ETV Bharat / bharat

सीजेआई ने उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश की पुस्तक का विमोचन किया - आर वी रवींद्रन

कानून की विभिन्न कमियों को दूर करने की आवश्यकता को लेकर लिखी उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति की किताब का विमोचन भारत के प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण ने किया.

CJI
CJI
author img

By

Published : Jun 26, 2021, 5:12 PM IST

नई दिल्ली : भारत के प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण ने शनिवार को उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) आर वी रवींद्रन की पुस्तक 'एनोमलीज इन लॉ एंड जस्टिस' का विमोचन किया. इस पुस्तक में सरल शब्दों में कानून की विभिन्न कमियों को दूर करने की आवश्यकता बताई गई है.

भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) ने कहा कि पुस्तक एक आम आदमी को यह समझाने का एक प्रयास है कि कानून और कानूनी व्यवस्था अभी भी विकसित हो रही है और लंबे समय से चली आ रही समस्याओं को हल करने के लिए और अधिक महत्वपूर्ण सोच की आवश्यकता है. उन्होंने न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रवींद्रन की प्रशंसा की और कहा कि वह कानून के शासन के प्रति गहरी प्रतिबद्धता, न्यायपालिका की स्वतंत्रता में दृढ़ विश्वास, नैतिकता की गहरी भावना और विद्वता का एक मिश्रण थे.

सीजेआई ने कहा कि इस पुस्तक के माध्यम से, न्यायमूर्ति रवींद्रन सरल शब्दों में, कानून में विभिन्न कमियों को दूर करने की आवश्यकता बताते हैं, ताकि आम आदमी न्यायपालिका और कानूनी व्यवस्था में विश्वास न खोए.

पूर्व सीजेआई न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) आर सी लाहोटी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाकर 65 वर्ष की जानी चाहिए. उन्होंने कहा, यदि उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाकर 65 वर्ष कर दी जाती है, तो उनके पास एक सक्रिय, अनुभवी न्यायाधीश और एक परिपक्व न्यायाधीश होगा. सेवानिवृत्ति की आयु सभी के लिए बढ़नी चाहिए, लेकिन यह उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के लिए समान होनी चाहिए.

पढ़ें :- इंटर के छात्र ने मुख्य न्यायाधीश को लिखा पत्र, CJI ने भाषा और लेखन की प्रशंसा

डिजिटल रूप से आयोजित हुए पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश एम एन वेंकटचलैया, उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश बी एन श्रीकृष्ण और वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार भी शामिल हुए.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : भारत के प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण ने शनिवार को उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) आर वी रवींद्रन की पुस्तक 'एनोमलीज इन लॉ एंड जस्टिस' का विमोचन किया. इस पुस्तक में सरल शब्दों में कानून की विभिन्न कमियों को दूर करने की आवश्यकता बताई गई है.

भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) ने कहा कि पुस्तक एक आम आदमी को यह समझाने का एक प्रयास है कि कानून और कानूनी व्यवस्था अभी भी विकसित हो रही है और लंबे समय से चली आ रही समस्याओं को हल करने के लिए और अधिक महत्वपूर्ण सोच की आवश्यकता है. उन्होंने न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रवींद्रन की प्रशंसा की और कहा कि वह कानून के शासन के प्रति गहरी प्रतिबद्धता, न्यायपालिका की स्वतंत्रता में दृढ़ विश्वास, नैतिकता की गहरी भावना और विद्वता का एक मिश्रण थे.

सीजेआई ने कहा कि इस पुस्तक के माध्यम से, न्यायमूर्ति रवींद्रन सरल शब्दों में, कानून में विभिन्न कमियों को दूर करने की आवश्यकता बताते हैं, ताकि आम आदमी न्यायपालिका और कानूनी व्यवस्था में विश्वास न खोए.

पूर्व सीजेआई न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) आर सी लाहोटी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाकर 65 वर्ष की जानी चाहिए. उन्होंने कहा, यदि उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाकर 65 वर्ष कर दी जाती है, तो उनके पास एक सक्रिय, अनुभवी न्यायाधीश और एक परिपक्व न्यायाधीश होगा. सेवानिवृत्ति की आयु सभी के लिए बढ़नी चाहिए, लेकिन यह उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के लिए समान होनी चाहिए.

पढ़ें :- इंटर के छात्र ने मुख्य न्यायाधीश को लिखा पत्र, CJI ने भाषा और लेखन की प्रशंसा

डिजिटल रूप से आयोजित हुए पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश एम एन वेंकटचलैया, उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश बी एन श्रीकृष्ण और वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार भी शामिल हुए.

(पीटीआई-भाषा)

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.