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चीन की मंशा सीमा मुद्दे को जिंदा रखने की रही है : सेना प्रमुख

पूर्वी लद्दाख में करीब दो साल से चले आ रहे सैन्य गतिरोध के बीच सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने चीन के साथ संबंधों में सीमा विवादों को प्रमुख मुद्दा बताते हुए आज कहा, पड़ोसी देश सीमा विवादों को उलझाए रखने का इच्छुक है. बमुश्किल दस दिन पहले सेना की बागडोर संभालने वाले जनरल पांडे ने सोमवार को अपने पहले विधिवत संवाददाता सम्मेलन में चीन और पाकिस्तान से जुड़े मुद्दों पर बेबाकी के साथ सवालों के जवाब दिए. वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट...

Indian Army  General Manoj Pandey  Army Chief  LAC Dispute  China  सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे  पूर्वी लद्दाख
Indian Army Chief on boundary issue with China
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Published : May 9, 2022, 8:16 PM IST

Updated : May 9, 2022, 9:56 PM IST

नई दिल्ली: सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने सोमवार को कहा कि चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सीमा विवाद का समाधान खोजने की कोशिश नहीं कर रहा है. उसकी मंशा इस विवाद को जिंदा रखने की रही है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारतीय सैनिक एलएसी पर महत्वपूर्ण स्थानों पर बने हुए हैं. मीडियाकर्मियों के साथ बातचीत के दौरान, जनरल पांडे ने कहा, उनके (एलएसी पर तैनात सैनिकों) लिए हमारा मार्गदर्शन दृढ़ है और यथास्थिति को बदलने के किसी भी प्रयास को रोकना है.

सीमा पर मौजूदा स्थिति और चीन की मंशा के बारे में बात करते हुए जनरल पांडे ने कहा, मूल मुद्दा सीमा का समाधान है. हम जो देखते हैं, वह यह है कि चीन की मंशा सीमा मुद्दे को जीवित रखने की रही है. एक देश के रूप में हमें संपूर्ण राष्ट्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है और सैन्य क्षेत्र में यह एलएसी पर यथास्थिति को बदलने के किसी भी प्रयास को रोकने और उसका मुकाबला करने के लिए है.

यह भी पढ़ें: 'ई-जनगणना' के आधार पर तैयार होगा अगले 25 सालों के विकास का खाका : अमित शाह

सेना प्रमुख ने कहा कि उनका उद्देश्य और इरादा 2020 से पहले यथास्थिति स्थापित करना है. लेकिन उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि यह एकतरफा मामला नहीं हो सकता और इसके लिए दोनों पक्षों की ओर से प्रयास किए जाने चाहिए. उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख की स्थिति से निपटने के लिए पुनसंर्तुलन और पुनर्रचना का निर्णय लिया है.

उन्होंने आगे कहा कि सीमा विवाद के बाद से, सुरक्षा बल पुनर्मूल्यांकन कर रहा है और एलएसी के साथ एक मजबूत स्थिति बनाने के लिए कुछ कार्रवाई कर रहा है. उन्होंने कहा, किसी प्रकार की स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त बल उपलब्ध हैं.

सेना प्रमुख ने जोर देते हुए कहा कि एलएसी पर सेना का फोकस इंटेलिजेंस सर्विलांस एंड रिकोनिसेंस (आईएसआर) को अपग्रेड करना और ऑपरेशन और लॉजिस्टिक्स को सपोर्ट करने के लिए हमारे इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण करना है. उन्होंने कहा कि नई प्रौद्योगिकियों को शामिल करना संपूर्ण उत्तरी सीमा पर क्षमता विकास की चल रही प्रक्रिया का हिस्सा है.

यह भी पढ़ें: पाकिस्तान में लॉन्ग मार्च 20 मई को, इस्लामाबाद कूच करेगी इमरान खान की पार्टी PTI

चीन के साथ सीमा विवाद को हल करने के लिए, सेना प्रमुख ने कहा, भारत राजनयिक और सैन्य वार्ता में संलग्न है, जिसके परिणामस्वरूप अब तक पैंगोंगसो, गोगरा और पीपी 14 (गलवान घाटी) के उत्तर और दक्षिण में सैनिकों के पीछे हटने का काम हुआ है. सेना प्रमुख ने कहा, हम आगे बढ़ेंगे और बातचीत (सैन्य और राजनयिक) के माध्यम से एक समाधान निकालेंगे.

