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यहां दूल्हा बनने के लिए करना पड़ता है इंतजार, सरकार है इसकी जिम्मेदार - सीता सोरेन

दुमका झारखंड की उपराजधानी है. लेकिन यहां के गांव की हालत देख कोई नहीं कहेगा कि ये उपराजधानी का हिस्सा है. एक गांव तो ऐसा है जहां के लोगों की शादी बहुत ही मुश्किल से हो पाती है. वजह क्या है देखिए इस रिपोर्ट में.

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Published : Jul 27, 2022, 8:13 PM IST

दुमकाः झारखंड सरकार विकास योजनाओं को समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने के लाख दावे करे पर जमीनी हकीकत कुछ और ही नजर आती है. यह विकास कहां छुपा है समझ में नहीं आता. हम बात करते हैं झारखंड की उपराजधानी दुमका के जामा प्रखंड के लकड़जोरिया गांव की. यहां विकास की बात करना भी बेमानी होगी. यहां न सड़क है न लोगों को सरकारी आवास की सुविधा मिली और न ही समुचित पानी की व्यवस्था यहां उपलब्ध है. यह पूरा गांव आदिवासी बहुल है. इस गांव के चार टोलों में लगभग 200 परिवार निवास करते हैं. आबादी लगभग 1200 है.

सीता सोरेन के विधानसभा क्षेत्र का है यह गांवः हम आपको बता दें कि यह लकड़जोरिया गांव कोई आम गांव नहीं है. यह गांव जामा विधानसभा का एरिया है. जहां की विधायक झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन की पुत्रवधू सीता सोरेन हैं. जो लगातार तीन बार से यहां से चुनाव जीतती आ रही हैं. अगर हम इतिहास की ओर जाएं तो यहीं से शिबू सोरेन के पुत्र दुर्गा सोरेन ने दो बार चुनाव जीता था. सबसे बड़ी बात यह है कि शिबू सोरेन भी यहां से विधायक रह चुके हैं. अगर हम दूसरे दल की बात करें तो वर्तमान में दुमका लोकसभा के जो सांसद सुनील सोरेन हैं वे जामा प्रखंड के ही रहने वाले हैं. साथ ही वे यहां से भी एमएलए रहे हैं. कुल मिलाकर कहा जाए तो इस क्षेत्र से बड़े-बड़े नाम वाले जनप्रतिनिधि रह चुके हैं. लेकिन किसी ने इस लकड़जोरिया गांव की समस्या पर ध्यान नहीं दिया. साथ ही सरकार के अधिकारी भी यहां नहीं पहुंचे.

देखें स्पेशल स्टोरी




आज तक गांव तक पहुंचने का सड़क बना ही नहींः लकड़जोरिया गांव पहुंचने का जो रास्ता है उसमें सड़क आज तक बनी ही नहीं. कहीं 2 फीट तो कहीं 3 फीट की कच्ची सड़क है. उसमें भी गड्ढे हैं, पत्थर हैं. गांव के अंदर के रास्ते पर ही नाला नजर आता है. बत्तख उसमें अटखेलियां करते नजर आते हैं. लोगों का कहना है कि इस गांव में दूसरे वाहन की बात छोड़िए ट्रैक्टर तक नहीं आ पाता. समस्या उस वक्त होती है जब कोई बीमार पड़ता है और सड़क नहीं रहने से एंबुलेंस गांव तक नहीं पहुंच पाता. जो बीमार होते हैं उसे खटिया पर टांग कर ले जाना पड़ता है.

सरकारी अनदेखी की इंतहा, 2 साल में भी नहीं लगी पानी टंकीः इस लकड़जोरिया गांव के प्रति सरकारी अनदेखी या लापरवाही की हद यह है कि 2 वर्ष पूर्व यहां बोरिंग कर पानी टंकी लगाने का काम शुरू हुआ. बोरिंग हो गई और वहीं टंकी लगाने का स्टैंड तैयार हो गया, लेकिन आज तक इस पर पानी की टंकी नहीं सेट की गई. आखिरकार इतनी बड़ी लापरवाही के प्रति किसी का ध्यान क्यों नहीं गया. गांव में पानी की भीषण समस्या है. चार टोलों में जो चापाकल है, उससे काफी कम पानी निकलता है. लोगों को पानी के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है. गांव वालों का कहना है कि जब पानी टंकी निर्माण करने का काम शुरू हुआ तो हम लोगों को काफी खुशी थी कि पानी की समस्या का अब समाधान होगा लेकिन वह भी दगा दे गया.


