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सदन में चर्चा न कराने पर राहुल समेत कांग्रेस नेताओं के 'निशाने पर सरकार'

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Published : Nov 29, 2021, 9:37 PM IST

लोकसभा और राज्यसभा दोनों में तीनों विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए विधेयक पारित किए गए. हालांकि विधेयक पर चर्चा और बहस नहीं कराने पर कांग्रेस ने सरकार पर निशाना साधा है. 'ईटीवी भारत' संवाददाता नियामिका सिंह ने इसे लेकर कई नेताओं से बात की जानिए उन्होंने क्या कहा.

Congress leader ( ETV Bharat )
कांग्रेस नेताओं से खास बातचीत (फोटो-ईटीवी भारत)

नई दिल्ली : कृषि कानूनों के निरस्त होने पर राहुल गांधी (rahul gandhi farm laws repeal) ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि, 'हमने पहले कहा था कि कृषि कानूनों को वापस लेना होगा और हमने ऐसा इसलिए कहा था क्योंकि हम समझ गए थे कि 3 या 4 बड़े पूंजीपतियों की ताकत भारत के किसानों और भारत के मजदूरों के सामने टिक नहीं सकती. ऐसा हुआ भी. तीन काले कानूनों को रद्द करना पड़ा.'

सुनिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने क्या कहा

उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य की बात यह है कि बिना किसी चर्चा के, बिना किसी बातचीत के बिलों को कैसे निरस्त कर दिया गया. उन्होंने कहा, 'हम इन बिलों के पीछे की ताकतों के बारे में बातचीत करना चाहते थे, क्योंकि ये बिल केवल प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण को नहीं दर्शाते हैं, ये बिल प्रधानमंत्री के पीछे की शक्ति, लोगों की शक्ति और इसके पीछे की ताकतों को दर्शाते हैं. प्रधानमंत्री और हम यही चर्चा करना चाहते थे कि इन बिलों के पीछे वास्तव में कौन है? इन तीन विधेयकों के पीछे कौन-सी ताकतें हैं?'

डॉ. अमर सिंह से खास बातचीत

कांग्रेस पार्टी बार-बार एमएसपी गारंटी, लखीमपुर खीरी घटना, इस आंदोलन में मारे गए 700 किसानों के परिवारों को मुआवजे और किसानों की मांग से जुड़े कई अन्य मुद्दों पर चर्चा की मांग कर रही है. उन्होंने आरोप लगाया, 'यह इस तथ्य का प्रतिबिंब है कि सरकार इस चर्चा से डरती है. सरकार छिपाना चाहती है. सरकार में अपनी कार्रवाई के लिए खड़े होने की हिम्मत नहीं है और यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है.'

कांग्रेस सांसद प्रताप सिंह बाजवा से खास बातचीत

यह पूछे जाने पर कि क्या मोदी सरकार इन कानूनों को फिर से ला सकती है, राहुल गांधी ने जवाब दिया, 'यह एक अलग घटना नहीं है. इस पूरे साधन (संसद) पर उन्हीं ताकतों ने कब्जा कर लिया है जो कृषि बिलों को आगे बढ़ा रही हैं. यह वही ताकतें हैं जिन्होंने विमुद्रीकरण को अंजाम दिया. यह वही ताकतें हैं जिन्होंने एक त्रुटिपूर्ण जीएसटी लगाया, वही ताकतें हैं जिन्होंने कोविड के दौरान गरीब लोगों को कोई पैसा नहीं दिया, इसलिए सवाल यह नहीं है कि सरकार इन कृषि कानूनों को फिर से लागू करने की कोशिश कर रही है या नहीं. सवाल यह है कि सरकार को एक समूह द्वारा कब्जा कर लिया गया है, जो इस देश के गरीब लोगों के खिलाफ है. वे देश के गरीब लोगों के भविष्य को नुकसान पहुंचाने के लिए कुछ भी कर सकते हैं, करेंगे.'

कांग्रेस नेता हिबी ईडेन से खास बातचीत

पढ़ें- farm laws repeal : बिल संसद में बिना चर्चा के पारित, राहुल बोले- डरती है सरकार

वहीं इस पूरे मामले पर 'ईटीवी भारत' से बात करते हुए कांग्रेस सांसद रवनीत बिट्टू ने आरोप लगाया कि पंजाब और उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर यह निर्णय लिया गया है. वहीं. कांग्रेस सांसद अमी याज्ञनिक ने राष्ट्रीय राजधानी में किसानों के विरोध के अधिकार को छीनने के लिए सरकार पर निशाना साधा. हिबी ईडन, प्रताप सिंह बाजवा, गुरजीत औजला, डॉ. अमर सिंह ने भी सरकार के इस कदम को आड़े हाथों लिया. कांग्रेस नेताओं ने यह भी कहा है कि वह विरोध करने वाले किसानों के लिए मुद्दों को उठाना जारी रखेंगे चाहे वह एमएसपी के लिए एक अलग कानून के बारे में हो, या उन किसानों के परिवारों को मुआवजे के बारे में जो आंदोलन के दौरान मारे गए थे.

