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Opposition Unity : 'संयोजक नहीं बनाया तो नाराज होकर लौटे नीतीश-लालू'.. सुशील मोदी का विपक्षी एकता पर अटैक

बेंगलुरु में नीतीश और लालू की जोड़ी प्रेस कॉन्फ्रेंस से नदारद थी. इसी मुद्दे को बीजेपी ने लपक लिया और इसे नीतीश की नाराजगी बता दिया. बीजेपी कह रही है कि संयोजक नहीं बनाए जाने के चलते नीतीश प्रेस कॉन्फ्रेंस से चले आए, वहां नीतीश को उचित सम्मान नहीं मिला.

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Published : Jul 18, 2023, 9:08 PM IST

Updated : Jul 18, 2023, 9:49 PM IST

पटना/बेंगलुरु : जिसने सभी विपक्षी दलों को दौड़-दौड़कर एकजुट करने का काम किया, सियासत के धुर विरोधी नेताओं को एक मंच पर जुटाया, वही आज बेंगलुरु की प्रेस कॉन्फ्रेंस से नदारद था. विपक्षी दलों की बैठक में नीतीश और लालू यादव शामिल तो हुए लेकिन प्रेस कॉन्फ्रेंस में मंच पर कहीं नहीं थे. इसपर बीजेपी नेता सुशील मोदी ने जमकर निशाना साधा है. बीजेपी ने कहा है कि बेंगलुरु में नीतीश की बात नहीं बनी इसलिए वो खाली हाथ लौट आए.

ये भी पढ़ें- Rahul Gandhi Marriage : मजाकिया अंदाज में राहुल-सोनिया के साथ लालू.. क्या फिर छिड़ी शादी वाली बात?

नाराज हैं नीतीश ? : विपक्षी दलों की बेंगलुरु में हुई बैठक और इंडिया नाम को लेकर देश में प्रतिक्रियाएं आनी भी शुरू हो गई है. विपक्षी दलों की प्रेस कॉन्फ्रेंस में नीतीश और लालू यादव और तेजस्वी के गैरमौजूद रहने पर बीजेपी ने चुटकी ली है. बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने कहा कि बैठक में उचित सम्मान नहीं मिलने के कारण नीतीश कुमार और लालू यादव ने नाराजगी के चलते विपक्षी दलों की दूसरी बैठक से दूरी बना ली है.

ईटीवी भारत GFX.
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प्रेस कॉन्फ्रेंस में क्यों नहीं शामिल हुए नीतीश-लालू?: सुशील मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार को लग रहा था कि बेंगलुरु की बैठक में उनको संयोजक घोषित कर दिया जाएगा लेकिन जब संयोजक के नाम पर सहमति नहीं बनी तो दोनों बीच मीटिंग से चले गए. प्रेस कॉन्फ्रेंस भी बैठक का ही हिस्सा था. नीतीश को लग रहा था कि इस बैठक में उन्हें पीएम उम्मीदवार घोषित कर दिया जाएगा. लेकिन सब अरमानों पर पानी फिरत देख वहां से पटना के लिए निकल पड़े. चार्टेड प्लेन से गए थे. कोई ऐसी बात होती तो दो-3 घंटे एक्स्ट्रा भी रुक सकते थे. उनका यूं वहां से आना बताता है कि उनको इस बैठक से कुछ हासिल नहीं हुआ है.

नाम बदलने से क्या होता है? : सुशील मोदी ने कहा कि भारत की लड़ाई शुरु से INDIA से रही है. चंद अंग्रेजीदां लोग, विदेशों में छुट्टी बिताने वाले लोगों की लड़ाई भारत के गरीब और कमजोर वर्ग से रहा है. ये आज भले ही नाम बदल लें लेकिन उनके पीछे का मुखौटा वही है. मुखौटे के पीछे चारा घोटाले के मामले में जेल की सजा काटने वाले लालू यादव, ममता बनर्जी और केजरीवाल सरीखे नेता है. देश देख रहा है कि उस मुखौटे के पीछे कौन लोग हैं. मुखौटा बदल लेने से व्यक्ति नहीं बदल जाता. नाम कुछ भी रख लें उससे कुछ भी होने वाला नहीं है.

'बेंगलुरु से खाली हाथ लौटे हैं नीतीश' : सुशील मोदी के अलावा बीजेपी विधायक बचौल ने भी नीतीश को घेरा. उन्होंने कहा कि बेंगलुरु से नीतीश को खाली हाथ लौटे हैं. उन्होंने खोदा पहाड़ और संयोजक भी नहीं बन पाए. इस बैठक में सभी परिवारवादी और भ्रष्टाचारी नेता जुटे थे. जो कि जेल गए हुए हैं या फिर बेल पर हैं. इस बैठक से कुछ भी हासिल नहीं होने वाला. नरेंद्र मोदी को देश की जनता तीसरी बार प्रधानमंत्री बनाकर भेजेगी.

