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जानिए, क्या है स्मार्ट एलेगी लिक्विड ट्री? धनबाद के सिंफर की महिला वैज्ञानिक ने इसे की है विकसित

धनबाद में सिंफर की वैज्ञानिक ने समुद्र के शैवाल से सॉल्ट ट्री बनाया है. ये ट्रांसफरेबल है और सामान्य पेड़ों से ज्यादा ऑक्सीजन देने वाली है. धनबाद के सिंफर की महिला वैज्ञानिक ने समुद्र के शैवाल से कमाल किया है. जानिए, सबकुछ सिंफर की सीनियर प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ वी एंगूसेल्वी से ईटीवी भारत की खास बातचीत में. Smart Alegy Liquid Tree from sea algae in Dhanbad.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 11, 2023, 4:17 PM IST

Smart Alegy Liquid Tree from sea algae in Dhanbad
Smart Alegy Liquid Tree from sea algae in Dhanbad
धनबाद के सिंफर की महिला वैज्ञानिक ने की स्मार्ट एलेगी लिक्विड ट्री विकसित

धनबादः इस पेड़ का नाम सुनकर आप भी हैरान और परेशान हो जाएंगे. समुद्री तल में पाए जाने वाले शैवाल से इस पेड़ को विकसित किया जा रहा है. जिसका नाम स्मार्ट एलेगी लिक्विड ट्री, यानी साल्ट ट्री है. धनबाद के सिंफर की महिला वैज्ञानिक ने इस ट्री को विकसित किया है.

इसे भी पढ़ें- बॉर्डर पर देश के दुश्मनों के छक्के छुड़ाने के लिए सिंफर बना रही जवानों को दक्ष! पत्थर हो या पहाड़ चीर कर इंडियन आर्मी पहुंचेगी शत्रु तक

पर्यावरण को बचाने के लिए अधिक से अधिक पेड़ लगाने के लिए सरकार जोर दे रही है. पेड़ मानव जीवन के लिए काफी अहम है. पौधे लगाने के बाद पेड़ बनने में सालों लग जाते हैं मतलब वर्षों बाद मनुष्य को इसका लाभ मिलता है. पेड़ के लिए अमूमन मिट्टी युक्त जमीन की जरूरत होती है. साथ ही एक जगह लगने के बाद हम उसे किसी दूसरी जगह नहीं ले जा सकते हैं. लेकिन आज हम जिस पेड़ की बात कर रहे हैं, वह सालों नहीं बल्कि घंटों और दिनों में तैयार होते हैं. इस पेड़ को कंक्रीट पर भी लगाया जा सकता है. इस पेड़ को सुगमता पूर्वक एक जगह से दूसरे जगह ले जा सकता है. यह पेड़ सामान्य पेड़ से ना सिर्फ अधिक कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित करता है बल्कि सामान्य पेड़ों की अपेक्षा अधिक मात्रा में ऑक्सीजन उत्सर्जित करता है.

देश के प्रमुख शोध संस्थान सिंफर के रिन्यूएबल एंड बायोटेक्नोलॉजी विभाग के सीनियर प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ वी एंगूसेल्वी पिछले दस साल से समुद्री तल में पाए जाने वाले शैवाल पर रिसर्च कर रही हैं. अपनी लैब में कई तरह के शैवाल उन्होंने विकसित किया है, लैब में लगे इन शैवाल में कई गुण पाए जाते हैं. डॉ. एंगूसेल्वी ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि उनके मन में ख्याल आया कि लैब में विकसित इन शैवाल को लोगों के बीच लाकर उन्हें फायदा पहुंचाया जाए. शैवाल में विद्यमान गुणों के आधार पर ही इसे पेड़ के रूप में विकसित किया गया है, जिसका नाम नाम साल्ट ट्री रखा गया.

साल्ट ट्री मतलब स्मार्ट एलेगी लिक्विड ट्री, इसका विकास सामान्य पेड़ की अपेक्षा काफी तेजी के साथ होता है, एक पेड़ के विकास में वर्षों लगते हैं तब जाकर उस पेड़ का फायदा लोगों को मिल पाता है. मसलन पेड़ के लिए बीज डालने के बाद पौधा तैयार करने और फिर उसके देखभाल में काफी वक्त लगता है. लेकिन शैवाल के पेड़ को विकसित करने में कुछ दिन ही लगते हैं. एक सप्ताह के बाद यह मानव जीवन पर अपना सकारात्मक प्रभाव डालने लगता है. सामान्य पेड़ों की तुलना में शैवाल के पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड ज्यादा मात्रा में अवशोषित करते हैं. यही नहीं ऑक्सीजन भी सामान्य पेड़ की तुलना में यह कहीं ज्यादा उत्सर्जित करते हैं.

