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गहलोत ने मोदी को लिखा पत्र, कहा- कृषि कानूनों पर पुनर्विचार की मांग - किसान आंदोलन

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने किसान आंदोलन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. पत्र के जरिए सीएम ने आंदोलनरत किसानों की बात सुनने और केंद्रीय कृषि कानूनों पर पुनर्विचार करने की मांग की है.

गहलोत ने मोदी को लिखा पत्र
गहलोत ने मोदी को लिखा पत्र
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Published : Nov 29, 2020, 10:38 PM IST

जयपुर : मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्र सरकार की ओर से बनाए गए तीनों नए कृषि कानूनों, राजस्थान सरकार की ओर से उनमें किए गए संशोधनों और किसान आंदोलन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. पत्र के जरिए मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आंदोलनरत किसानों की बात सुनने और केंद्रीय कृषि कानूनों पर पुनर्विचार करने की मांग की है.

गहलोत ने लिखा है कि केंद्र सरकार की ओर से इन तीनों कानूनों को किसानों और विशेषज्ञों से चर्चा किए बिना ही लाया गया. संसद में विपक्षी पार्टियों की ओर से इन कानूनों को सिलेक्ट कमेटी को भेजने की मांग को भी सरकार ने नजरअंदाज किया. इन अधिनियमों में न्यूनतम समर्थन मूल्य का जिक्र नहीं है, जिसके कारण किसानों में अविश्वास पैदा हुआ है. प्राइवेट मंडियों के बनने से दीर्घ काल से चली आ रही कृषि मंडियों का अस्तित्व भी खत्म हो जाएगा. इसके कारण किसानों को अपनी उपज का सही मूल्य नहीं मिलेगा.

मुख्यमंत्री ने राजस्थान सरकार की ओर से तीनों नए कृषि कानूनों और सिविल प्रक्रिया संहिता में किए गए संशोधनों के बारे में भी लिखा है. राज्य सरकार ने इन संशोधनों में किसानों के हित को सर्वोपरि रखा है और कृषि विपणन व्यवस्था को मजबूत बनाने का काम किया है. राजस्थान ने संविदा खेती (कॉन्ट्रैक्ट फार्मिग) में भी न्यूनतम समर्थन मूल्य का प्रावधान किया है.

किसी विवाद की स्थिति में पूर्ववत मंडी समितियों और सिविल न्यायालयों के पास सुनवाई का अधिकार होगा, जो किसानों के लिए सुविधाजनक है. मंडी प्रांगणों के बाहर होने वाली खरीद में भी व्यापारियों से मंडी शुल्क लिया जाएगा. संविदा खेती की शर्तों का उल्लंघन या किसानों को प्रताड़ित करने पर व्यापारियों और कंपनियों पर 5 लाख रुपये तक का जुर्माना और 7 साल तक की कैद का प्रावधान किया गया है.

केंद्र के तीनों कृषि कानूनों के अतिरिक्त दीवानी प्रक्रिया संहिता 1908 में संशोधन किया गया है. इससे 5 एकड़ तक की भूमि वाले किसानों को कर्ज ना चुका पाने पर कुर्की से मुक्त रखा गया है. गहलोत ने अपने पत्र में किसान आंदोलन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ध्यान आकृष्ट किया है.

पढ़ें- कृषि मंत्री ने की बातचीत की अपील, किसान बोले- सशर्त प्रस्ताव मंजूर नहीं

पढ़ें- पंजाब के किसान नहीं, बल्कि कांग्रेस कार्यकर्ता कर रहे हैं दिल्ली कूच: रामलाल शर्मा

मुख्यमंत्री ने लिखा है कि 26 नवंबर को देश जब संविधान दिवस मना रहा था, तभी देश के अन्नदाता पर लाठियां और वॉटर कैनन चलाई जा रही थी. किसान अपनी मांगों को दिल्ली तक नहीं पहुंचा सके, इसके लिए सड़कों को खोदा गया और अवरोधक भी लगाए गए. केंद्र सरकार ने किसानों के विरोध प्रदर्शन के हक को छीनने की कोशिश की, जो न्यायोचित नहीं है. किसानों ने अपने खून पसीने से देश की धरती को सींचा है. केंद्र सरकार को उनकी मांगें सुनकर तुरंत समाधान करना चाहिए.

