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कांग्रेस का हमला- पीएम की गो ग्लोबल नीति ने सार्वजनिक स्वास्थ्य को खतरे में डाला

हलफनामे में कहा गया है कि अभूतपूर्व और अजीब परिस्थितियों के मद्देनजर टीकाकरण अभियान को कार्यकारी नीति के रूप में तैयार किया गया है, जिसे देखते हुए कार्यपालिका की बुद्धिमत्ता पर भरोसा किया जाना चाहिए.

pm modi go global policy endangers public health
गो ग्लोबल नीति ने सार्वजनिक स्वास्थ्य को खतरे में डाला
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Published : May 10, 2021, 8:25 PM IST

Updated : May 10, 2021, 10:43 PM IST

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने अपनी कोविड टीकाकरण नीति का बचाव करते हुए सर्वोच्च न्यायालय में एक हलफनामा प्रस्तुत किया था, जिसमें अंतर मूल्य निर्धारण, खुराक की कमी और धीमी गति से रोलआउट के लिए आलोचना की गई थी. कांग्रेस ने केंद्र की इस फैसले की निंदा की और शीर्ष अदालत के हस्तक्षेप की भी मांग की.

गो ग्लोबल नीति ने सार्वजनिक स्वास्थ्य को खतरे में डाला

कांग्रेस प्रवक्ता जयवीर शेरगिल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप करना चाहिए क्योंकि संविधान के आर्टिकल 21 के तहत भाजपा पर अब स्वास्थ्य के अधिकार को बनाए रखने और उसकी रक्षा करने पर भरोसा नहीं किया जा सकता है. पीएम की 'गो ग्लोबल' नीति ने सार्वजनिक स्वास्थ्य को खतरे में डाल दिया है.

उन्होंने कहा कि सरकार एससी को बताती है कि अदालत के हस्तक्षेप की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि वैक्सीन नीति संविधान की पुष्टि करती है।" लेकिन सरकार की वैक्सीन नीति केवल भाजपा 'प्रचार नीति' की पुष्टि करती है न कि 'सार्वजनिक स्वास्थ्य नीति' जिससे नागरिकों को विदेशियों से कम माना जाता है और युवा भारत के स्वास्थ्य के अधिकार का उल्लंघन किया जाता है. हलफनामे में केंद्र ने कहा कि मूल्य कारक का अंतिम लाभार्थी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, पात्र व्यक्ति को वैक्सीन मिल रहा है क्योंकि सभी राज्य सरकारों ने पहले ही अपना नीतिगत निर्णय घोषित कर दिया है कि प्रत्येक राज्य अपने निवासियों को मुफ्त लागत में वैक्सीन दिलाएगा.

पढ़ें: कोरोना महामारी : सरकार के बजाए न्यायपालिका जगा रही उम्मीद

हलफनामे में कहा गया है कि अभूतपूर्व और अजीब परिस्थितियों के मद्देनजर टीकाकरण अभियान को कार्यकारी नीति के रूप में तैयार किया गया है, जिसे देखते हुए कार्यपालिका की बुद्धिमत्ता पर भरोसा किया जाना चाहिए.

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने अपनी कोविड टीकाकरण नीति का बचाव करते हुए सर्वोच्च न्यायालय में एक हलफनामा प्रस्तुत किया था, जिसमें अंतर मूल्य निर्धारण, खुराक की कमी और धीमी गति से रोलआउट के लिए आलोचना की गई थी. कांग्रेस ने केंद्र की इस फैसले की निंदा की और शीर्ष अदालत के हस्तक्षेप की भी मांग की.

गो ग्लोबल नीति ने सार्वजनिक स्वास्थ्य को खतरे में डाला

कांग्रेस प्रवक्ता जयवीर शेरगिल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप करना चाहिए क्योंकि संविधान के आर्टिकल 21 के तहत भाजपा पर अब स्वास्थ्य के अधिकार को बनाए रखने और उसकी रक्षा करने पर भरोसा नहीं किया जा सकता है. पीएम की 'गो ग्लोबल' नीति ने सार्वजनिक स्वास्थ्य को खतरे में डाल दिया है.

उन्होंने कहा कि सरकार एससी को बताती है कि अदालत के हस्तक्षेप की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि वैक्सीन नीति संविधान की पुष्टि करती है।" लेकिन सरकार की वैक्सीन नीति केवल भाजपा 'प्रचार नीति' की पुष्टि करती है न कि 'सार्वजनिक स्वास्थ्य नीति' जिससे नागरिकों को विदेशियों से कम माना जाता है और युवा भारत के स्वास्थ्य के अधिकार का उल्लंघन किया जाता है. हलफनामे में केंद्र ने कहा कि मूल्य कारक का अंतिम लाभार्थी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, पात्र व्यक्ति को वैक्सीन मिल रहा है क्योंकि सभी राज्य सरकारों ने पहले ही अपना नीतिगत निर्णय घोषित कर दिया है कि प्रत्येक राज्य अपने निवासियों को मुफ्त लागत में वैक्सीन दिलाएगा.

पढ़ें: कोरोना महामारी : सरकार के बजाए न्यायपालिका जगा रही उम्मीद

हलफनामे में कहा गया है कि अभूतपूर्व और अजीब परिस्थितियों के मद्देनजर टीकाकरण अभियान को कार्यकारी नीति के रूप में तैयार किया गया है, जिसे देखते हुए कार्यपालिका की बुद्धिमत्ता पर भरोसा किया जाना चाहिए.

Last Updated : May 10, 2021, 10:43 PM IST
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