कि हम प्रधानमंत्री से कृषि कानूनों को लेकर कुछ बातों पर स्थिति स्पष्ट करना चाहते थे. खड़गे ने कहा कि प्रधानमंत्री ने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की और माफी मांगते हुए कहा कि वे किसानों को समझा नहीं पाए.

कांग्रेस नेता ने कहा कि इसका अर्थ यह है कि कल किसी दूसरे रूप में इन कानूनों को लाया जाएगा, हम इस पर स्थिति स्पष्ट करना चाहते थे.

विपक्षी नेताओं ने पश्चिम बंगाल सहित कुछ राज्यों में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) का अधिकार क्षेत्र बढ़ाए जाने और संघीय ढांचे का मुद्दा भी उठाया. समझा जाता है कि तृणमूल कांग्रेस के नेताओं-सुदीप बंदोपाध्याय और डेरेक ओ ब्रायन ने लाभकारी सार्वजनिक उपक्रमों के विनिवेश और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून लाने का मुद्दा भी उठाया.

पढ़ें : शीत सत्र से पहले विपक्षी दलों की बैठक में शामिल होने का फैसला टीएमसी को करना है : कांग्रेस

बैठक में तृणमूल कांग्रेस ने 10 बिन्दुओं को उठाया, जिसमें महंगाई, बेरोजगारी, संघीय ढांचे का मुद्दा, मुनाफा कमाने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का विनिवेश, कुछ राज्यों में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) का अधिकार क्षेत्र बढ़ाए जाने, संघीय ढांचे, कोविड-19 की स्थिति तथा महिला आरक्षण विधेयक आदि का मुद्दा शामिल है. वहीं,

वहीं, आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह बीच में ही बैठक छोड़कर बाहर निकल गए. सिंह ने संवाददाताओं से कहा कि वे बैठक में किसानों, न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाने के विषय को उठा रहे थे, लेकिन बीच में ही टोका-टोकी की गई.

सूत्रों ने बताया कि तृणमूल कांग्रेस, वाईएसआर कांग्रेस और द्रमुक ने सुझाव दिया कि सोमवार से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान महिला आरक्षण संबंधी विधेयक चर्चा के लिए लाया जाए. इन दलों ने कहा कि यह सही वक्त है, जब देश के नीति निर्माण के कार्यों में महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व दिया जाए.

सूत्रों ने बताया कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने जम्मू कश्मीर का मुद्दा उठाया और इसे जल्द राज्य का दर्जा प्रदान करने की मांग की. बहुजन समाज पार्टी ने किसानों के मुद्दे के अलावा दलितों के खिलाफ अत्याचार और पदोन्नति में आरक्षण का मुद्दा उठाया.

समाजवादी पार्टी ने किसानों का मुद्दा उठाया और लखीमपुरी खीरी हिंसा से जुड़े मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की, जिनके पुत्र को इस मामले में गिरफ्तार किया गया है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों के नेताओं ने सोमवार को संसद के शीतकालीन सत्र के आरंभ होने से पहले बैठक की जिसमें तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी विधेयक सहित कई मुद्दों को लेकर रणनीति पर चर्चा की गई. सूत्रों के मुताबिक, राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के संसद भवन स्थित कक्ष में हुई इस बैठक में इन विपक्षी दलों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी दिए जाने की जरूरत पर जोर दिया.

इस बैठक में खड़गे के अलावा लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी एवं मुख्य सचेतक के. सुरेश, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सुप्रिया सुले, नेशनल कांफ्रेंस के हसनैन मसूदी, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) के एनके प्रेमचंद्रन और कुछ अन्य नेता शामिल हुए. वहीं, विपक्षी पार्टियों की इस बैठक में TMC ने पहले ही शामिल होने से साफ मना कर दिया था.

इस बीच, राज्यसभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक जयराम रमेश ने दावा किया कि सरकार तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी विधेयक को चर्चा के बिना पारित करना चाहती है.

उन्होंने ट्वीट किया कि मोदी सरकार तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी विधेयक को बिना किसी चर्चा के संसद में आगे बढ़ाना चाहती है. 16 महीने पहले जिस तरह से तीनों कानूनों को पारित किया गया था वह अलोकतांत्रिक था. इस तरह से कानूनों को निरस्त करना और भी अलोकतांत्रिक होगा. विपक्ष इन कानूनों को निरस्त किए जाने से पहले चर्चा की मांग करता है.

बता दें कि रविवार को सरकार द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में करीब 30 दलों ने हिस्सा लिया था. इसमें विपक्षी दलों ने पेगासस जासूसी विवाद, महंगाई, कृषि कानूनों, बेरोजगारी, वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के साथ तनाव सहित कुछ अन्य मुद्दों को उठाया और चर्चा कराने की मांग की. विपक्षी दलों ने सरकार को रचनात्मक मुद्दों पर सकारात्मक सहयोग देने का आश्चासन दिया.

