जयपुर. राजस्थान के जयपुर जिले के जमवारामगढ़ थाने में विधायक और पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कोर्ट इस्तगासे के जरिए दर्ज मुकदमा प्रारंभिक जांच में झूठा पाया गया है. इसमें एक व्यक्ति ने जमवारामगढ़ विधायक गोपाल मीना और तत्कालीन वृत्ताधिकारी शिव कुमार भारद्वाज सहित अन्य के खिलाफ अपहरण कर मारपीट करने, बंधक बनाने, जीभ से जूते साफ करवाने और पेशाब करने का आरोप लगाए थे. इस मुकदमे में विधायक गोपाल मीना का नाम होने के कारण जांच सीआईडी सीबी को दी गई थी.
पुलिस मुख्यालय की ओर से जारी बयान के अनुसार जयपुर जिले के जमवारामगढ़ इलाके में इन आरोपों के साथ कोर्ट इस्तगासे के जरिए दर्ज करवाया गया मामला अब तक की तफ्तीश में पूरी तरह से निराधार पाया गया है. बयान में यह भी कहा गया है कि प्रारंभिक तौर पर यह मामला एक सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी की शह पर दर्ज करवाया गया है.
जमीन को लेकर लंबे समय से विवाद : बताया जा रहा है कि जमवारामगढ़ इलाके के गांव टोडालडी आंधी में इस जमीन पर निवास कर रहे स्थानीय कब्जाधारी आदिवासी और दलित समुदाय के लोगों से रिटायर्ड पुलिस अधिकारी का लंबे समय से विवाद चल रहा है. उन्होंने इन कब्जों को हटाने के लिए अपने प्रभुत्व का इस्तेमाल करते हुए दूसरे हलके के पटवारी को बुलाकर पत्थरगढ़ी करवानी चाही. कहा जा रहा है कि इस मामले में उन्होंने पुलिस अधिकारियों पर भी दबाव बनाने की कोशिश की थी.
जांच अधिकारी पर भी दबाव बनाने का आरोप : बताया जा रहा है कि सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी के खिलाफ स्थानीय लोगों ने एससी-एसटी एक्ट की धाराओं में मुकदमा दर्ज करवाया था. इस मामले की जांच जमवारामगढ़ के तत्कालीन वृत्ताधिकारी शिव कुमार कर रहे हैं. सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी ने इस मामले में जल्द एफआर लगाने और मामले को बंद करने का दबाव बनाया था. इसी के चलते यह मुकदमा दर्ज करवाया गया है.