एलओसी-एलएसी 'त्रिकोण'

सेना प्रमुख ने कहा, चीनी मुद्रा एलओसी-एलएसी त्रिकोण विवाद को रोकने की अपनी नीति के अनुरूप है, जिससे भारत को पाकिस्तान और चीन के साथ संभावित विरोधियों के रूप में दो-मोर्चे के बीच युद्ध परिदृश्य से रोक दिया जाता है. एलओसी नियंत्रण रेखा है, जो पाकिस्तान के साथ वास्तविक सीमा है, जो पाकिस्तान की मेजबानी वाले आतंकवादियों द्वारा घुसपैठ के लिए कुख्यात है. भारत में अपनी हिंसक भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए पार करते हैं. एलओसी-एलएसी त्रिकोण ने अफगानिस्तान में सक्रिय विदेशी आतंकवादियों की संभावना के साथ एक और खतरनाक आयाम जोड़ दिया है. अप्रैल-मई 2020 में शुरू हुई हिंसक घटनाओं की एक कड़ी के बाद भारत ने चीन के साथ उत्तरी सीमा पर 50,000 से अधिक सैनिकों और सैन्य उपकरणों को पहले ही तैनात कर दिया है.

सेना प्रमुख ने बताया, पिछले कुछ साल में हमने पूर्वी लद्दाख की स्थिति से निपटने के लिए अपने बलों को पुनर्संतुलित और पुन: उन्मुख किया है. हमने कुछ कार्रवाई की है. सभी प्रकार की आकस्मिकताओं से निपटने के लिए एलएसी के साथ हमारी मजबूत स्थिति है.

रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध को लेकर जनरल पांडे ने कहा, पारंपरिक युद्ध की प्रासंगिकता अभी भी एक या दूसरे रूप में नियोजित तोपखाने, टैंक और पैदल सेना के साथ बनी हुई है. इसके अलावा इस विश्वास को गलत साबित करती है कि भविष्य के सभी युद्ध छोटे और तेज होंगे. उन्होंने कहा, आत्मनिर्भरता बढ़ाना (सैन्य आवश्यकताओं में) एक महत्वपूर्ण सबक (यूक्रेन संघर्ष से लिया गया) है. उन्होंने कहा कि साइबर और सूचना युद्ध जैसे गैर-गतिज और गैर-संपर्क युद्ध पर ध्यान देने की आवश्यकता है.

नई दिल्ली: सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने सोमवार को कहा कि चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सीमा विवाद का समाधान खोजने की कोशिश नहीं कर रहा है. उसकी मंशा इस विवाद को जिंदा रखने की रही है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारतीय सैनिक एलएसी पर महत्वपूर्ण स्थानों पर बने हुए हैं. मीडियाकर्मियों के साथ बातचीत के दौरान, जनरल पांडे ने कहा, उनके (एलएसी पर तैनात सैनिकों) लिए हमारा मार्गदर्शन दृढ़ है और यथास्थिति को बदलने के किसी भी प्रयास को रोकना है.

सीमा पर मौजूदा स्थिति और चीन की मंशा के बारे में बात करते हुए जनरल पांडे ने कहा, मूल मुद्दा सीमा का समाधान है. हम जो देखते हैं, वह यह है कि चीन की मंशा सीमा मुद्दे को जीवित रखने की रही है. एक देश के रूप में हमें संपूर्ण राष्ट्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है और सैन्य क्षेत्र में यह एलएसी पर यथास्थिति को बदलने के किसी भी प्रयास को रोकने और उसका मुकाबला करने के लिए है.

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सेना प्रमुख ने कहा कि उनका उद्देश्य और इरादा 2020 से पहले यथास्थिति स्थापित करना है. लेकिन उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि यह एकतरफा मामला नहीं हो सकता और इसके लिए दोनों पक्षों की ओर से प्रयास किए जाने चाहिए. उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख की स्थिति से निपटने के लिए पुनसंर्तुलन और पुनर्रचना का निर्णय लिया है.

