बेंगलुरु: कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने शिवसेना नेता संजय राउत के ट्वीट, जिसमें उसने लिखा है कि "बेलगाम फाइलें द कश्मीर फाइल्स के रूप में आनी चाहिए", जवाब देते हुए कहा कि यह शिवसेना का राजनीतिक स्टंट था. बेलगाम विवाद 1956 में ही समाप्त हो गया था. हमारे कन्नड़ भाषी महाराष्ट्र के अंखानकोट के सोलापुर में रहते हैं. इसीलिए इस तरह से बोलने का कोई मतलब नहीं है. उन्होंने कहा कि राउत वहां की समस्याओं को डायवर्ट करने के लिए बेलगाम के नाम पर उछाल रहे हैं.
राउत ने बेलगाम फाइल्स के रूप में विडंबना की एक तस्वीर पोस्ट की. क्या बेलगाम की फाइलें कम नहीं हैं? लोकतंत्र की हत्या की तस्वीर लिखने वाली पोस्ट की गई थी. राउत ने इस पोस्ट के माध्यम से बेलगाम में मराठी लोगों पर हो रही क्रूरता को चित्रित करने का प्रयास किया है. परिणामस्वरूप बेलगाम में राउत के खिलाफ लोगों में जबर्दस्त गुस्सा है. बता दें कि 'द कश्मीर फाइल्स' फिल्म पर शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि कश्मीर हमारे देश और यहां के लोगों के लिए बेहद संवेदनशील मुद्दा है. इस पर देश में कई सालों से राजनीति हो रही है. हमने सोचा था कि पीएम नरेंद्र मोदी के आने के बाद ये रुक जाएगी, लेकिन ये तो बढ़ती ही गई.
क्या है बेलगाम विवाद
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने जनवरी 18, 2022 को कर्नाटक के मराठी बहुल इलाकों को महाराष्ट्र में शामिल करने की बात कहकर सियासी जंग छेड़ दिया है. इसके पहले महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार भी पिछले साल कर्नाटक के बेलगाम, करवार और निपाणी इलाके को महाराष्ट्र में शामिल करने की मांग कर चुके हैं. तब उन्होंने इसे शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे का सपना बताया था. यही नहीं सीएम ठाकरे ने आरोप लगाया कि उस इलाके में मराठी भाषियों पर अत्याचार हो रहे हैं, जिसको लेकर महाराष्ट्र सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएगी और अपील करेगी कि तब तक इस क्षेत्र को केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दिया जाए. इसके जवाब में कर्नाटक के डिप्टी सीएम लक्ष्मण सवादी ने पलटवार करते हुए कहा कि मुंबई को कर्नाटक में शामिल किया जाना चाहिए और 'जबतक यह नहीं होता है तब तक केंद्र सरकार मुंबई को केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया जाए. गौर है कि वर्तमान में महाराष्ट्र में शिवसेना के नेतृत्व् वाली सरकार है और कर्नाटक में भाजपा की सरकार है.
बेलगाम विवाद का इतिहास
महाराष्ट्र की कई सरकारें कर्नाटक के बेलगाम जिले पर अपना दावा किया है और इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक मामला भी लंबित है. लेकिन प्रमाणों पर जाएं तो बेलगाम मूलरूप से पूर्ववर्ती बॉम्बे प्रेसिडेंसी का हिस्सा था. कर्नाटक के विजयापुरा, बेलगामी, धारवाड़ और उत्तर-कन्नड़ जिले बॉम्बे प्रेसिडेंसी के हिस्से थे. 1947 में आजादी के बाद बेलगाम बॉम्बे प्रदेश के तहत आया. 1881 की जनगणना के मुताबिक बेलगाम में 64.39 फीसदी लोग कन्नड़-भाषी थे और 26.04 फीसदी लोग मराठी. लेकिन, 1940 के दशक में बेलगाम पर मराठी-भाषी राजनीतिज्ञ प्रभावी हो गए और उन्होंने मांग किया कि उनके जिले को प्रस्तावित संयुक्त महाराष्ट्र प्रदेश (Samyukta Maharashtra state) में शामिल किया जाए. लेकिन, राज्य पुनर्गठन कानून, 1956 (States Reorganisation Act of 1956) के तहत उनकी मांग खारिज हो गई और बेलगाम के अलावा बॉम्बे प्रांत (Bombay State) के 10 तालुकाओं को मैसूर राज्य (Mysore State) का हिस्सा माना गया, जिसका नाम 1997 में बदलकर कर्नाटक हो गया. इस कानून के तहत राज्यों का बंटवारा भाषा और प्रशासनिक आधार पर किया गया है.
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