वहीं, रविवार को बुलाई गई बैठक से साफ हो गया है कि इस बार सरकार को घेरने में कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस (TMC) के सूर एक नहीं होंगे. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने संकेत दिया कि उन्‍हें विपक्ष में कांग्रेस का नेतृत्‍व स्‍वीकार नहीं है.

बैठक के बाद राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने संवाददाताओं से कहा कि सर्वदलीय बैठक में 15-20 महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई. सभी दलों ने मांग की कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाने पर सरकार तुरंत ध्यान दे. उन्होंने कहा कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों को मुआवजा देने का विषय, महंगाई, पेट्रोल-डीजल की कीमतों में वृद्धि का मुद्दा भी बैठक में उठा. इसके अलावा बिजली संशोधन विधेयक पर भी सरकार से ध्यान देने को कहा गया है.

उन्होंने कहा कि सरकार ने उनसे कहा कि कुछ विधेयकों को पेश करने के बाद वह उसे संसद की स्थाई समिति को भेजना चाहती है. इस बारे में कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में सोमवार को तय हो जाएगा.

खड़गे ने कहा कि हम सरकार को सहयोग करना चाहते हैं. अच्छे विधेयक आएंगे तब हम सरकार को सहयोग करेंगे. अगर हमारी बात नहीं मानी (चर्चा को लेकर) गई, तब सदन में व्यवधान की जिम्मेदारी सरकार की होगी.

पढ़ें : संसद का शीतकालीन सत्र आज से, कृषि कानूनों की वापसी का बिल पेश करेगी सरकार

कांग्रेस नेता खड़गे ने कहा कि बैठक में कोविड-19 की तीसरी लहर की आशंका के बारे में भी चर्चा हुई.

उन्होंने कहा कि हमने सरकार से मांग की है कि कोविड महामारी के कारण जान गंवाने वालों को चार लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए. इसके अलावा तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों को भी मुआवजा दिया जाए.

खड़गे ने कहा कि हम अपेक्षा कर रहे थे कि बैठक में प्रधानमंत्री आएंगे, लेकिन किसी कारण से वह नहीं आए. उन्होंने कहा कि हम प्रधानमंत्री से कृषि कानूनों को लेकर कुछ बातों पर स्थिति स्पष्ट करना चाहते थे. खड़गे ने कहा कि प्रधानमंत्री ने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की और माफी मांगते हुए कहा कि वे किसानों को समझा नहीं पाए.

कांग्रेस नेता ने कहा कि इसका अर्थ यह है कि कल किसी दूसरे रूप में इन कानूनों को लाया जाएगा, हम इस पर स्थिति स्पष्ट करना चाहते थे.

विपक्षी नेताओं ने पश्चिम बंगाल सहित कुछ राज्यों में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) का अधिकार क्षेत्र बढ़ाए जाने और संघीय ढांचे का मुद्दा भी उठाया. समझा जाता है कि तृणमूल कांग्रेस के नेताओं-सुदीप बंदोपाध्याय और डेरेक ओ ब्रायन ने लाभकारी सार्वजनिक उपक्रमों के विनिवेश और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून लाने का मुद्दा भी उठाया.

पढ़ें : शीत सत्र से पहले विपक्षी दलों की बैठक में शामिल होने का फैसला टीएमसी को करना है : कांग्रेस

बैठक में तृणमूल कांग्रेस ने 10 बिन्दुओं को उठाया, जिसमें महंगाई, बेरोजगारी, संघीय ढांचे का मुद्दा, मुनाफा कमाने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का विनिवेश, कुछ राज्यों में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) का अधिकार क्षेत्र बढ़ाए जाने, संघीय ढांचे, कोविड-19 की स्थिति तथा महिला आरक्षण विधेयक आदि का मुद्दा शामिल है. वहीं,

वहीं, आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह बीच में ही बैठक छोड़कर बाहर निकल गए. सिंह ने संवाददाताओं से कहा कि वे बैठक में किसानों, न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाने के विषय को उठा रहे थे, लेकिन बीच में ही टोका-टोकी की गई.

सूत्रों ने बताया कि तृणमूल कांग्रेस, वाईएसआर कांग्रेस और द्रमुक ने सुझाव दिया कि सोमवार से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान महिला आरक्षण संबंधी विधेयक चर्चा के लिए लाया जाए. इन दलों ने कहा कि यह सही वक्त है, जब देश के नीति निर्माण के कार्यों में महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व दिया जाए.

सूत्रों ने बताया कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने जम्मू कश्मीर का मुद्दा उठाया और इसे जल्द राज्य का दर्जा प्रदान करने की मांग की. बहुजन समाज पार्टी ने किसानों के मुद्दे के अलावा दलितों के खिलाफ अत्याचार और पदोन्नति में आरक्षण का मुद्दा उठाया.

समाजवादी पार्टी ने किसानों का मुद्दा उठाया और लखीमपुरी खीरी हिंसा से जुड़े मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की, जिनके पुत्र को इस मामले में गिरफ्तार किया गया है.

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Nov 29, 2021, 12:29 PM IST
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