मुख्यमंत्री ने लिखा है कि वित्त वर्ष 2020-21 में जब जीडीपी विकास दर 7.5 फीसदी रही है तब भी कृषि क्षेत्र में 34 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. इस मुश्किल दौर में भी अर्थव्यवस्था में सकारात्मक योगदान दे रहे अन्नदाता को इस तरह का प्रतिफल नहीं देना चाहिए. मुख्यमंत्री ने मांग की है कि किसानों के हित और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए प्रधानमंत्री मोदी इन कानूनों पर पुनर्विचार करें.

जयपुर : मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्र सरकार की ओर से बनाए गए तीनों नए कृषि कानूनों, राजस्थान सरकार की ओर से उनमें किए गए संशोधनों और किसान आंदोलन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. पत्र के जरिए मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आंदोलनरत किसानों की बात सुनने और केंद्रीय कृषि कानूनों पर पुनर्विचार करने की मांग की है.

गहलोत ने लिखा है कि केंद्र सरकार की ओर से इन तीनों कानूनों को किसानों और विशेषज्ञों से चर्चा किए बिना ही लाया गया. संसद में विपक्षी पार्टियों की ओर से इन कानूनों को सिलेक्ट कमेटी को भेजने की मांग को भी सरकार ने नजरअंदाज किया. इन अधिनियमों में न्यूनतम समर्थन मूल्य का जिक्र नहीं है, जिसके कारण किसानों में अविश्वास पैदा हुआ है. प्राइवेट मंडियों के बनने से दीर्घ काल से चली आ रही कृषि मंडियों का अस्तित्व भी खत्म हो जाएगा. इसके कारण किसानों को अपनी उपज का सही मूल्य नहीं मिलेगा.

मुख्यमंत्री ने राजस्थान सरकार की ओर से तीनों नए कृषि कानूनों और सिविल प्रक्रिया संहिता में किए गए संशोधनों के बारे में भी लिखा है. राज्य सरकार ने इन संशोधनों में किसानों के हित को सर्वोपरि रखा है और कृषि विपणन व्यवस्था को मजबूत बनाने का काम किया है. राजस्थान ने संविदा खेती (कॉन्ट्रैक्ट फार्मिग) में भी न्यूनतम समर्थन मूल्य का प्रावधान किया है.

किसी विवाद की स्थिति में पूर्ववत मंडी समितियों और सिविल न्यायालयों के पास सुनवाई का अधिकार होगा, जो किसानों के लिए सुविधाजनक है. मंडी प्रांगणों के बाहर होने वाली खरीद में भी व्यापारियों से मंडी शुल्क लिया जाएगा. संविदा खेती की शर्तों का उल्लंघन या किसानों को प्रताड़ित करने पर व्यापारियों और कंपनियों पर 5 लाख रुपये तक का जुर्माना और 7 साल तक की कैद का प्रावधान किया गया है.

केंद्र के तीनों कृषि कानूनों के अतिरिक्त दीवानी प्रक्रिया संहिता 1908 में संशोधन किया गया है. इससे 5 एकड़ तक की भूमि वाले किसानों को कर्ज ना चुका पाने पर कुर्की से मुक्त रखा गया है. गहलोत ने अपने पत्र में किसान आंदोलन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ध्यान आकृष्ट किया है.

पढ़ें- कृषि मंत्री ने की बातचीत की अपील, किसान बोले- सशर्त प्रस्ताव मंजूर नहीं

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मुख्यमंत्री ने लिखा है कि 26 नवंबर को देश जब संविधान दिवस मना रहा था, तभी देश के अन्नदाता पर लाठियां और वॉटर कैनन चलाई जा रही थी. किसान अपनी मांगों को दिल्ली तक नहीं पहुंचा सके, इसके लिए सड़कों को खोदा गया और अवरोधक भी लगाए गए. केंद्र सरकार ने किसानों के विरोध प्रदर्शन के हक को छीनने की कोशिश की, जो न्यायोचित नहीं है. किसानों ने अपने खून पसीने से देश की धरती को सींचा है. केंद्र सरकार को उनकी मांगें सुनकर तुरंत समाधान करना चाहिए.

मुख्यमंत्री ने लिखा है कि वित्त वर्ष 2020-21 में जब जीडीपी विकास दर 7.5 फीसदी रही है तब भी कृषि क्षेत्र में 34 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. इस मुश्किल दौर में भी अर्थव्यवस्था में सकारात्मक योगदान दे रहे अन्नदाता को इस तरह का प्रतिफल नहीं देना चाहिए. मुख्यमंत्री ने मांग की है कि किसानों के हित और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए प्रधानमंत्री मोदी इन कानूनों पर पुनर्विचार करें.

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