संयोजक पर बात नहीं बनी क्या? : चर्चा है कि संयोजक पर नीतीश की बात नहीं बन पाई. इस पर अब मुंबई की बैठक में चर्चा होगी. नीतीश को संयोजक बनने का प्रमुख दावेदार माना जा रहा है. क्योंकि नीतीश ही वो नेता हैं जिन्होंने सभी धुर विरोधी नेताओं को एक जुट किया. उनकी इसी मेहनत को देखते हुए उनके समर्थक भी उन्हें इसका हकदार मान रहे हैं. किस वजह से बात नहीं बनी इसका पता नहीं चल पाया है. पटना पहुंचने पर भी नीतीश ने इस विषय पर कुछ नहीं बोला, बल्कि वो मीडिया से दूर ही रहे. इसलिए लोग कयास लगा रहे हैं कि कुछ न कुछ गड़बड़ जरूर हुआ है.

केजरीवाल ने भी किया था बैठक का वॉकआउट : अरविंद केजरीवाल भी 23 जून को पटना में शामिल हुए थे. लेकिन वो अध्यादेश के खिलाफ कांग्रेस का समर्थन चाहते थे, बात बन गई तो वो इस बार बेंगलुरु में आए और उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस भी अटेंड किया, लेकिन इस बार नीतीश और लालू को न देखकर हर कोई हैरान हुआ.

ईटीवी भारत GFX.
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सवाल तो उठेंगे ही .. : सवाल उठता है कि आखिर प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल क्यों नहीं हुए. पटना पहुंचते ही नीतीश और लालू ने मीडिया से दूरी बना ली. अगर नीतीश नाराज नहीं हैं तो मीडिया के सामने क्यों नहीं आ रहे हैं. पिछली बार की बैठक में उन्होंने मीडिया को भी अलग से संबोधित किया था. क्या संयोजक न बनाने को लेकर मतभेद हुआ या फिर कोई और बात है? क्या उन्हें वाकई में जैसा सुशील मोदी कह रहे हैं सम्मान नहीं मिला इसलिए उन्होंने प्रेस कॉन्फेंस से दूरी बना ली?

मुंबई में बैठक का इंतजार? : तो क्या अब नीतीश को मुंबई बैठक का इंतजार है? पिछली बार केजरीवाल ऐसे ही बीच में प्रेस कॉन्फ्रेंस छोड़कर गए थे. अध्यादेश वाली नाराजगी दिल्ली पहुंचकर पता चली. इस बार नीतीश के चले जाने से चर्चा गरम है. बीजेपी इसी गर्म हिस्से पर प्रहार कर रही है. लेकिन अभी तक ऑफिशियल बयान नहीं आया कि प्रेस कॉन्फ्रेंस में नीतीश क्यों शामिल नहीं हुए ?

पटना/बेंगलुरु : जिसने सभी विपक्षी दलों को दौड़-दौड़कर एकजुट करने का काम किया, सियासत के धुर विरोधी नेताओं को एक मंच पर जुटाया, वही आज बेंगलुरु की प्रेस कॉन्फ्रेंस से नदारद था. विपक्षी दलों की बैठक में नीतीश और लालू यादव शामिल तो हुए लेकिन प्रेस कॉन्फ्रेंस में मंच पर कहीं नहीं थे. इसपर बीजेपी नेता सुशील मोदी ने जमकर निशाना साधा है. बीजेपी ने कहा है कि बेंगलुरु में नीतीश की बात नहीं बनी इसलिए वो खाली हाथ लौट आए.

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नाराज हैं नीतीश ? : विपक्षी दलों की बेंगलुरु में हुई बैठक और इंडिया नाम को लेकर देश में प्रतिक्रियाएं आनी भी शुरू हो गई है. विपक्षी दलों की प्रेस कॉन्फ्रेंस में नीतीश और लालू यादव और तेजस्वी के गैरमौजूद रहने पर बीजेपी ने चुटकी ली है. बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने कहा कि बैठक में उचित सम्मान नहीं मिलने के कारण नीतीश कुमार और लालू यादव ने नाराजगी के चलते विपक्षी दलों की दूसरी बैठक से दूरी बना ली है.

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प्रेस कॉन्फ्रेंस में क्यों नहीं शामिल हुए नीतीश-लालू?: सुशील मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार को लग रहा था कि बेंगलुरु की बैठक में उनको संयोजक घोषित कर दिया जाएगा लेकिन जब संयोजक के नाम पर सहमति नहीं बनी तो दोनों बीच मीटिंग से चले गए. प्रेस कॉन्फ्रेंस भी बैठक का ही हिस्सा था. नीतीश को लग रहा था कि इस बैठक में उन्हें पीएम उम्मीदवार घोषित कर दिया जाएगा. लेकिन सब अरमानों पर पानी फिरत देख वहां से पटना के लिए निकल पड़े. चार्टेड प्लेन से गए थे. कोई ऐसी बात होती तो दो-3 घंटे एक्स्ट्रा भी रुक सकते थे. उनका यूं वहां से आना बताता है कि उनको इस बैठक से कुछ हासिल नहीं हुआ है.

