नई दिल्ली: देश के कई हिस्सों में बिजली संकट के बीच अप्रैल में देश का कोयला उत्पादन 28 प्रतिशत बढ़कर 6.61 करोड़ टन हो गया. उल्लेखनीय है कि हाल के समय में ताप बिजली संयंत्रों की कोयले की मांग भी बढ़ी है. अप्रैल, 2021 में कुल कोयला उत्पादन 5.16 करोड़ टन रहा था. कोयला मंत्रालय ने एक बयान में कहा, 'अप्रैल, 2022 के दौरान भारत का कुल कोयला उत्पादन 661.54 लाख टन था.' कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) और उसकी अनुषंगी कंपनियों ने पिछले महीने 5.34 करोड़ टन कोयले का उत्पादन किया, जबकि सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड (एससीसीएल) द्वारा 53 लाख टन और खुद के इस्तेमाल वाली (कैप्टिव) खानों द्वारा 73 लाख टन कोयला उत्पादन किया गया.
कोयला मंत्रालय के अस्थाई आंकड़ों के अनुसार, जहां महीने के दौरान कोयला क्षेत्र का कुल उठाव 7.08 करोड़ टन था, वहीं बिजली क्षेत्र का उठाव अप्रैल में 6.17 करोड़ टन तक पहुंच गया. वहीं, अकेले कोल इंडिया से बिजली क्षेत्र को कोयले की आपूर्ति 4.97 करोड़ टन रही. बिजली उत्पादन संयंत्रों से शुष्क ईंधन की ऊंची मांग के मद्देनजर सीआईएल द्वारा बिजली क्षेत्र को कोयले की आपूर्ति पिछले महीने में वार्षिक आधार पर 15.6 प्रतिशत अधिक थी. कोयला मंत्रालय ने जोर देकर कहा कि वह आने वाले महीनों में विशेष रूप से बिजली संयंत्रों के लिए कोयले की आपूर्ति बढ़ाएगा. कोल इंडिया का घरेलू कोयला उत्पादन में 80 प्रतिशत से अधिक का योगदान है.
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इससे पहले सरकार ने कहा था कि मौजूदा बिजली संकट मुख्य रूप से विभिन्न ईंधन स्रोतों से बिजली उत्पादन में तेज गिरावट के कारण है, न कि घरेलू कोयले की अनुपलब्धता के कारण. कोयला सचिव ए के जैन ने बिजली संयंत्रों में कम कोयले के स्टॉक की स्थिति के लिए कई कारकों को जिम्मेदार ठहराया था. उन्होंने कहा था कि कोविड-19 के बाद के दौर में अर्थव्यवस्था में तेजी लौटने के कारण बिजली की मांग बढ़ी है और गर्मियां भी जल्दी शुरू हो गई हैं. इसके अलावा गैस और आयातित कोयले के दाम में बढ़ोतरी तथा तटीय ताप बिजलीघरों का उत्पादन घटने की वजह से भी बिजली संकट की स्थिति बनी है.