पटना: बिहार में सरकार को लेकर राजनीतिक हलचल बढ़ी हुई है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Called MLA MP Meeting) ने अपनी पार्टी के सभी विधायकों और सांसदों को पटना आने का आदेश दिया है. मंगलवार को बैठक होगी. इसी बीच नीतीश कुमार ने कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी (CM Nitish Talks To Sonia Gandhi) से भी फोन पर बातचीत की है. सूत्रों के अनुसार सरकार बनाने को लेकर चर्चा हुई है क्योंकि यह तय माना जा रहा है कि सरकार में कांग्रेस भी शामिल होगी.
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सीएम नीतीश ने की सोनिया गांधी से बात: बता दें कि नीतीश कुमार पहले भी दो बार पाला बदल चुके हैं. पहले बीजेपी से अलग होकर आरजेडी के साथ महागठबंधन की सरकार बनाए थे. उसमें एक कांग्रेसी भी शामिल था. वहीं 2017 में महागठबंधन से अलग होकर फिर से एनडीए की सरकार बना ली और अब एक बार फिर से नीतीश कुमार के पाला बदलने की चर्चा है.
बीजेपी और जदयू की बीच बढ़ी तल्खी: हालांकि जदयू के नेता एनडीए सरकार (clash between JDU and BJP ) में ऑल इज वेल होने का लगातार दावा कर रहे हैं लेकिन जिस प्रकार से राजनीतिक घटनाक्रम बदल रहा है, उससे साफ दिख रहा है कि बिहार में बड़ा उलटफेर होने वाला है. सोनिया गांधी से मुख्यमंत्री की बातचीत उसी दिशा में एक कदम माना जा रहा है. 30 और 31 जुलाई को राजधानी पटना में बीजेपी के सात मोर्चों की बैठक हुई थी. इस बैठक में देश भर से मोर्चा के कार्यकर्ताओं का जमावड़ा लगा था. 700 से ज्यादा प्रतिनिधियों ने इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया था लेकिन इस बैठक से जदयू की ना सिर्फ दूरी देखने को मिली बल्कि जदयू के विजयी विधानसभा सीटों को भी बीजेपी ने नजरअंदाज किया था. बीजेपी ने सिर्फ 200 विधानसभा क्षेत्रों में मोर्चे के सदस्यों को भेजा गया था. गृह मंत्री अमित शाह ने बैठक के दूसरे दिन तमाम कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की थी और कई जरूरी निर्देश भी दिए थे. उसी दिन से बिहार की सियासत में हलचलें तेज हो गई थी.
फिर आएंगे चाचा भतीजा साथ? अब चर्चा नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के फिर से पाला बदलने की हो रही है. हालांकि राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह से लेकर जदयू के कई मंत्रियों ने कहा है कि एनडीए में ऑल इज वेल है. इस बीच जदयू ने केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होने का फैसला भी ले लिया है. पहले विजय चौधरी ने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में हम लोग शामिल नहीं हो रहे हैं. उसके बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने भी साफ कर दिया कि हम लोग शामिल नहीं होंगे. इसकी कोई जरूरत नहीं है. मुख्यमंत्री ने 2019 में ही फैसला ले लिया था और उस पर हम लोग कायम हैं. वहीं, नीतीश कुमार की बीजेपी नेताओं से दूरी, केंद्रीय मंत्रिमंडल में जदयू के शामिल नहीं होना और आरसीपी सिंह के बहाने ललन सिंह का बीजेपी पर सीधा अटैक कहानी कुछ और कह रही है. नीतीश कुमार पहले भी पाला बदल चुके हैं. इसीलिए बदलते राजनीतिक घटनाक्रम के कारण फिर से कयास लगने लगे हैं कि बिहार में भाजपा-जेडीयू गठबंधन की सरकार गिर जाएगी.
पहले भी नीतीश आरजेडी के साथ बना चुके हैं सरकार: नीतीश कुमार का सुशासन (Good Governance of Nitish Kumar) वाले नारे पर 2010 में यह बात और सही साबित हुई थी जब तीर इतनी तेजी से लालटेन पर चला कि राष्ट्रीय जनता दल को बिहार विधानसभा में विपक्ष तक का दर्जा नहीं मिल पाया. जनता ने पूरे तौर पर राष्ट्रीय जनता दल को नकार दिया था. लेकिन, 2013 के बाद बदले राजनीतिक हालात और 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में नीतीश और लालू के साथ आ जाने के बाद राष्ट्रीय जनता दल ने बिहार की राजनीति में जो वापसी की, अगर उसका राजनीतिक श्रेय दिया जाता है तो वो भी नीतीश के खाते में ही जाएगा. कई सालों की दुश्मनी को दर किनार करके लालू यादव और नीतीश कुमार ने हाथ मिलाकर सभी को चौंका दिया था.
मिलने लगे जेडीयू में टूट के संकेतः नीतीश कुमार कोरोना से उबरकर बाहर आ चुके हैं. उसके तुरंत बाद ही आरसीपी की अकूत संपत्ति इकट्ठा करने के मामले में पार्टी की तरफ से कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया. जिसके बाद आरसीपी ने भी बिना देरी किए पार्टी का प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. इसी के साथ जेडीयू में टूट के संकेत भी मिलने लगे. उधर नीति आयोग की बैठक में सीएम ने नहीं जाकर जहां मैसेज पहुंचाना था, पहुंचा दिया. इन संकेतों पर बीजेपी समझती है तो बात बन जाएगी, नहीं तो आरजेडी सब कुछ समझे हुए बैठा है. खबर तो ये भी है कि आरजेडी ने अपने विधायकों को 12 अगस्त तक पटना ना छोड़ने की ताकीद की है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नीतीश कुमार ने सोनिया गांधी से भी संपर्क साधा है. हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हुई है. तमाम संकेतों से बीजेपी नेताओं के दिल की धड़कनें बढ़ी हुई हैं.