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देवस्थानम बोर्ड पर हाईपावर कमेटी ने सौंपी फाइनल रिपोर्ट, जल्द बड़ा फैसला लेगी धामी सरकार!

चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को लेकर गठित हाईपावर कमेटी के अध्यक्ष एवं पूर्व सांसद मनोहरकांत ध्यानी ने सीएम पुष्कर सिंह धामी को अपनी फाइनल रिपोर्ट सौंपी है. ऐसे में चारधाम तीर्थ पुरोहितों को अब रिपोर्ट के खुलासे और राज्य सरकार के फैसले का इंतजार है.

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देवस्थानम बोर्ड पर हाईपावर कमेटी ने सीएम पुष्कर सिंह धामी को सौंपी फाइनल रिपोर्ट.
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Published : Nov 29, 2021, 1:43 AM IST

देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव को कुछ ही समय शेष रह गया है. ऐसे में देवस्थानम बोर्ड का मुद्दा प्रदेश सरकार के लिए गले की फांस बना हुआ है. तीर्थ पुरोहितों के भारी विरोध के बाद राज्य सरकार ने चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को लेकर एक हाईपावर कमेटी गठित की थी, जिसने सरकार को अपनी अंतिम रिपोर्ट भी सौंप दी है. ऐसे में उम्मीद है कि धामी सरकार जल्द ही देवस्थानम बोर्ड पर कोई बड़ा फैसला ले सकती है.

रविवार को चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को लेकर गठित हाईपावर कमेटी के अध्यक्ष एवं पूर्व सांसद मनोहर कांत ध्यानी ने पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज की उपस्थिति में सीएम पुष्कर सिंह धामी को अपनी फाइनल रिपोर्ट सौंपी है. ऐसे में चारधाम तीर्थ पुरोहितों को अब रिपोर्ट के खुलासे और राज्य सरकार के फैसले का इंतजार है.

क्या है देवस्थानम बोर्ड का मामला: तीर्थ पुरोहित बोर्ड के विरोध में 2019 से ही आंदोलन चल रहा है. लेकिन इन दिनों जिस तरह से उन्होंने अपना आपा खोया है, उससे सरकार की चिंताएं बढ़ गई हैं. चुनावी वर्ष होने के कारण बीजेपी के लिए इसे सुलझाना प्राथमिकता होगी.

ये भी पढ़ें - महाराष्ट्र में वैद्यनाथ मंदिर ट्रस्ट को धमकी भरा पत्र मिला, जांच शुरू

51 मंदिरों का प्रबंधन सरकार ने लिया: त्रिवेंद्र रावत के नेतृत्व वाली सरकार ने उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम-2019 के तहत एक भारी-भरकम बोर्ड का गठन कर चार धामों के अलावा 51 मंदिरों का प्रबंधन अपने हाथों में ले लिया. सरकार का कहना था कि लगातार बढ़ रही यात्रियों की संख्या और इस क्षेत्र को पर्यटन व तीर्थाटन की दृष्टि से मजबूत करने के उद्देश्य के मद्देनजर सरकार का नियंत्रण जरूरी है. सरकारी नियंत्रण में बोर्ड मंदिरों के रखरखाव और यात्रा के प्रबंधन का काम बेहतर तरीके से करेगा.

पुरोहित बोले-हक खत्म कर रही सरकार: तब से लेकर अब तक तीर्थ पुरोहितों के अलावा एक बड़ा तबका सरकार के इस फैसले के विरोध में है. उनका कहना है कि सरकार इस बोर्ड की आड़ में उसके हकों को समाप्त करना चाह रही है. समय-समय पर वह धरना, प्रदर्शन और अनशन के माध्यम से अपना विरोध दर्ज कराते रहते हैं.

30 नवंबर तक मामला सुलझाने का दावा: तीर्थ पुरोहितों का गुस्सा इस बात पर है कि सरकार ने 2019 में जो देवस्थानम बोर्ड की घोषणा की थी, उसे वापस नहीं लिया जा रहा है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपना कार्यभार संभालने के बाद 11 सितंबर, 2021 को तीर्थ पुरोहितों को अपने आवास में बुलाकर आश्वस्त किया था कि 30 नवंबर तक इस मामले को सुलझा लिया जाएगा. पुरोहितों को इस बात पर भी रोष है कि मनोहर कांत ध्यानी ने कहा है कि बोर्ड को किसी कीमत पर भंग नहीं किया जाएगा. अगर पुरोहित समाज को इसके प्रावधानों से दिक्कत है तो उस पर विचार किया जा सकता है.

ये भी पढ़ें - केरल के मंदिर में दलितों के प्रवेश पर सदियों से लगी रोक समाप्त !

