हैदराबाद : यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बीच संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप ने सीधे सैन्य संघर्ष से परहेज किया है, लेकिन वे रूस को पीछे धकेलने के लिए वित्तीय प्रतिबंध लगा रहे हैं ( financial sanctions on Russia ). इसका सीधा मतलब देश की अर्थव्यवस्था को झटका देना और वित्तीय संसाधनों तक इसकी पहुंच को रोकना है. अमेरिका और यूरोप की इस पहल को झटका लगता दिख रहा है. चीन ने साफ किया है कि वह रूस पर वित्तीय प्रतिबंधों के खिलाफ है.
चीन के बैंक नियामक ने बुधवार को कहा कि वह रूस पर वित्तीय प्रतिबंध लगाने के अमेरिका और यूरोपीय सरकारों के फैसले में शामिल नहीं होगा. चीन रूसी तेल और गैस का प्रमुख खरीदार है. चीन वह बड़ा देश है जिसने यूक्रेन पर मास्को के हमले की आलोचना करने से परहेज किया है. चीन बैंकिंग और बीमा नियामक आयोग के अध्यक्ष गुओ शुकिंग (Guo Shuqing) ने कहा, बीजिंग प्रतिबंधों का विरोध करता है. गुओ ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'हम इस तरह के प्रतिबंधों में शामिल नहीं होंगे. हम सभी संबंधित पक्षों के साथ सामान्य आर्थिक, व्यापार और वित्तीय आदान-प्रदान रखेंगे. हम विशेष रूप से एकतरफा शुरू किए गए वित्तीय प्रतिबंधों को अस्वीकार करते हैं. क्योंकि वह बहुत कानूनी आधार नहीं रखते और इसका अच्छा प्रभाव नहीं होगा.'
चीन ने सीधी वार्ता के लिए अनुकूल स्थिति बनाने का आह्वान किया
इससे पहले संयुक्त राष्ट्र स्थित चीनी स्थायी प्रतिनिधि चांग चून ने 28 फरवरी को यूक्रेन मुद्दे के राजनीतिक समाधान को बढ़ाने और संबंधित पक्षों के बीच सीधी वार्ता के लिए अनुकूल स्थिति तैयार करने का आह्वान किया था.
चांग चून ने इस बात पर जोर देते हुए कहा था कि संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के संबंधित पक्षों की कोई भी कार्रवाई क्षेत्रीय शांति और स्थिरता और सभी पक्षों की सामान्य सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए तनाव कम करने, राजनयिक समाधान बढ़ाने के लिए मददगार होनी चाहिए. चीन संघर्ष को बढ़ाने वाले किसी भी अभ्यास को अस्वीकार करता है. चीन यूक्रेन में मानवीय सहायता कार्य जारी रखने के लिए संबंधित संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों का समर्थन करता है. चीन का मानना है कि आम लोगों की जीवन और संपत्ति की सुरक्षा और मानवीय मांगों को प्रभावी ढंग से सुनिश्चित किया जाना चाहिए.
अमेरिका-यूरोप ने ये कदम उठाए
अमेरिका और यूरोपीय सहयोगियों ने डॉलर और यूरो जैसी विदेशी मुद्राओं में लेन-देन करने की अपनी क्षमता को सीमित कर दिया है. कई रूसी बैंकों की संपत्ति को फ्रीज कर दिया है. रूस के बैंकों को SWIFT मैसेजिंग सिस्टम से काट दिया है जो बैंकों को विश्व स्तर पर सूचना प्रसारित करने के लिए उपयोग करते हैं. जापान ने कहा कि वह रूसी नेताओं और कुछ बैंकों की संपत्ति को फ्रीज करने और रूस के विदेशी भंडार को येन में जमा करने में शामिल होगा. यहां तक कि संघर्ष में ऐतिहासिक रूप से तटस्थ देश स्विट्जरलैंड भी प्रतिबंधों के प्रयासों में शामिल होने के लिए राजी हो गया है.
रूस के केंद्रीय बैंक ने ब्याज दर को दोगुना किया
रूस ने भी कमर कस ली है. वह अपनी अर्थव्यवस्था और वित्त को किनारे करने की कोशिश को दूर करने के लिए कदम उठा रहा है. डॉलर के मुकाबले रूबल के गिरने के बाद वहां के केंद्रीय बैंक ने अपनी ब्याज दर को दोगुना कर दिया है. 2014 में क्रीमिया पर आक्रमण के बाद से प्रतिबंधों का सामना कर रहे देश के पास 600 बिलियन डॉलर से अधिक का विदेशी भंडार है. हालांकि न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक उस पैसे का एक बड़ा हिस्सा वास्तव में रूस में नहीं है, लेकिन अनिवार्य रूप से दुनिया भर के बैंकों में कागज पर है. तो अब, देश को उस पैसे तक पहुंचने में मुश्किल हो सकती है. प्रतिबंधों से रूसी सरकार को नुकसान होने की संभावना है.
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