गांव वालों का है कहना - सरकारी योजनाओं का भी नहीं मिला लाभः हमने इस गांव के कई लोगों से बात की. उन्होंने बताया कि हम लोगों ने सरकारी योजनाओं के लिए काफी प्रयास किया लेकिन मिला नहीं. प्रधानमंत्री आवास हो या अन्य कोई सरकारी आवास योजना के लाभ से हम वंचित हैं. हमारे गांव का जो बंडी टोला है उसमें बिजली के पोल तार लगा दिए गए लेकिन आज तक घरों में कनेक्शन नहीं दिया गया. इससे भी काफी परेशानी होती है. खास तौर पर छात्र - छात्राओं की पढ़ाई - लिखाई सही ढंग से नहीं हो पाती.



साइड इफेक्ट - दूसरे गांव के लोग अपने बेटे - बेटी की शादी नहीं करना चाहते लकड़जोरिया मेंः अब गांव तक पहुंचने की न सड़क है, न गांव में पानी है, न सरकारी आवास की सुविधा है तो जाहिर है कि गांव के लोग काफी परेशान हैं. वे किसी तरह यहां जीवन जीने को मजबूर हैं. एक बड़ी परेशानी यह है कि दूसरे गांव के लोग अपने बेटे या बेटी की शादी लकड़जोरिया गांव में करने से कतराते हैं. गांव के गुड़ित बाबूजी मुर्मू ने बताया कि कोई भी इस बदहाल गांव में जल्दी अपने बेटे बेटी की शादी नहीं करना चाहता. बहुत मुश्किल से यहां के लोगों की शादी होती है.

क्या कहते हैं प्रशासनिक अधिकारीः हमने इस गांव की समस्या के संबंध में दुमका के उपायुक्त और उप विकास विकास आयुक्त दोनों से बात की. उन्होंने कैमरे के सामने तो कुछ नहीं कहा लेकिन गांव की समस्या का समाधान करने की बात कही. उप विकास आयुक्त ने तत्काल जामा प्रखंड के बीडीओ को निर्देश भी दिया कि आप गांव जाए और जो सड़क की समस्या है, पानी की समस्या है उसकी जानकारी लेकर हमें बताएं.

दुमकाः झारखंड सरकार विकास योजनाओं को समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने के लाख दावे करे पर जमीनी हकीकत कुछ और ही नजर आती है. यह विकास कहां छुपा है समझ में नहीं आता. हम बात करते हैं झारखंड की उपराजधानी दुमका के जामा प्रखंड के लकड़जोरिया गांव की. यहां विकास की बात करना भी बेमानी होगी. यहां न सड़क है न लोगों को सरकारी आवास की सुविधा मिली और न ही समुचित पानी की व्यवस्था यहां उपलब्ध है. यह पूरा गांव आदिवासी बहुल है. इस गांव के चार टोलों में लगभग 200 परिवार निवास करते हैं. आबादी लगभग 1200 है.

सीता सोरेन के विधानसभा क्षेत्र का है यह गांवः हम आपको बता दें कि यह लकड़जोरिया गांव कोई आम गांव नहीं है. यह गांव जामा विधानसभा का एरिया है. जहां की विधायक झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन की पुत्रवधू सीता सोरेन हैं. जो लगातार तीन बार से यहां से चुनाव जीतती आ रही हैं. अगर हम इतिहास की ओर जाएं तो यहीं से शिबू सोरेन के पुत्र दुर्गा सोरेन ने दो बार चुनाव जीता था. सबसे बड़ी बात यह है कि शिबू सोरेन भी यहां से विधायक रह चुके हैं. अगर हम दूसरे दल की बात करें तो वर्तमान में दुमका लोकसभा के जो सांसद सुनील सोरेन हैं वे जामा प्रखंड के ही रहने वाले हैं. साथ ही वे यहां से भी एमएलए रहे हैं. कुल मिलाकर कहा जाए तो इस क्षेत्र से बड़े-बड़े नाम वाले जनप्रतिनिधि रह चुके हैं. लेकिन किसी ने इस लकड़जोरिया गांव की समस्या पर ध्यान नहीं दिया. साथ ही सरकार के अधिकारी भी यहां नहीं पहुंचे.

