बेंगलुरु: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी और पूर्व एआईसीसी अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस एक ऐसी राजनीतिक स्थिति में पहुंच गई है, जहां ये राष्ट्रीय दल अगले विधानसभा चुनाव के लिए सीएम उम्मीदवार की घोषणा नहीं भी करें तो काम चल जाएगा. क्योंकि अभी चुनाव मोदी बनाम राहुल है.
आमतौर पर लोकसभा या विधानसभा का चुनाव किसी नेता के नेतृत्व में लड़ा जाता है. राजनीतिक दल चुनाव से काफी पहले नाम की घोषणा कर देते हैं कि चुनाव जीतने पर मुख्यमंत्री कौन होगा. वे इसका राजनीतिक लाभ लेने की भी कोशिश करते हैं लेकिन फिलहाल बीजेपी और कांग्रेस राज्य विधानसभा चुनाव के लिए मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने की स्थिति में नहीं दिख रहे हैं.
2008 में भाजपा ने घोषणा की कि वह येदियुरप्पा के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ेगी, अब यह सार्वजनिक रूप से घोषित नहीं किया गया है कि इस चुनाव को जीतने के बाद पार्टी का मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार कौन होगा. यह केवल इस बात का संकेत दे रहा है कि चुनाव सामूहिक नेतृत्व में लड़ा जाएगा. भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले केंद्रीय मंत्री अमित शाह, जिन्होंने एक बार एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कहा था कि विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के नेतृत्व में होंगे, चुनाव नजदीक आने पर भाजपा के नेतृत्व के बारे में चुप्पी साधे चुके हैं.
मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव होने पर क्या अधिक सीटें जीतना और सत्ता में आना संभव होगा, इस सवाल का खुद भाजपा में कोई स्पष्ट जवाब नहीं है. अगर बीजेपी सत्ता में आती है तो मुख्यमंत्री बनने के कई दावेदार हैं. लेकिन पार्टी के नेताओं के पास ऐसा कोई नहीं है जिसके बल पर सबसे ज्यादा सीटों पर जीत हासिल की जा सके.
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी, भाजपा के राष्ट्रीय संगठन सचिव बी. एल. संतोष, केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव सीटी रवि, पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार, पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा के बेटे बी. वाई. विजयेंद्र, राजस्व मंत्री आर. अशोक, उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. अश्वत्थनारायण, उद्योग मंत्री मुरुगेश निरानी, विधायक बासनगौड़ा यतनाल, सांसद शिवकुमार उदासी, पूर्व मंत्री सुरेश कुमार, विधानसभा अध्यक्ष विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी सहित कई अन्य दौड़ में हैं. लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों की राय है कि भाजपा आलाकमान को इस बात का कोई भरोसा नहीं है कि उनके नेतृत्व में चुनाव होने पर पार्टी सत्ता में आएगी.
कांग्रेस के भीतर भ्रम: कांग्रेस पार्टी में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार को लेकर असमंजस बीजेपी से अलग है. पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और केपीसीसी अध्यक्ष डीकेएस दौड़ में हैं. कहा जा रहा है कि इनके बीच सीएम बनने की होड़ मची हुई है. कांग्रेस आलाकमान दोनों के बीच मतभेदों को दूर करने में विफल रहा है. मौजूदा स्थिति में कांग्रेस आलाकमान इन दोनों में से किसी का भी विरोध करने की स्थिति में नहीं है. इसलिए सामूहिक नेतृत्व में विधानसभा चुनाव का सामना करने के बाद पार्टी के सत्ता में आने के बाद विधायकों की राय के आधार पर मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार का चयन करना तय किया गया है.
पता चला है कि पूर्व सीएम सिद्धारमैया ने हालांकि विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा के लिए आलाकमान पर दबाव बनाया था, लेकिन केपीसीसी अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने इस पर रोक लगा दी है. उनके साथ पर्दे के पीछे विधान परिषद में विपक्ष के नेता बीके हरिप्रसाद, पूर्व मंत्री एचके पाटिल, एमबी पाटिल, आरवी देशपांडे, शमनूर शिवशंकरप्पा, पूर्व केंद्रीय मंत्री केएच मुनियप्पा, पूर्व उपमुख्यमंत्री डॉ. जी परमेश्वर, और कई अन्य शामिल हैं. दोनों ही मुख्यमंत्री बनने के इच्छुक हैं और सही समय का इंतजार कर रहे हैं.
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