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किचन का कूड़ा बन सकता है घर बैठे कमाई का जरिया, फरीदाबाद की महिला ने शुरू किया ये शानदार स्टार्टअप - etv bharat haryana news

compost from kitchen waste: कूड़ा हर घर के किचन से निकलता है. लेकिन यही कूड़ा अगर समाज सेवा और कमाई का जरिया बन जाये तो कहना ही क्या. फरीदाबाद की रहने वाली एक महिला अपने एक आयडिया से कूड़े को फायदे का सौदा बना दिया. ये आयडिया ऐसा है कि अगर बड़े पैमाने पर किया जाय तो कूड़ा करोड़पति भी बना सकता है. खास बात ये है कि इस आयडिया से कूड़े का खात्मा भी हो जाता है और कमाई का दरवाजा भी खुल जाता है.

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Published : May 19, 2022, 11:09 PM IST

फरीदाबाद: फैलते शहर और बढ़ती आबादी के बीच कचरा प्रबंधन आज के समय में एक बड़ी समस्या बन गया है. कई शहरों में कूड़े का अपार ढेर किसी आपदा जैसा नजर आता है. ये आपदा हमारी सरकारों के लिए बड़ी चुनौती है. लेकिन कई लोग ऐसे हैं जो आपदा को अवसर बनाकर नया मुकाम गढ़ देते हैं. फरीदबाद की पाम सोसायटी में रहने वाली बबीता ने भी ऐसा ही किया. उन्होंने किचन से निकलने वाले कूड़े से खाद बनाने (compost from kitchen waste) का स्टार्टअप शुरू किया है. ये ऐसी शुरुआत है जिससे आम के आम, गुठलियों के दाम भी मिल जाते हैं. यानि कचरे का निस्तारण भी हो जाता है और आर्थिक मुनाफा भी.

फरीदाबाद समर पाम सोसायटी (Faridabad Summer Palm Society) की रहने वाली बबीता सिंह के इस आयडिया के हिसाब से काम करें तो शहरों में पैदा होने वाले कूड़े का निस्तारण आसानी से किया जा सकता है. फरीदाबाद समर पाम सोसाइटी की जनरल सेक्रेटरी बबीता सिंह रसोई से निकलने वाले इसी कूड़े से खाद बना रही हैं. बबीता ने सोशल साइट पर कूड़ा निस्तारण के विषय में जानकारी इक्कट्ठा की और उसके बाद उन्होंने घर से निकलने वाले कूड़े से खाद बनाने का आयडिया तैयार किया.

किचन का कूड़ा बन सकता है घर बैठे कमाई का जरिया, फरीदाबाद की महिला ने शुरू किया ये शानदार स्टार्टअप

कूड़े से खाद बनाने की पूरी विधि उन्होंने यूट्यूब से वीडियो देखकर सीखी. जिसके बाद उन्होंने शुरुआत में एक ड्रम से इसकी शुरुआत की. बबीता सिंह पहले अपने घर की रसोई और अपने पड़ोसियों की रसोई से ही कूड़ा इकट्ठा कर रही थीं. धीरे-धीरे उनकी इस मुहिम में दूसरे लोग भी जुड़ने लगे. आज उनके पास दर्जनों ऐसे ड्रम हैं जिनमे ये खाद तैयार की जा रही है. उनकी पूरी सोसायटी के कूड़े का निस्तारण यहीं पर हो जाता है और उसी से खाद तैयार हो जाती है.

खाद कैसे तैयार होता है ये समझिए- खाद तैयार करने के लिए घर की रसोई से सूखे व गीले कूड़े को अलग-अलग है इकट्ठा किया जाता है. अलग-अलग प्लास्टिक के ड्रम में गीले और सूखे कूड़े को रखा जाता है. उसके बाद उसमें कुछ अन्य कैमिकल मिलाए जाते हैं. 25 से 30 दिनों में ये खाद तैयार हो जाता है. करीब 150 किलो कचरे से 10 किलो खाद तैयार होता है. इस काम के लिए 2 कर्मचारी भी नियुक्त किये गये हैं. किचन ही नहीं बल्कि पार्क में लगे पौधों के पत्तों को भी मशीन की सहायता से काट कर उनको खाद बनाने के लिए तैयार किया जाता है. बबीता ने बताया कि इस तरीके से हर महीने 100 किलो से ज्यादा खाद तैयार कर लेती हैं. इस खाद का इस्तेमाल सोसाइटी में लगे पौधों और पार्क में किया जाता है. जो खाद बढ़ जाता है उसे मार्केट में बेचा जाता है.

