नई दिल्ली: भारत और अमेरिका ने सोमवार को चौथी 'टू प्लस टू' मंत्रिस्तरीय बैठक की. इस बैठक में दोनों पक्षों ने यूक्रेन सहित मौजूदा घटनाक्रमों पर चर्चा की और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियों के बीच इस क्षेत्र में अपने सहयोग की समीक्षा की. भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने शुरुआती संबोधन में कहा, 'हमने अपने विदेश और रक्षा समकक्षों के साथ अलग-अलग बैठकें कीं.
उन्होंने कहा कि सहयोग अपने द्विपक्षीय दायरे से काफी आगे बढ़ा है और अब वैश्विक मुद्दों पर भी इसका प्रभाव दिखाई दे रहा है. यह कोविड चुनौती का समाधान हो सकता है, जलवायु को लेकर कदम, समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करना या महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देना शामिल है. भारत और अमेरिका के एक साथ कदम उठाने से बदलाव आएगा.
भारत-अमेरिका 'टू प्लस टू' वार्ता ऐसे समय में हुई जब यूक्रेन में स्थिति खराब है. इससे पहले भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति बाइडेन के साथ एक वर्चुअल बैठक की और यूक्रेन संघर्ष पर स्पष्ट चर्चा की. यूक्रेन की स्थिति को बहुत चिंताजनक बताते हुए पीएम मोदी ने संकट को हल करने के लिए राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उनके यूक्रेनी समकक्ष के बीच सीधी बातचीत की आवश्यकता पर प्रकाश डाला.
बातचीत के दौरान जयशंकर ने दोहराया कि 2+2 प्रारूप का उद्देश्य साझेदारी के लिए अधिक एकीकृत दृष्टिकोण को बढ़ावा देना है.
उन्होंने कहा कि यह प्रासंगिक हो गया है क्योंकि हमारे जुड़ाव का दायरा और तीव्रता लगातार बढ़ रही है. ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जिसमें हम सहयोग नहीं कर रहे हैं. मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि अवसरों और चुनौतियों की प्रकृति ऐसी है कि उन्हें संवाद के माध्यम से अधिक प्रभावी ढंग से संबोधित किया जा सकता है.
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उन्होंने कहा कि जब हम चौथी बार मिलते हैं तो अब तक हमने जितनी प्रगति की है उस पर संतोष कर सकते हैं. चाहे वह हमारा $160 बिलियन अमेरिकी डॉलर का व्यापार खाता हो, हमारे 200,000 छात्र हों, हमारे उच्चतम दर्ज किए गए निवेश स्तर हों या हमारा तेजी से बढ़ता ऊर्जा व्यापार. इस बीच, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि इन 2+2 बैठकों ने पहले ही द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.