नई दिल्ली: पूर्व कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की टिप्पणी को लेकर उन पर कटाक्ष करते हुए प्रश्न किया कि उनका प्रस्ताव कितना 'समान' है और क्या हिंदू, आदिवासी और पूर्वोत्तर सभी इसके दायरे में आते हैं. दरअसल प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को भोपाल में यूसीसी की पुरजोर वकालत करते हुए कहा था कि संविधान सभी नागरिकों के लिए समान अधिकारों की बात करता है. प्रधानमंत्री ने विपक्ष दलों पर मुसलमानों को गुमराह करने और भड़काने के लिए यूसीसी मुद्दे का इस्तेमाल करने का भी आरोप लगाया था.
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Prime Minister :
— Kapil Sibal (@KapilSibal) June 28, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
Pushes for Uniform Civil Code
Accuses Opposition of instigating Muslims
Questions:
1) Why now after 9 years? 2024?
2) How “uniform” is your proposal :
Covers : Hindus, Tribals, North-East , All ?
3) Every day your Party targets Muslims. Why? Concerned now !
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— Kapil Sibal (@KapilSibal) June 28, 2023
Pushes for Uniform Civil Code
Accuses Opposition of instigating Muslims
Questions:
1) Why now after 9 years? 2024?
2) How “uniform” is your proposal :
Covers : Hindus, Tribals, North-East , All ?
3) Every day your Party targets Muslims. Why? Concerned now !Prime Minister :
— Kapil Sibal (@KapilSibal) June 28, 2023
Pushes for Uniform Civil Code
Accuses Opposition of instigating Muslims
Questions:
1) Why now after 9 years? 2024?
2) How “uniform” is your proposal :
Covers : Hindus, Tribals, North-East , All ?
3) Every day your Party targets Muslims. Why? Concerned now !
राज्यसभा सदस्य सिब्बल ने बुधवार को ट्वीट किया, 'प्रधानमंत्री ने समान नागरिक संहिता पर जोर दिया... विपक्ष पर मुसलमानों को भड़काने का आरोप लगाया.. पहला सवाल, आखिर नौ साल बाद यह बात क्यों? 2024 (चुनाव के लिए)? दूसरा सवाल, आपका प्रस्ताव कितना 'समान' है, आदिवासी और पूर्वोत्तर सभी इसके दायरे में आते हैं? तीसरा सवाल, हर दिन आपकी पार्टी मुसलमानों को निशाना बनाती है. क्यों? अब आपको चिंता हो रही है.'
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गौरतलब है कि विधि आयोग ने 14 जून को यूसीसी पर नए सिरे से विचार-विमर्श की प्रक्रिया शुरू की थी और राजनीतिक रूप से संवेदनशील इस मुद्दे पर सार्वजनिक और मान्यता प्राप्त धार्मिक संगठनों सहित हितधारकों से 13 जुलाई तक अपने विचार स्पष्ट करने को कहा है. जिसके बाद राजनीतिक दलों की तरफ से तमाम प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. बता दें, लोक सभा चुनाव 2024 से पहले यह एक बड़ा मुद्दा बन सकता है. केंद्र की मोदी सरकार इसको लागू करने के पक्ष में है. वहीं, विपक्षी दलों ने इसका विरोध किया है.
पीटीआई-भाषा