उन्होंने आगे कहा कि सीमा विवाद के बाद से, सुरक्षा बल पुनर्मूल्यांकन कर रहा है और एलएसी के साथ एक मजबूत स्थिति बनाने के लिए कुछ कार्रवाई कर रहा है. उन्होंने कहा, किसी प्रकार की स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त बल उपलब्ध हैं.

सेना प्रमुख ने जोर देते हुए कहा कि एलएसी पर सेना का फोकस इंटेलिजेंस सर्विलांस एंड रिकोनिसेंस (आईएसआर) को अपग्रेड करना और ऑपरेशन और लॉजिस्टिक्स को सपोर्ट करने के लिए हमारे इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण करना है. उन्होंने कहा कि नई प्रौद्योगिकियों को शामिल करना संपूर्ण उत्तरी सीमा पर क्षमता विकास की चल रही प्रक्रिया का हिस्सा है.

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चीन के साथ सीमा विवाद को हल करने के लिए, सेना प्रमुख ने कहा, भारत राजनयिक और सैन्य वार्ता में संलग्न है, जिसके परिणामस्वरूप अब तक पैंगोंगसो, गोगरा और पीपी 14 (गलवान घाटी) के उत्तर और दक्षिण में सैनिकों के पीछे हटने का काम हुआ है. सेना प्रमुख ने कहा, हम आगे बढ़ेंगे और बातचीत (सैन्य और राजनयिक) के माध्यम से एक समाधान निकालेंगे.

एलओसी-एलएसी 'त्रिकोण'

सेना प्रमुख ने कहा, चीनी मुद्रा एलओसी-एलएसी त्रिकोण विवाद को रोकने की अपनी नीति के अनुरूप है, जिससे भारत को पाकिस्तान और चीन के साथ संभावित विरोधियों के रूप में दो-मोर्चे के बीच युद्ध परिदृश्य से रोक दिया जाता है. एलओसी नियंत्रण रेखा है, जो पाकिस्तान के साथ वास्तविक सीमा है, जो पाकिस्तान की मेजबानी वाले आतंकवादियों द्वारा घुसपैठ के लिए कुख्यात है. भारत में अपनी हिंसक भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए पार करते हैं. एलओसी-एलएसी त्रिकोण ने अफगानिस्तान में सक्रिय विदेशी आतंकवादियों की संभावना के साथ एक और खतरनाक आयाम जोड़ दिया है. अप्रैल-मई 2020 में शुरू हुई हिंसक घटनाओं की एक कड़ी के बाद भारत ने चीन के साथ उत्तरी सीमा पर 50,000 से अधिक सैनिकों और सैन्य उपकरणों को पहले ही तैनात कर दिया है.

सेना प्रमुख ने बताया, पिछले कुछ साल में हमने पूर्वी लद्दाख की स्थिति से निपटने के लिए अपने बलों को पुनर्संतुलित और पुन: उन्मुख किया है. हमने कुछ कार्रवाई की है. सभी प्रकार की आकस्मिकताओं से निपटने के लिए एलएसी के साथ हमारी मजबूत स्थिति है.

रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध को लेकर जनरल पांडे ने कहा, पारंपरिक युद्ध की प्रासंगिकता अभी भी एक या दूसरे रूप में नियोजित तोपखाने, टैंक और पैदल सेना के साथ बनी हुई है. इसके अलावा इस विश्वास को गलत साबित करती है कि भविष्य के सभी युद्ध छोटे और तेज होंगे. उन्होंने कहा, आत्मनिर्भरता बढ़ाना (सैन्य आवश्यकताओं में) एक महत्वपूर्ण सबक (यूक्रेन संघर्ष से लिया गया) है. उन्होंने कहा कि साइबर और सूचना युद्ध जैसे गैर-गतिज और गैर-संपर्क युद्ध पर ध्यान देने की आवश्यकता है.

Last Updated : May 9, 2022, 9:56 PM IST
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