कांग्रेस नेता गुरजीत सिंह औजला से खास बातचीत

पढ़ें- Rajya Sabha Suspension : कांग्रेस के 6 सांसदों समेत 12 राज्य सभा सदस्य निलंबित

नई दिल्ली : कृषि कानूनों के निरस्त होने पर राहुल गांधी (rahul gandhi farm laws repeal) ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि, 'हमने पहले कहा था कि कृषि कानूनों को वापस लेना होगा और हमने ऐसा इसलिए कहा था क्योंकि हम समझ गए थे कि 3 या 4 बड़े पूंजीपतियों की ताकत भारत के किसानों और भारत के मजदूरों के सामने टिक नहीं सकती. ऐसा हुआ भी. तीन काले कानूनों को रद्द करना पड़ा.'

सुनिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने क्या कहा

उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य की बात यह है कि बिना किसी चर्चा के, बिना किसी बातचीत के बिलों को कैसे निरस्त कर दिया गया. उन्होंने कहा, 'हम इन बिलों के पीछे की ताकतों के बारे में बातचीत करना चाहते थे, क्योंकि ये बिल केवल प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण को नहीं दर्शाते हैं, ये बिल प्रधानमंत्री के पीछे की शक्ति, लोगों की शक्ति और इसके पीछे की ताकतों को दर्शाते हैं. प्रधानमंत्री और हम यही चर्चा करना चाहते थे कि इन बिलों के पीछे वास्तव में कौन है? इन तीन विधेयकों के पीछे कौन-सी ताकतें हैं?'

डॉ. अमर सिंह से खास बातचीत

कांग्रेस पार्टी बार-बार एमएसपी गारंटी, लखीमपुर खीरी घटना, इस आंदोलन में मारे गए 700 किसानों के परिवारों को मुआवजे और किसानों की मांग से जुड़े कई अन्य मुद्दों पर चर्चा की मांग कर रही है. उन्होंने आरोप लगाया, 'यह इस तथ्य का प्रतिबिंब है कि सरकार इस चर्चा से डरती है. सरकार छिपाना चाहती है. सरकार में अपनी कार्रवाई के लिए खड़े होने की हिम्मत नहीं है और यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है.'

कांग्रेस सांसद प्रताप सिंह बाजवा से खास बातचीत

यह पूछे जाने पर कि क्या मोदी सरकार इन कानूनों को फिर से ला सकती है, राहुल गांधी ने जवाब दिया, 'यह एक अलग घटना नहीं है. इस पूरे साधन (संसद) पर उन्हीं ताकतों ने कब्जा कर लिया है जो कृषि बिलों को आगे बढ़ा रही हैं. यह वही ताकतें हैं जिन्होंने विमुद्रीकरण को अंजाम दिया. यह वही ताकतें हैं जिन्होंने एक त्रुटिपूर्ण जीएसटी लगाया, वही ताकतें हैं जिन्होंने कोविड के दौरान गरीब लोगों को कोई पैसा नहीं दिया, इसलिए सवाल यह नहीं है कि सरकार इन कृषि कानूनों को फिर से लागू करने की कोशिश कर रही है या नहीं. सवाल यह है कि सरकार को एक समूह द्वारा कब्जा कर लिया गया है, जो इस देश के गरीब लोगों के खिलाफ है. वे देश के गरीब लोगों के भविष्य को नुकसान पहुंचाने के लिए कुछ भी कर सकते हैं, करेंगे.'

कांग्रेस नेता हिबी ईडेन से खास बातचीत

पढ़ें- farm laws repeal : बिल संसद में बिना चर्चा के पारित, राहुल बोले- डरती है सरकार

वहीं इस पूरे मामले पर 'ईटीवी भारत' से बात करते हुए कांग्रेस सांसद रवनीत बिट्टू ने आरोप लगाया कि पंजाब और उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर यह निर्णय लिया गया है. वहीं. कांग्रेस सांसद अमी याज्ञनिक ने राष्ट्रीय राजधानी में किसानों के विरोध के अधिकार को छीनने के लिए सरकार पर निशाना साधा. हिबी ईडन, प्रताप सिंह बाजवा, गुरजीत औजला, डॉ. अमर सिंह ने भी सरकार के इस कदम को आड़े हाथों लिया. कांग्रेस नेताओं ने यह भी कहा है कि वह विरोध करने वाले किसानों के लिए मुद्दों को उठाना जारी रखेंगे चाहे वह एमएसपी के लिए एक अलग कानून के बारे में हो, या उन किसानों के परिवारों को मुआवजे के बारे में जो आंदोलन के दौरान मारे गए थे.

कांग्रेस नेता गुरजीत सिंह औजला से खास बातचीत

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