नाम बदलने से क्या होता है? : सुशील मोदी ने कहा कि भारत की लड़ाई शुरु से INDIA से रही है. चंद अंग्रेजीदां लोग, विदेशों में छुट्टी बिताने वाले लोगों की लड़ाई भारत के गरीब और कमजोर वर्ग से रहा है. ये आज भले ही नाम बदल लें लेकिन उनके पीछे का मुखौटा वही है. मुखौटे के पीछे चारा घोटाले के मामले में जेल की सजा काटने वाले लालू यादव, ममता बनर्जी और केजरीवाल सरीखे नेता है. देश देख रहा है कि उस मुखौटे के पीछे कौन लोग हैं. मुखौटा बदल लेने से व्यक्ति नहीं बदल जाता. नाम कुछ भी रख लें उससे कुछ भी होने वाला नहीं है.

'बेंगलुरु से खाली हाथ लौटे हैं नीतीश' : सुशील मोदी के अलावा बीजेपी विधायक बचौल ने भी नीतीश को घेरा. उन्होंने कहा कि बेंगलुरु से नीतीश को खाली हाथ लौटे हैं. उन्होंने खोदा पहाड़ और संयोजक भी नहीं बन पाए. इस बैठक में सभी परिवारवादी और भ्रष्टाचारी नेता जुटे थे. जो कि जेल गए हुए हैं या फिर बेल पर हैं. इस बैठक से कुछ भी हासिल नहीं होने वाला. नरेंद्र मोदी को देश की जनता तीसरी बार प्रधानमंत्री बनाकर भेजेगी.

संयोजक पर बात नहीं बनी क्या? : चर्चा है कि संयोजक पर नीतीश की बात नहीं बन पाई. इस पर अब मुंबई की बैठक में चर्चा होगी. नीतीश को संयोजक बनने का प्रमुख दावेदार माना जा रहा है. क्योंकि नीतीश ही वो नेता हैं जिन्होंने सभी धुर विरोधी नेताओं को एक जुट किया. उनकी इसी मेहनत को देखते हुए उनके समर्थक भी उन्हें इसका हकदार मान रहे हैं. किस वजह से बात नहीं बनी इसका पता नहीं चल पाया है. पटना पहुंचने पर भी नीतीश ने इस विषय पर कुछ नहीं बोला, बल्कि वो मीडिया से दूर ही रहे. इसलिए लोग कयास लगा रहे हैं कि कुछ न कुछ गड़बड़ जरूर हुआ है.

केजरीवाल ने भी किया था बैठक का वॉकआउट : अरविंद केजरीवाल भी 23 जून को पटना में शामिल हुए थे. लेकिन वो अध्यादेश के खिलाफ कांग्रेस का समर्थन चाहते थे, बात बन गई तो वो इस बार बेंगलुरु में आए और उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस भी अटेंड किया, लेकिन इस बार नीतीश और लालू को न देखकर हर कोई हैरान हुआ.

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सवाल तो उठेंगे ही .. : सवाल उठता है कि आखिर प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल क्यों नहीं हुए. पटना पहुंचते ही नीतीश और लालू ने मीडिया से दूरी बना ली. अगर नीतीश नाराज नहीं हैं तो मीडिया के सामने क्यों नहीं आ रहे हैं. पिछली बार की बैठक में उन्होंने मीडिया को भी अलग से संबोधित किया था. क्या संयोजक न बनाने को लेकर मतभेद हुआ या फिर कोई और बात है? क्या उन्हें वाकई में जैसा सुशील मोदी कह रहे हैं सम्मान नहीं मिला इसलिए उन्होंने प्रेस कॉन्फेंस से दूरी बना ली?

मुंबई में बैठक का इंतजार? : तो क्या अब नीतीश को मुंबई बैठक का इंतजार है? पिछली बार केजरीवाल ऐसे ही बीच में प्रेस कॉन्फ्रेंस छोड़कर गए थे. अध्यादेश वाली नाराजगी दिल्ली पहुंचकर पता चली. इस बार नीतीश के चले जाने से चर्चा गरम है. बीजेपी इसी गर्म हिस्से पर प्रहार कर रही है. लेकिन अभी तक ऑफिशियल बयान नहीं आया कि प्रेस कॉन्फ्रेंस में नीतीश क्यों शामिल नहीं हुए ?

Last Updated : Jul 18, 2023, 9:49 PM IST
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