चंडीगढ़ : पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय (Punjab and Haryana High Court ) ने कहा है कि कुख्यात अपराधियों को एक दिन में 22 घंटे तक जेल की कोठरी में बंद रखना अवैध और अस्वीकार्य है क्योंकि उन्हें जानवरों की जिंदगी जीने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता.
उच्च न्यायालय ने पंजाब की बठिंडा जेल (Punjab's Bathinda jail) में रखे गये कई कैदियों द्वारा दायर याचिकाओं की सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की.
याचिकाकर्ताओं ने दलील दी है कि उन्हें साधारण कैदियों को दी जाने वाली कई सुविधाओं से वंचित कर दिया गया है और उन्हें एक दिन में 22 घंटे उनकी कोठरी में बंद रखा जा रहा है, जो उनके मूल अधिकार का हनन है.
अदालत ने कहा कि एक दिन में 22 घंटे तक अपराधियों को कोठरी में बंद रखना और सिर्फ दो घंटे के लिए उन्हें बाहर निकालना अस्वीकार्य है.
अदालत ने कहा कि 22 घंटे कोठरी में बंद रहने के दौरान कैदी के आसपास कोई नहीं होता है, सिवाय जेल कर्मचारी के, जो गश्त पर आता है.
अदालत ने टिप्पणी की कि वह किसी अन्य मनुष्य को देख तक नहीं पाता है और साथी कैदियों से बातचीत करने का तो सवाल नहीं उठता है. साथ भोजन करने की भी कोई सुविधा नहीं होती है.
न्यायाधीश ने कहा कि सुबह एक घंटा और शाम में एक घंटा को छोड़ कर कैदी एकांत ही रहता है तथा उसके इस तरह एकांत में रहने की अवधि की कोई सीमा नहीं है.
न्यायमूर्ति सुधीर मित्तल (Justice Sudhir Mittal ) ने गुरुवार को कहा कि आजादी पर पाबंदी के बावजूद कैदी भी मनुष्य हैं.
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अदालत ने कहा कि भारत के संविधान द्वारा प्रदत्त सभी अधिकारों का लाभ भले ही वे नहीं उठा सकते हों, लेकिन उन्हें मूल अधिकार और स्वतंत्रता संविधान के अनुच्छेद 14,19 और 21 के जरिए उपलब्ध है.
अदालत ने कहा कि कोठरी में बंद रखने की अवधि सूर्यास्त से सूर्योदय तक होनी चाहिए. इस बारे में आखिरी फैसला जेल प्रशासन को लेना है लेकिन यह विषय हमेशा ही न्यायपालिका की निगरानी के लिए खुला रहेगा.
बहरहाल, अदालत ने विषय की सुनवाई 19 जुलाई के लिए स्थगित करते हुए राज्य सरकार से इस मुद्दे पर उठाए जाने वाले नये कदमों के बारे में बताने को कहा..