उन्होंने बताया कि पेड़ लगाने के लिए मिट्टी युक्त जमीन की आवश्कता पड़ती है. जिस गति के साथ विकास हो रहा है, बड़े मॉल, कंक्रीट का विस्तारीकरण हो रहा है, मिट्टी युक्त जमीन की उपलब्धता कम होती जा रही है. सामान्य पेड़ लगाने के लिए जगह की कमी होती चली जा रही है. ऐसे में शैवाल के पेड़ को कंक्रीट पर भी बड़ी आसानी से लगाया जा सकता है. शैवाल के पेड़ पूरी तरह से ट्रांसफरेबल है. एक जगह से दूसरी जगह इसे ले सकते हैं, अलग अलग सेप में शैवाल के पेड़ को विकसित किया जा सकता है. इनडोर और आउटडोर में इसे आसानी से रखा जा सकता है. मॉल, हॉस्पिटल, बैंक ऑफिस घर के अंदर और बाहर इसे बड़ी आसानी से विकसित किया के सकता है.

धनबाद के सिंफर की महिला वैज्ञानिक ने की स्मार्ट एलेगी लिक्विड ट्री विकसित

धनबादः इस पेड़ का नाम सुनकर आप भी हैरान और परेशान हो जाएंगे. समुद्री तल में पाए जाने वाले शैवाल से इस पेड़ को विकसित किया जा रहा है. जिसका नाम स्मार्ट एलेगी लिक्विड ट्री, यानी साल्ट ट्री है. धनबाद के सिंफर की महिला वैज्ञानिक ने इस ट्री को विकसित किया है.

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पर्यावरण को बचाने के लिए अधिक से अधिक पेड़ लगाने के लिए सरकार जोर दे रही है. पेड़ मानव जीवन के लिए काफी अहम है. पौधे लगाने के बाद पेड़ बनने में सालों लग जाते हैं मतलब वर्षों बाद मनुष्य को इसका लाभ मिलता है. पेड़ के लिए अमूमन मिट्टी युक्त जमीन की जरूरत होती है. साथ ही एक जगह लगने के बाद हम उसे किसी दूसरी जगह नहीं ले जा सकते हैं. लेकिन आज हम जिस पेड़ की बात कर रहे हैं, वह सालों नहीं बल्कि घंटों और दिनों में तैयार होते हैं. इस पेड़ को कंक्रीट पर भी लगाया जा सकता है. इस पेड़ को सुगमता पूर्वक एक जगह से दूसरे जगह ले जा सकता है. यह पेड़ सामान्य पेड़ से ना सिर्फ अधिक कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित करता है बल्कि सामान्य पेड़ों की अपेक्षा अधिक मात्रा में ऑक्सीजन उत्सर्जित करता है.

देश के प्रमुख शोध संस्थान सिंफर के रिन्यूएबल एंड बायोटेक्नोलॉजी विभाग के सीनियर प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ वी एंगूसेल्वी पिछले दस साल से समुद्री तल में पाए जाने वाले शैवाल पर रिसर्च कर रही हैं. अपनी लैब में कई तरह के शैवाल उन्होंने विकसित किया है, लैब में लगे इन शैवाल में कई गुण पाए जाते हैं. डॉ. एंगूसेल्वी ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि उनके मन में ख्याल आया कि लैब में विकसित इन शैवाल को लोगों के बीच लाकर उन्हें फायदा पहुंचाया जाए. शैवाल में विद्यमान गुणों के आधार पर ही इसे पेड़ के रूप में विकसित किया गया है, जिसका नाम नाम साल्ट ट्री रखा गया.

साल्ट ट्री मतलब स्मार्ट एलेगी लिक्विड ट्री, इसका विकास सामान्य पेड़ की अपेक्षा काफी तेजी के साथ होता है, एक पेड़ के विकास में वर्षों लगते हैं तब जाकर उस पेड़ का फायदा लोगों को मिल पाता है. मसलन पेड़ के लिए बीज डालने के बाद पौधा तैयार करने और फिर उसके देखभाल में काफी वक्त लगता है. लेकिन शैवाल के पेड़ को विकसित करने में कुछ दिन ही लगते हैं. एक सप्ताह के बाद यह मानव जीवन पर अपना सकारात्मक प्रभाव डालने लगता है. सामान्य पेड़ों की तुलना में शैवाल के पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड ज्यादा मात्रा में अवशोषित करते हैं. यही नहीं ऑक्सीजन भी सामान्य पेड़ की तुलना में यह कहीं ज्यादा उत्सर्जित करते हैं.

उन्होंने बताया कि पेड़ लगाने के लिए मिट्टी युक्त जमीन की आवश्कता पड़ती है. जिस गति के साथ विकास हो रहा है, बड़े मॉल, कंक्रीट का विस्तारीकरण हो रहा है, मिट्टी युक्त जमीन की उपलब्धता कम होती जा रही है. सामान्य पेड़ लगाने के लिए जगह की कमी होती चली जा रही है. ऐसे में शैवाल के पेड़ को कंक्रीट पर भी बड़ी आसानी से लगाया जा सकता है. शैवाल के पेड़ पूरी तरह से ट्रांसफरेबल है. एक जगह से दूसरी जगह इसे ले सकते हैं, अलग अलग सेप में शैवाल के पेड़ को विकसित किया जा सकता है. इनडोर और आउटडोर में इसे आसानी से रखा जा सकता है. मॉल, हॉस्पिटल, बैंक ऑफिस घर के अंदर और बाहर इसे बड़ी आसानी से विकसित किया के सकता है.

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