कूड़े से बनने वाली खाद को सोसायटी के लोग ही खरीद लेते हैं.

700 घरों का कूड़ा खत्म- फरीदाबाद समर पाम सोसाइटी में 700 से ज्यादा परिवार रहते हैं. गर्मी के दिनों में रोजाना 150 किलो गीला व सूखा कूड़ा इनकी रसोई से निकलता है. जबकि सर्दी के दिनों में 200 किलो तक कचरा निकल आता है. कूड़ा निस्तारण की इस विधि से सबसे बड़ा फायदा यह भी है कि कूड़े में जो प्लास्टिक शामिल होता है उसको अलग कर लिया जाता है और उसको रिस्काइल करने के लिए अलग संस्था को भेज दिया जाता है. कूड़ा प्रबंधन की इस विधि से समर पाम सोसायटी के 700 से ज्यादा घरों से निकलने वाले कूड़े का निस्तारण भी हो जाता है और इससे आर्थिक फायदा भी हो रहा है.

खाद से कितना आर्थिक फायदा- समर पाम सोसायटी कि जनरल सेक्रेटरी बबीता सिंह ने बताया कि अभी वह बेहद छोटे स्तर पर खाद बनाने का काम कर रहे हैं. हर महीने केवल 100 किलो के करीब खाद तैयार हो रहा है. जो कि सोसाइटी में बने पार्को और पौधों के लिए ही इस्तेमाल हो रहा है. जो थोड़ा बहुत खाद बच जाता है उसको उनके आसपास के सोसायटी में रहने वाले लोग अपने पौधों के लिए खरीद कर ले जाते हैं. उनके यहां से खाद का 1 किलो का पैकेट 50 रुपये में बेचा जाता है. इससे महीने में अभी 6000 रुपये के करीब पैसा आ रहा है.

compost from kitchen waste in faridabad
फरीदाबाद की समर पाम सोसायटी के 700 घरों के कूड़े से बन रही खाद

बबीता सिंह पेशे से एक कंटेंट राइटर हैं जो फ्रीलांसर के तौर पर काम करती हैं. अब तक उनकी कई किताबें भी प्रकाशित हो चुकी हैं. बबीता का कहना है कि अभी खाद कम मात्रा में बन रहा है इसलिए सोसायटी में ही उसकी खपत हो जाती है. भविष्य में उनकी योजना है कि बड़े स्तर पर खाद का उत्पादन शुरू किया जाए और आसपास की सोसाइटी से भी निकलने वाले कूड़े को एक स्थान पर इकट्ठा करके खाद तैयार किया जाये. ताकि ज्यादा मात्रा में खाद तैयार हो और ज्यादा आर्थिक लाभ भी हो सके.

फरीदाबाद: फैलते शहर और बढ़ती आबादी के बीच कचरा प्रबंधन आज के समय में एक बड़ी समस्या बन गया है. कई शहरों में कूड़े का अपार ढेर किसी आपदा जैसा नजर आता है. ये आपदा हमारी सरकारों के लिए बड़ी चुनौती है. लेकिन कई लोग ऐसे हैं जो आपदा को अवसर बनाकर नया मुकाम गढ़ देते हैं. फरीदबाद की पाम सोसायटी में रहने वाली बबीता ने भी ऐसा ही किया. उन्होंने किचन से निकलने वाले कूड़े से खाद बनाने (compost from kitchen waste) का स्टार्टअप शुरू किया है. ये ऐसी शुरुआत है जिससे आम के आम, गुठलियों के दाम भी मिल जाते हैं. यानि कचरे का निस्तारण भी हो जाता है और आर्थिक मुनाफा भी.

फरीदाबाद समर पाम सोसायटी (Faridabad Summer Palm Society) की रहने वाली बबीता सिंह के इस आयडिया के हिसाब से काम करें तो शहरों में पैदा होने वाले कूड़े का निस्तारण आसानी से किया जा सकता है. फरीदाबाद समर पाम सोसाइटी की जनरल सेक्रेटरी बबीता सिंह रसोई से निकलने वाले इसी कूड़े से खाद बना रही हैं. बबीता ने सोशल साइट पर कूड़ा निस्तारण के विषय में जानकारी इक्कट्ठा की और उसके बाद उन्होंने घर से निकलने वाले कूड़े से खाद बनाने का आयडिया तैयार किया.

