नई दिल्ली : चिराग पासवान ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा, मुझे बिल्कुल उम्मीद नहीं थी कि मेरे पिता रामविलास पासवान के निधन के कुछ ही महीनों के बाद परिवार और पार्टी टूट जाएगी. मेरे छोटे चाचा रामचंद्र पासवान का कुछ साल पहले निधन हुआ फिर मेरे पिताजी का निधन हुआ. इसके बाद सबकी जिम्मेदारी मेरे चाचा पशुपति पारस पर थी. उनको सबको साथ लेकर चलना था लेकिन उन्होंने मुझे धोखा दिया. मेरे पीठ में खंजर घोपने का काम किया. मुझे पार्टी से ज्यादा परिवार टूटने का दर्द है.
उन्होंने कहा कि मैं महागठबंधन में जाकर राजद के साथ गठबंधन कर लूंगा या एनडीए में बीजेपी के साथ रहूंगा और नीतीश कुमार से समझौता कर लूंगा इस पर अभी मैंने कोई निर्णय नहीं लिया है. यह सब मेरे लिए अभी कोई जरूरी नहीं है. बिहार की जनता मेरे लिए सबसे जरूरी है. बिहार के लोग और पार्टी के लोग जो चाहेंगे मैं वही निर्णय लूंगा.
हर मुश्किल वक्त में दिया मोदी सरकार का साथ
बता दें राम मंदिर, ट्रिपल तलाक बिल, सीएए समेत हर मुद्दे पर चिराग ने मोदी सरकार का साथ दिया. 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले लोजपा ने बीजेपी से गठबंधन तब किया था जब दूसरे दल कुछ वर्गों का वोट पाने के लिए बीजेपी से गठबंधन नहीं करना चाह रहे थे. लोजपा (लोक जनशक्ति पार्टी) का जब बीजेपी से गठबंधन हुआ तो उसके बाद कई सारे दल एनडीए (नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस) में आ गए. हर मुश्किल वक्त में मोदी सरकार का साथ देने वाले चिराग खुद को पीएम मोदी का हनुमान और पीएम को राम बता रहे थे.
जब लोजपा टूटने लगी तो चिराग ने कहा था कि हनुमान का राजनीतिक वध करने की कोशिश की जा रही है लेकिन राम शांत हैं. इसी बीच बड़ा घटनाक्रम हुआ. चिराग ने अहमदाबाद जाकर पीएम मोदी एक करीबी नेता से मुलाकात की है. वह गुजरात में बीजेपी के बड़े नेता हैं. इसके बाद से कयास लगाए जाने लगे हैं कि अब पीएम मोदी एवं बीजेपी चिराग का खुलकर समर्थन करेगी. वहीं अहमदाबाद यात्रा पर चिराग ने कहा है कि यह मेरी निजी यात्रा थी. इसको राजनीतिक चश्मे से नहीं देखना चाहिए. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस मुलाकात के बाद चिराग जल्द कुछ बड़ा ऐलान कर सकते हैं जिसके बाद बिहार की सियासत में एक नए अध्याय की शुरुआत होगी.
पारस की स्थिति बदतर हो गई है
वहीं बता दें लोजपा जब टूटने लगी तो चिराग के चाचा एवं सांसद पशुपति पारस ने कहा था कि कुछ असामाजिक तत्व पार्टी में आ गए हैं जो पार्टी को बर्बाद कर रहे हैं. उन्होंने इशारों में चिराग के करीबी और बचपन के मित्र सौरभ पांडे पर यह आरोप लगाए थे. पारस का कहना था कि इन्हीं के कारण पार्टी टूटी है. इस पर चिराग ने कहा कि अगर सौरभ पांडे से पशुपति पारस को दिक्कत थी तो मेरे पिताजी, माताजी या हमसे इस मुद्दे पर पारस बातचीत कर सकते थे लेकिन उन्होंने कभी भी सौरव पांडे को लेकर किसी से कोई बातचीत नहीं की. सबसे बड़ी बात यह है कि सौरभ पांडे मुझसे ज्यादा पारस चाचा के करीबी थे. पारस सौरव को बहुत मानते थे. पार्टी सौरभ पांडे के कारण नहीं टूटी है. पारस ने अपने राजनीतिक महत्वाकांक्षा के लिए पार्टी तोड़ी है और पारस की स्थिति बदतर हो गई है. ना बीजेपी का कोई नेता उनसे बात कर रहा है ना नीतीश कुमार उनसे बात कर रहे हैं. लोजपा के 95% लोग भी मेरे साथ हैं. बिहार की जनता भी मेरे साथ है. पशुपति पारस अलग-थलग पड़ चुके हैं. इसलिए घबराकर वह कभी सौरभ पर निशाना साध रहे हैं तो कभी यह कह रहे हैं कि पार्टी टूटी नहीं है सिर्फ नेतृत्व परिवर्तन हुआ है.
पारस के खिलाफ कोर्ट जा सकते हैं
उन्होंने कहा कि पारस अगर लोजपा कोटे से केंद्र सरकार में मंत्री बनेंगे तो मैं कोर्ट जाऊंगा क्योंकि मैंने पांच सांसदों को पार्टी से निकाला था जिसमें पारस भी थे और उन लोगों ने मिलकर पारस को संसदीय दल का नेता चुना है. पारस एलजेपी के नेता नहीं है. असली लोजपा हम हैं. वह अपनी कोई पार्टी बनकर या जदयू में शामिल होकर या बीजेपी में शामिल होकर या निर्दलीय सांसद के तौर पर केंद्र सरकार में मंत्री बनते हैं तो मुझे कोई दिक्कत नहीं है. उन्होंने यह भी बताया कि 5 जुलाई को रामविलास पासवान की जयंती है और उस दिन से मैं बिहार में आशीर्वाद यात्रा की शुरुआत करूंगा. हर जिले में यात्रा जाएगी. बिहार चुनाव के दौरान करीब 25 लाख वोट मुझे मिले थे. जनता ने खुलकर मेरा समर्थन किया था. मैं जनता को धन्यवाद दूंगा.
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बता दें लोजपा में बड़ी टूट हुई थी. छह में से पांच सांसद अलग हो गए. सांसदों ने पशुपति पारस को संसदीय दल का नेता चिराग की जगह बना दिया. पशुपति पारस अपने गुट के नेताओं के साथ बैठक कर खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बन गए. चिराग ने पूरे मामले पर चुनाव आयोग का रुख किया. लोकसभा स्पीकर से भी मिले. चिराग का दावा है कि असली लोजपा वह हैं. चिराग ने भी अपने गुट के लोगों के साथ राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक की थी जिसमें पार्टी के करीब 95% नेता आए थे.