देखें स्पेशल स्टोरी




आज तक गांव तक पहुंचने का सड़क बना ही नहींः लकड़जोरिया गांव पहुंचने का जो रास्ता है उसमें सड़क आज तक बनी ही नहीं. कहीं 2 फीट तो कहीं 3 फीट की कच्ची सड़क है. उसमें भी गड्ढे हैं, पत्थर हैं. गांव के अंदर के रास्ते पर ही नाला नजर आता है. बत्तख उसमें अटखेलियां करते नजर आते हैं. लोगों का कहना है कि इस गांव में दूसरे वाहन की बात छोड़िए ट्रैक्टर तक नहीं आ पाता. समस्या उस वक्त होती है जब कोई बीमार पड़ता है और सड़क नहीं रहने से एंबुलेंस गांव तक नहीं पहुंच पाता. जो बीमार होते हैं उसे खटिया पर टांग कर ले जाना पड़ता है.

सरकारी अनदेखी की इंतहा, 2 साल में भी नहीं लगी पानी टंकीः इस लकड़जोरिया गांव के प्रति सरकारी अनदेखी या लापरवाही की हद यह है कि 2 वर्ष पूर्व यहां बोरिंग कर पानी टंकी लगाने का काम शुरू हुआ. बोरिंग हो गई और वहीं टंकी लगाने का स्टैंड तैयार हो गया, लेकिन आज तक इस पर पानी की टंकी नहीं सेट की गई. आखिरकार इतनी बड़ी लापरवाही के प्रति किसी का ध्यान क्यों नहीं गया. गांव में पानी की भीषण समस्या है. चार टोलों में जो चापाकल है, उससे काफी कम पानी निकलता है. लोगों को पानी के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है. गांव वालों का कहना है कि जब पानी टंकी निर्माण करने का काम शुरू हुआ तो हम लोगों को काफी खुशी थी कि पानी की समस्या का अब समाधान होगा लेकिन वह भी दगा दे गया.


गांव वालों का है कहना - सरकारी योजनाओं का भी नहीं मिला लाभः हमने इस गांव के कई लोगों से बात की. उन्होंने बताया कि हम लोगों ने सरकारी योजनाओं के लिए काफी प्रयास किया लेकिन मिला नहीं. प्रधानमंत्री आवास हो या अन्य कोई सरकारी आवास योजना के लाभ से हम वंचित हैं. हमारे गांव का जो बंडी टोला है उसमें बिजली के पोल तार लगा दिए गए लेकिन आज तक घरों में कनेक्शन नहीं दिया गया. इससे भी काफी परेशानी होती है. खास तौर पर छात्र - छात्राओं की पढ़ाई - लिखाई सही ढंग से नहीं हो पाती.



साइड इफेक्ट - दूसरे गांव के लोग अपने बेटे - बेटी की शादी नहीं करना चाहते लकड़जोरिया मेंः अब गांव तक पहुंचने की न सड़क है, न गांव में पानी है, न सरकारी आवास की सुविधा है तो जाहिर है कि गांव के लोग काफी परेशान हैं. वे किसी तरह यहां जीवन जीने को मजबूर हैं. एक बड़ी परेशानी यह है कि दूसरे गांव के लोग अपने बेटे या बेटी की शादी लकड़जोरिया गांव में करने से कतराते हैं. गांव के गुड़ित बाबूजी मुर्मू ने बताया कि कोई भी इस बदहाल गांव में जल्दी अपने बेटे बेटी की शादी नहीं करना चाहता. बहुत मुश्किल से यहां के लोगों की शादी होती है.

क्या कहते हैं प्रशासनिक अधिकारीः हमने इस गांव की समस्या के संबंध में दुमका के उपायुक्त और उप विकास विकास आयुक्त दोनों से बात की. उन्होंने कैमरे के सामने तो कुछ नहीं कहा लेकिन गांव की समस्या का समाधान करने की बात कही. उप विकास आयुक्त ने तत्काल जामा प्रखंड के बीडीओ को निर्देश भी दिया कि आप गांव जाए और जो सड़क की समस्या है, पानी की समस्या है उसकी जानकारी लेकर हमें बताएं.

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