हैदराबाद : चीन की संसदीय संस्था, नेशनल पीपल्स कांग्रेस ने पिछले सप्ताह एक नया 'सीमा कानून' पारित किया. यह कानून के तहत वह उन देशों से विवाद सुलझाएगा, जिनके साथ उसका जमीन से जुड़ा सीमा विवाद है. डिफेंस एक्सपर्ट मानते हैं कि यह पिछले डेढ़ साल से बॉर्डर पर चल रहे भारत-चीन गतिरोध के कारण यह कानून बनाया है. चीन 14 देशों के साथ जमीन से जुड़ा बॉर्डर साझा करता है. रिपोर्टस के मुताबिक, 12 देशों से उसने सीमा विवाद सुलझा लिया है, सिर्फ भूटान और भारत के साथ विवाद जारी है. 14 अक्टूबर को सीमा विवाद सुलझाने के लिए चीन ने भूटान के साथ समझौता किया है, इसलिए उसने नया सीमा कानून भारत को टारगेट करने के लिए बनाया है. चीन का नया भूमि सीमा कानून 1 जनवरी 2022 से लागू होगा.
सीमा सुरक्षा के तहत बुनियादी ढांचे बनाएगा चीन
- चीन का नया कानून पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) और चीनी पीपुल्स आर्म्ड पुलिस बल को सीमा सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपता है. दोनों एजेंसियों सीमा पार की लोगों की कोशिश को रोकेंगे और उनका मुकाबला करेंगे. इसके तहत चीन की सेना और सरकार अपनी सीमाओं पर सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बुनियादी ढांचे के विकास करेगी.
- नए कानून के तहत चीन बॉर्डर पर मार्कर लगाएगा. यह निशान पड़ोसी देशों के साथ आम सहमति से तय किए जाएंगे. सीमा विवाद निपटाने के लिए संयुक्त बॉर्डर कमिटी बनाई जाएगी. बातचीत 'समानता और पारस्परिक लाभ' के सिद्धांतों के आधार पर होगी.
- चीन ने कानून में सरकार की मंजूरी के बिना सीमावर्ती क्षेत्रों के पास व्यक्तियों की ओर से किसी भी स्थायी भवन के निर्माण पर भी प्रतिबंध लगाया गया है. यह सीमावर्ती क्षेत्रों के पास मानव रहित हवाई वाहनों की उड़ान को भी प्रतिबंधित करता है.
- कानून सुनिश्चित करता है कि युद्ध या सशस्त्र संघर्ष, प्राकृतिक आपदा, एक्सिडेंट और जैविक और रसायनिक हमलों के दौरान चीन बॉर्डर को एकतरफा सील कर सकता है.
नए कानून से भारत को क्या हो सकती है प्रॉब्लम
भारत चीन के साथ करीब 3500 किलोमीटर की सीमा साझा करता है. भारत के साथ मिलने वाले तकरीबन हर प्रमुख इलाकों जम्मू कश्मीर, हिमाचल, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में चीन भारतीय भूमि पर दावा करता रहा है. चीन ने कभी एक्चुअल लाइन ऑफ कंट्रोल (एलएसी) का सम्मान नहीं किया. डिफेंस एक्सपर्ट के मुताबिक, चीन ऐसे विवाद पैदा करता है और पड़ोसियों का ध्यान बॉर्डर इलाकों में इन्फ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने से हटा देता है. अब नए कानून के तहत चीन खुलेआम बॉर्डर के पास नए शहर बसाएगा और बेसिक इन्फ्रास्ट्रकर भी मुहैया करेगा. ऐसे कदमों से सीमा क्षेत्र में विकास लाकर चीन अपनी सुरक्षा और संप्रभुता को और प्रबल करना चाहता है.
डिफेंस एक्सपर्ट कैप्टन शशिभूषण त्यागी के अनुसार, भारत ने एलएसी और नो मेंस लैंड के आसपास एक सड़क भी नहीं बनाई. मगर लद्दाख के पास चीन ने 600 से ज्यादा गांव बसा दिए. इसके अलावा अरुणाचल की सीमा के पास चीन एलएसी से सिर्फ डेढ़ किलोमीटर अंदर कई गांव बसा दिए. ऐसा उसने उत्तराखंड के पास सटे बॉर्डर में भी किया. यह चीन के सामरिक रणनीति का हिस्सा है. गलवान जैसे बॉर्डर पर 3 साल पहले तक सर्दियों में सेना की तैनाती नहीं होती थी. मगर चीन ने उस क्षेत्र में भी निर्माण कर लिया.
पड़ोसियों के साथ भारत के संबंधों का फायदा भी उठा रहा है चीन
20 साल पहले तक चीन और पाकिस्तान को छोड़कर भारत के संबंध अन्य पड़ोसियों से बेहतर थे. मगर इसके बाद नेपाल, भूटान, श्रीलंका और बांग्लादेश जैसे देशों से भी भारत का प्रभाव कम होता गया. चीन ने इस स्थिति को अपने पक्ष में भुनाने की कोशिश की है. अब ऐसे हालात का फायदा वह सीमा विवाद में उठाना चाहता है. डिफेंस एक्सपर्ट कैप्टन शशिभूषण त्यागी ने बताया कि डिप्लोमेसी और विदेश नीति शाश्वत रूप से एक साथ चलती है. मगर भारत के मूल विदेश नीति में खामियां थीं, जिसका नतीजा चीन के साथ सीमा विवाद है. अब मोदी सरकार ने जो सुधार की कोशिश की है, उसका असर एक दशक बाद दिखेगा.
डिफेंस एक्सपर्ट के अनुसार, चीन के साथ जिन देशों का बॉर्डर है, वे निश्चिंत होकर नहीं बैठ सकते हैं. चीन की नीति ही विवाद बनाए रखने की है. शशिभूषण त्यागी बताते हैं कि भारत को भी बॉर्डर इलाके में आबादी बसाने और उनके लिए सड़क, बिजली जैसी मूलभूत सुविधा देने की व्यवस्था करनी चाहिए. ऐसे में भारत भी वैश्विक मंच पर संप्रभुता का दावा कर सकता है. अगर चीन आने वाले समय में भारत पर ही जमीन पर कब्जा करने का आरोप लगाता है तो ऐसे कदम चुनौती से निपटने में सहायक भी होंगे.