क्या था सरकार का मकसद: राज्य सरकार का कहना है कि चारधाम देवस्थानम अधिनियम गंगोत्री, यमुनोत्री, बदरीनाथ, केदारनाथ और उनके आसपास के मंदिरों की व्यवस्था में सुधार के लिए है, जिसका मकसद यह है कि यहां आने वाले यात्रियों का ठीक से स्वागत हो और उन्हें बेहतर सुविधाएं मिल सकें. इसके साथ ही बोर्ड भविष्य की जरूरतों को भी पूरा कर सकेगा.

देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव को कुछ ही समय शेष रह गया है. ऐसे में देवस्थानम बोर्ड का मुद्दा प्रदेश सरकार के लिए गले की फांस बना हुआ है. तीर्थ पुरोहितों के भारी विरोध के बाद राज्य सरकार ने चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को लेकर एक हाईपावर कमेटी गठित की थी, जिसने सरकार को अपनी अंतिम रिपोर्ट भी सौंप दी है. ऐसे में उम्मीद है कि धामी सरकार जल्द ही देवस्थानम बोर्ड पर कोई बड़ा फैसला ले सकती है.

रविवार को चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को लेकर गठित हाईपावर कमेटी के अध्यक्ष एवं पूर्व सांसद मनोहर कांत ध्यानी ने पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज की उपस्थिति में सीएम पुष्कर सिंह धामी को अपनी फाइनल रिपोर्ट सौंपी है. ऐसे में चारधाम तीर्थ पुरोहितों को अब रिपोर्ट के खुलासे और राज्य सरकार के फैसले का इंतजार है.

क्या है देवस्थानम बोर्ड का मामला: तीर्थ पुरोहित बोर्ड के विरोध में 2019 से ही आंदोलन चल रहा है. लेकिन इन दिनों जिस तरह से उन्होंने अपना आपा खोया है, उससे सरकार की चिंताएं बढ़ गई हैं. चुनावी वर्ष होने के कारण बीजेपी के लिए इसे सुलझाना प्राथमिकता होगी.

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51 मंदिरों का प्रबंधन सरकार ने लिया: त्रिवेंद्र रावत के नेतृत्व वाली सरकार ने उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम-2019 के तहत एक भारी-भरकम बोर्ड का गठन कर चार धामों के अलावा 51 मंदिरों का प्रबंधन अपने हाथों में ले लिया. सरकार का कहना था कि लगातार बढ़ रही यात्रियों की संख्या और इस क्षेत्र को पर्यटन व तीर्थाटन की दृष्टि से मजबूत करने के उद्देश्य के मद्देनजर सरकार का नियंत्रण जरूरी है. सरकारी नियंत्रण में बोर्ड मंदिरों के रखरखाव और यात्रा के प्रबंधन का काम बेहतर तरीके से करेगा.

पुरोहित बोले-हक खत्म कर रही सरकार: तब से लेकर अब तक तीर्थ पुरोहितों के अलावा एक बड़ा तबका सरकार के इस फैसले के विरोध में है. उनका कहना है कि सरकार इस बोर्ड की आड़ में उसके हकों को समाप्त करना चाह रही है. समय-समय पर वह धरना, प्रदर्शन और अनशन के माध्यम से अपना विरोध दर्ज कराते रहते हैं.

30 नवंबर तक मामला सुलझाने का दावा: तीर्थ पुरोहितों का गुस्सा इस बात पर है कि सरकार ने 2019 में जो देवस्थानम बोर्ड की घोषणा की थी, उसे वापस नहीं लिया जा रहा है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपना कार्यभार संभालने के बाद 11 सितंबर, 2021 को तीर्थ पुरोहितों को अपने आवास में बुलाकर आश्वस्त किया था कि 30 नवंबर तक इस मामले को सुलझा लिया जाएगा. पुरोहितों को इस बात पर भी रोष है कि मनोहर कांत ध्यानी ने कहा है कि बोर्ड को किसी कीमत पर भंग नहीं किया जाएगा. अगर पुरोहित समाज को इसके प्रावधानों से दिक्कत है तो उस पर विचार किया जा सकता है.

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क्या था सरकार का मकसद: राज्य सरकार का कहना है कि चारधाम देवस्थानम अधिनियम गंगोत्री, यमुनोत्री, बदरीनाथ, केदारनाथ और उनके आसपास के मंदिरों की व्यवस्था में सुधार के लिए है, जिसका मकसद यह है कि यहां आने वाले यात्रियों का ठीक से स्वागत हो और उन्हें बेहतर सुविधाएं मिल सकें. इसके साथ ही बोर्ड भविष्य की जरूरतों को भी पूरा कर सकेगा.

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