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कांग्रेस ने 'कैग की अंतरिम रिपोर्ट' का हवाला देकर आईटी मंत्रालय पर अनियमितता का आरोप लगाया - दूरसंचार विभाग

नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कांग्रेस ने मोदी सरकार पर हमला बोला है. पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा,' कैग की एक अंतरिम रिपोर्ट में यह कहा गया है कि जुलाई, 2019 से दिसंबर, 2020 तक इस मंत्रालय के तहत करोड़ों रुपये फाइबर केबल के रखरखाव और परिचालन के लिए सीएससी (कॉमन सर्विस सेंटर) को दिए गए.' इसके साथ ही उन्होने इस मामले की जांच की मांग की है.

पवन खेड़ा
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Published : Jul 17, 2021, 10:17 PM IST

नई दिल्ली : कांग्रेस ने नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की एक अंतरिम रिपोर्ट का हवाला देते हुए शनिवार को आरोप लगाया कि अनियमितता के कारण केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय का भारत नेट कार्यक्रम तेजी नहीं पकड़ सका.

मुख्य विपक्षी पार्टी ने इस मामले में उच्च स्तरीय जांच की मांग की. सरकार की तरफ से कांग्रेस के आरोप पर फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया,'इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय पर कैग की रिपोर्ट भारी अनियमितताओं का खुलासा करती है. क्या दूरसंचार विभाग और भारत सरकार ने बिना निविदा के ठेके दिए? क्या बिना किसी औपचारिक करार के करोड़ों रुपये का भुगतान किया जा सकता है? इसके लिए जिम्मेदार कौन है? क्या सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री जवाब देंगे?'

पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा,' कैग की एक अंतरिम रिपोर्ट में यह कहा गया है कि जुलाई, 2019 से दिसंबर, 2020 तक इस मंत्रालय के तहत करोड़ों रुपये फाइबर केबल के रखरखाव और परिचालन के लिए सीएससी (कॉमन सर्विस सेंटर) को दिए गए.'

उनके मुताबिक,'यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड' (यूएसओएफ) में सभी निजी कंपनियों को योगदान देना होता है. कैग कहता है कि यूएसओएफ सीएससी पर ‘भारत नेट’ के काम में विलंब के लिए जुर्माना नहीं लगा सका...सेवा से जुड़े करार के अभाव और गड़बड़ी को दूर करने के लिए समयसीमा तय नहीं होने के चलते सीएससी के लिए कोई प्रतिरोध नहीं था.'

उन्होंने आरोप लगाया कि दूरसंचार विभाग सीएससी-एसपीवी और अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली इकाई ‘सीएससी वाई-फाई चौपाल सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड’ के माध्यम से निजी क्षेत्र की कंपनियों को परोक्ष रूप से ठेके दे रहा था.

उन्होंने दावा किया कि इस माध्यम से करोड़ों रुपये का गबन किया गया.

खेड़ा ने सवाल किया,'प्रधानमंत्री को बताना चाहिए कि क्या सिर्फ एक कैबिनेट मंत्री का इस्तीफा लेना पर्याप्त है? भाजपा और सीएसी-एसपीवी के बीच क्या संबंध है? उन्होंने कहा कि इस मामले की उच्च स्तरीय और स्वतंत्र जांच होनी चाहिए.

खेड़ा ने कहा, डीओटी की वेबसाइट के अनुसार, जनवरी 2021 तक यूएसओएफ ने 1,12,2650 करोड़ रुपये एकत्र किए थे, जिसमें से 57,433 करोड़ रुपये वितरित किए जा चुके हैं.

कांग्रेस प्रवक्ता ने सवाल किया कि सीएजी की प्रारंभिक रिपोर्ट और एमईआईटीवाई के कामकाज पर इन निष्कर्षों के बाद, क्या केंद्रीय मंत्रिमंडल से एक मंत्री को हटाना पर्याप्त है? उन्होंने आगे कहा कि हम मंत्रालय की गतिविधियों की स्वतंत्र, उच्च स्तरीय, समयबद्ध जांच की मांग करते हैं.

नई दिल्ली : कांग्रेस ने नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की एक अंतरिम रिपोर्ट का हवाला देते हुए शनिवार को आरोप लगाया कि अनियमितता के कारण केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय का भारत नेट कार्यक्रम तेजी नहीं पकड़ सका.

मुख्य विपक्षी पार्टी ने इस मामले में उच्च स्तरीय जांच की मांग की. सरकार की तरफ से कांग्रेस के आरोप पर फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया,'इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय पर कैग की रिपोर्ट भारी अनियमितताओं का खुलासा करती है. क्या दूरसंचार विभाग और भारत सरकार ने बिना निविदा के ठेके दिए? क्या बिना किसी औपचारिक करार के करोड़ों रुपये का भुगतान किया जा सकता है? इसके लिए जिम्मेदार कौन है? क्या सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री जवाब देंगे?'

पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा,' कैग की एक अंतरिम रिपोर्ट में यह कहा गया है कि जुलाई, 2019 से दिसंबर, 2020 तक इस मंत्रालय के तहत करोड़ों रुपये फाइबर केबल के रखरखाव और परिचालन के लिए सीएससी (कॉमन सर्विस सेंटर) को दिए गए.'

उनके मुताबिक,'यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड' (यूएसओएफ) में सभी निजी कंपनियों को योगदान देना होता है. कैग कहता है कि यूएसओएफ सीएससी पर ‘भारत नेट’ के काम में विलंब के लिए जुर्माना नहीं लगा सका...सेवा से जुड़े करार के अभाव और गड़बड़ी को दूर करने के लिए समयसीमा तय नहीं होने के चलते सीएससी के लिए कोई प्रतिरोध नहीं था.'

उन्होंने आरोप लगाया कि दूरसंचार विभाग सीएससी-एसपीवी और अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली इकाई ‘सीएससी वाई-फाई चौपाल सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड’ के माध्यम से निजी क्षेत्र की कंपनियों को परोक्ष रूप से ठेके दे रहा था.

उन्होंने दावा किया कि इस माध्यम से करोड़ों रुपये का गबन किया गया.

खेड़ा ने सवाल किया,'प्रधानमंत्री को बताना चाहिए कि क्या सिर्फ एक कैबिनेट मंत्री का इस्तीफा लेना पर्याप्त है? भाजपा और सीएसी-एसपीवी के बीच क्या संबंध है? उन्होंने कहा कि इस मामले की उच्च स्तरीय और स्वतंत्र जांच होनी चाहिए.

खेड़ा ने कहा, डीओटी की वेबसाइट के अनुसार, जनवरी 2021 तक यूएसओएफ ने 1,12,2650 करोड़ रुपये एकत्र किए थे, जिसमें से 57,433 करोड़ रुपये वितरित किए जा चुके हैं.

कांग्रेस प्रवक्ता ने सवाल किया कि सीएजी की प्रारंभिक रिपोर्ट और एमईआईटीवाई के कामकाज पर इन निष्कर्षों के बाद, क्या केंद्रीय मंत्रिमंडल से एक मंत्री को हटाना पर्याप्त है? उन्होंने आगे कहा कि हम मंत्रालय की गतिविधियों की स्वतंत्र, उच्च स्तरीय, समयबद्ध जांच की मांग करते हैं.

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