नई दिल्ली: कांग्रेस ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी सरकार के खिलाफ दिए गए ‘रेट कार्ड’ संबंधी विज्ञापन पर निर्वाचन आयोग द्वारा नोटिस जारी किए जाने के बाद आयोग पर पक्षपात का आरोप लगाया तथा जवाब देने के लिए और समय की मांग की है. मुख्य विपक्षी दल का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा के कुछ अन्य वरिष्ठ नेताओं की ओर से आचार संहिता का ‘बार-बार और सरेआम’ उल्लंघन किए जाने के बावजूद निर्वाचन आयोग ने उन्हें न तो नोटिस जारी किया और न ही उनकी निंदा की.
आयोग की ओर से दिए गए नोटिस के 'आरंभिक जवाब' में पार्टी के नेता और अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने यह भी कहा कि आयोग की ओर से जवाब के लिए प्रदान किया गया 24 घंटे का समय पर्याप्त नहीं है क्योंकि कर्नाटक विधानसभा चुनाव का प्रचार अभियान अपने आखिरी दौर में है. निर्वाचन आयोग ने भाजपा के खिलाफ अखबारों में प्रकाशित 'भ्रष्टाचार रेट कार्ड' विज्ञापनों को लेकर गत शनिवार को कांग्रेस की कर्नाटक इकाई को नोटिस जारी किया था और कहा था कि आरोपों को साबित करने के लिए रविवार शाम तक 'अनुभवजन्य' साक्ष्य उपलब्ध कराए जाएं.
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भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के बाद नोटिस जारी किया गया. कांग्रेस ने दावा किया, 'निर्वाचन आयोग की कार्रवाई प्रथम दृष्टया संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन है... यह स्पष्ट है कि कांग्रेस के साथ पक्षपातपूर्ण और असमान व्यवहार हो रहा है. ऐसा लगता है कि कांग्रेस नेताओं पर वही मापदंड लागू किया गया है जो सिर्फ विपक्ष के लिए तय है.' उल्लेखनीय है कि कर्नाटक में 10 मई को होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने 2019 और 2023 के बीच राज्य में 'भ्रष्टाचार दर' को सूचीबद्ध करते हुए पोस्टर और विज्ञापन जारी किए थे तथा भाजपा सरकार को 'ट्रबल इंजन' करार दिया था.
पीटीआई-भाषा