किचन का कूड़ा बन सकता है घर बैठे कमाई का जरिया, फरीदाबाद की महिला ने शुरू किया ये शानदार स्टार्टअप

कूड़े से खाद बनाने की पूरी विधि उन्होंने यूट्यूब से वीडियो देखकर सीखी. जिसके बाद उन्होंने शुरुआत में एक ड्रम से इसकी शुरुआत की. बबीता सिंह पहले अपने घर की रसोई और अपने पड़ोसियों की रसोई से ही कूड़ा इकट्ठा कर रही थीं. धीरे-धीरे उनकी इस मुहिम में दूसरे लोग भी जुड़ने लगे. आज उनके पास दर्जनों ऐसे ड्रम हैं जिनमे ये खाद तैयार की जा रही है. उनकी पूरी सोसायटी के कूड़े का निस्तारण यहीं पर हो जाता है और उसी से खाद तैयार हो जाती है.

खाद कैसे तैयार होता है ये समझिए- खाद तैयार करने के लिए घर की रसोई से सूखे व गीले कूड़े को अलग-अलग है इकट्ठा किया जाता है. अलग-अलग प्लास्टिक के ड्रम में गीले और सूखे कूड़े को रखा जाता है. उसके बाद उसमें कुछ अन्य कैमिकल मिलाए जाते हैं. 25 से 30 दिनों में ये खाद तैयार हो जाता है. करीब 150 किलो कचरे से 10 किलो खाद तैयार होता है. इस काम के लिए 2 कर्मचारी भी नियुक्त किये गये हैं. किचन ही नहीं बल्कि पार्क में लगे पौधों के पत्तों को भी मशीन की सहायता से काट कर उनको खाद बनाने के लिए तैयार किया जाता है. बबीता ने बताया कि इस तरीके से हर महीने 100 किलो से ज्यादा खाद तैयार कर लेती हैं. इस खाद का इस्तेमाल सोसाइटी में लगे पौधों और पार्क में किया जाता है. जो खाद बढ़ जाता है उसे मार्केट में बेचा जाता है.

कूड़े से बनने वाली खाद को सोसायटी के लोग ही खरीद लेते हैं.

700 घरों का कूड़ा खत्म- फरीदाबाद समर पाम सोसाइटी में 700 से ज्यादा परिवार रहते हैं. गर्मी के दिनों में रोजाना 150 किलो गीला व सूखा कूड़ा इनकी रसोई से निकलता है. जबकि सर्दी के दिनों में 200 किलो तक कचरा निकल आता है. कूड़ा निस्तारण की इस विधि से सबसे बड़ा फायदा यह भी है कि कूड़े में जो प्लास्टिक शामिल होता है उसको अलग कर लिया जाता है और उसको रिस्काइल करने के लिए अलग संस्था को भेज दिया जाता है. कूड़ा प्रबंधन की इस विधि से समर पाम सोसायटी के 700 से ज्यादा घरों से निकलने वाले कूड़े का निस्तारण भी हो जाता है और इससे आर्थिक फायदा भी हो रहा है.

खाद से कितना आर्थिक फायदा- समर पाम सोसायटी कि जनरल सेक्रेटरी बबीता सिंह ने बताया कि अभी वह बेहद छोटे स्तर पर खाद बनाने का काम कर रहे हैं. हर महीने केवल 100 किलो के करीब खाद तैयार हो रहा है. जो कि सोसाइटी में बने पार्को और पौधों के लिए ही इस्तेमाल हो रहा है. जो थोड़ा बहुत खाद बच जाता है उसको उनके आसपास के सोसायटी में रहने वाले लोग अपने पौधों के लिए खरीद कर ले जाते हैं. उनके यहां से खाद का 1 किलो का पैकेट 50 रुपये में बेचा जाता है. इससे महीने में अभी 6000 रुपये के करीब पैसा आ रहा है.

compost from kitchen waste in faridabad
फरीदाबाद की समर पाम सोसायटी के 700 घरों के कूड़े से बन रही खाद

बबीता सिंह पेशे से एक कंटेंट राइटर हैं जो फ्रीलांसर के तौर पर काम करती हैं. अब तक उनकी कई किताबें भी प्रकाशित हो चुकी हैं. बबीता का कहना है कि अभी खाद कम मात्रा में बन रहा है इसलिए सोसायटी में ही उसकी खपत हो जाती है. भविष्य में उनकी योजना है कि बड़े स्तर पर खाद का उत्पादन शुरू किया जाए और आसपास की सोसाइटी से भी निकलने वाले कूड़े को एक स्थान पर इकट्ठा करके खाद तैयार किया जाये. ताकि ज्यादा मात्रा में खाद तैयार हो और ज्यादा आर्थिक लाभ भी हो सके.

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