गांधीनगर : गुजरात विधानसभा अध्यक्ष (Gujarat Assembly Speaker) निमाबेन आचार्य (Nimaben Acharya) ने मंगलवार को कांग्रेस के चार विधायकों को कुछ समय के लिए उस समय निलंबित कर दिया, जब वे राज्य में कोविड-19 के कारण हुई मौतों के मुद्दे पर राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए सदन के वेल (well of the House) में पहुंचे.
विधायकों को शुरू में पूरे दिन के लिए निलंबित कर दिया गया था, लेकिन आचार्य ने नरम रुख (lenient approach) दिखाते हुए 15 मिनट के स्थगन के बाद सदन की बैठक में उनका निलंबन रद्द कर दिया.
मानसून सत्र (monsoon session) के दूसरे और आखिरी दिन प्रश्नकाल के दौरान विपक्षी कांग्रेस और सत्तारूढ़ भाजपा दोनों के सदस्य के बीच राज्य में कोरोना वायरस संक्रमण से हुई मौतों के मुद्दे पर तीखी बहस हुई.
गुजरात कांग्रेस (Gujarat Congress) के अपने सर्वेक्षण का हवाला देते हुए, विपक्ष के नेता परेश धनानी (Paresh Dhanani) ने दावा किया कि राज्य में कोविड -19 के कारण तीन लाख से अधिक लोग मारे गए हैं, जबकि सरकार के आंकड़ों में यह संख्या10,082 है.
धनानी ने दावा किया, 'वास्तविक आंकड़ों और आधिकारिक मौत के आंकड़ों (official death toll) में बहुत बड़ा अंतर है. आरटीआई के जवाब में 106 नगरपालिकाओं द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, इन शहरों और कस्बों में कोविड -19 के कारण 37,600 से अधिक लोग मारे गए हैं.'
जब कांग्रेस नेता ने जानना चाहा कि क्या भाजपा सरकार प्रत्येक कोविड-19 पीड़ित के परिजनों को 4 लाख रुपये का मुआवजा देगी, तो गुजरात के स्वास्थ्य मंत्री (Gujarat Health Minister ) रुशिकेश पटेल (Rushikesh Patel) ने धनानी को चुनौती दी कि वह पहले इसे अपनी पार्टी को कांग्रेस शासित राजस्थान और पंजाब राज्यों में लागू करने के लिए कहें.
गरमागरम बहस के बाद कांग्रेस के सभी विधायक अपनी सीटों से उठ खड़े हुए और महामारी से निपटने में सत्तारूढ़ दल की ओर से 'आपराधिक लापरवाही' (criminal negligence) का आरोप लगाते हुए भाजपा के खिलाफ नारे लगाने लगे.
पढ़ें - एलान: तीन लोस और 30 विस सीटों पर 30 अक्टूबर को होंगे उपचुनाव
बाद में कांग्रेस विधायक वीरजी थुम्मर (Virji Thummar), बलदेवजी ठाकुर (Baldevji Thakor), किरीट पटेल (Kirit Patel) और विक्रम मादम (Vikram Madam) बैनर लेकर सदन के वेल में पहुंचे और राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी की, जिसके बाद अध्यक्ष आचार्य ने उन्हें पूरे दिन के लिए निलंबित कर दिया और सदन की कार्यवाही प्रश्नकाल समाप्त होने तक स्थगित कर दी.
हालांकि, जब 15 मिनट के बाद फिर से सदन की बैठक हुई, तो आचार्य ने चार विधायकों के निलंबन को रद्द कर दिया.