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क्या 'रिज' पर नियंत्रण हासिल करने की रणनीति बना रहा चीन ?

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Published : Nov 18, 2021, 6:52 PM IST

Updated : Nov 18, 2021, 8:18 PM IST

भूटान में डोकलाम पठार (Doklam plateau) में नए 'दोहरे उपयोग' वाले गांवों की बात सामने आने के साथ ही चीन की सैन्य रणनीति चर्चा में है. 'दोहरे उपयोग वाले गांव' ('dual-use' villages) चीन के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण 'रिज' पर नियंत्रण हासिल करने की रणनीति से निर्देशित हो सकते हैं. ये भारतीय मुख्य भूमि को पूर्वोत्तर क्षेत्र से जोड़ने वाले कमजोर 'चिकन्स नेक कॉरिडोर' (Chicken's Neck Corridor) का कमांडिंग दृश्य भी प्रस्तुत करती है. पढ़ें वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट.

चीन
चीन

नई दिल्ली : चीन के सहायक विदेश मंत्री वू जियानघाओ और भूटान के विदेश मंत्री ल्योंपो टांडी दोरजी के बीच 'थ्री-स्टेप रोडमैप' समझौता 15 अक्टूबर, 2021 को हुआ था. इस समझौते का विवरण उजागर नहीं हुआ है. ऐसे में चीन के डोकलाम पठार के दक्षिण-पूर्व में 'मध्यम रूप से समृद्ध' 'दोहरे उपयोग' वाला गांव- 'जियाओकांग' बसाया जाना इस बात का संकेत हो सकता है कि चीन रिज ​​पर नियंत्रण हासिल करने की ताक में है.

संबंधित भौगोलिक इलाके का विवरण (सौ. गूगल)
संबंधित भौगोलिक इलाके का विवरण (सौ. गूगल)

रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण जामफेरी रिज एक भौगोलिक भूभाग है. जो चिकन्स नेक या सिलीगुड़ी कॉरिडोर के उत्तर-पूर्वोत्तर में लगभग 500 मीटर की दूरी पर है. आमतौर पर चीनी रणनीति कब्जा करने की मानी जाती है. अक्सर ऐसी स्थिति बन जाती है जब प्रतिद्वंद्वी दावेदारों को अंततः चीन के पक्ष में नई बदली हुई यथास्थिति को स्वीकार करना पड़ता है. ऐसे में यह 'सलामी-स्लाइसिंग' (salami-slicing) विवादित क्षेत्र पर धीरे-धीरे कब्जा करने की नीति को दर्शाता है.

चीन ने भूटान क्षेत्र में बसाए नए गांव
सैटेलाइट इमेजरी ने मंगलवार को इंटेल लैब के एक स्वीकृत शोधकर्ता ने ट्वीट किया, 'ये तस्वीरें डोकलाम के पास भूटान और चीन के बीच विवादित भूमि के बीच 2020-21 में निर्माण गतिविधि को दर्शाती हैं. लगभग 100 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले कई नए गांव अब परिदृश्य को देखते हैं. क्या यह एक नए समझौते या चीन के क्षेत्रीय दावों के प्रवर्तन का हिस्सा है?'

रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है ये क्षेत्र
डोकलाम भारत, चीन और भूटान के बीच त्रि-जंक्शन पर एक पठार और एक घाटी से युक्त 100 वर्ग किमी का क्षेत्र है. यह तिब्बत की चुंबी घाटी, भूटान की ही घाटी और भारतीय राज्य सिक्किम से घिरा हुआ है. यह क्षेत्र भारत-भूटान-चीन ट्राइजंक्शन के पास स्थित डोकलाम (Doka La) पठार के बहुत करीब है, जहां 2017 में 73 दिनों तक चीनी सैनिकों की तैनाती की बराबरी करते हुए भारत के सैनिक डटे रहे थे. चीन के हाल ही में 1 जनवरी, 2022 से प्रभावी होने के लिए एक व्यापक सीमा कानून तैयार करने की पृष्ठभूमि में यह घटनाक्रम मायने रखता है.

जिन चीनी गांवों का निर्माण मई 2020 और नवंबर 2021 के बीच किया गया है वह भूटानी क्षेत्र में हैं, लेकिन ये दक्षिण की ओर जामफेरी रिज की ओर अधिक हैं, जो सिलीगुड़ी कॉरिडोर को नज़रअंदाज़ करता है. उत्तर में भूटान और दक्षिण में बांग्लादेश के बीच लगभग 60 किलोमीटर लंबा भूमि गलियारा है. सिलीगुड़ी कॉरिडोर एक ऐसा खंड है जिसके माध्यम से भारतीय मुख्य भूमि को पूर्वोत्तर क्षेत्र से जोड़ने के लिए सभी रेल और सड़क संपर्क गुजरते हैं.

इसलिए संघर्ष के समय यह खंड दुश्मन के विमानों के हमलों के लिए एक बहुत ही कमजोर लक्ष्य होगा. जामफेरी रिज का चीनी नियंत्रण इस इलाके में सड़कों, पुलों और किसी भी चलती वस्तु को निशाना बनाने में सक्षम होगा. ऐसे में जब जामफेरी रिज (Jampheri Ridge) के ऊपर रॉयल भूटानी सेना की एक स्थायी टुकड़ी तैनात है, इस तरह का निर्माण गंभीर कारक नहीं है कि भूटान के साथ चीन की 'जिस की लाठी उस की भैंस' (might is right) वाली कूटनीति हो सकती है. जो इस सारे विवरण के मूल प्रश्न को लाता है कि यहां 'थ्री स्टेप रोडमैप' 'समझौता शामिल हो सकता है.

पढ़ें- डोकलाम के निकट 'चीन के गांव बसाने' को लेकर PM चुप क्यों हैं: कांग्रेस

गौरतलब है कि 2017 के डोकलाम संकट के दौरान चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग (Lu Kang) ने जामफेरी रिज को लेकर एक स्केच नक्शा प्रस्तुत किया था. डोकलाम पठार और जामफेरी रिज पर अधिक नियंत्रण से भूटान की रक्षा करने की भारत की क्षमता का भी परीक्षण होगा. चीन चाहता है कि भारत-भूटान राजनीतिक संबंध कमजोर हों. साथ ही ड्रैगन की मंशा है कि भूटान उसके दबाव में आए.

पढ़ें- सीमा विवाद के जल्द समाधान पर भारत-चीन सहमत : विदेश मंत्रालय

नई दिल्ली : चीन के सहायक विदेश मंत्री वू जियानघाओ और भूटान के विदेश मंत्री ल्योंपो टांडी दोरजी के बीच 'थ्री-स्टेप रोडमैप' समझौता 15 अक्टूबर, 2021 को हुआ था. इस समझौते का विवरण उजागर नहीं हुआ है. ऐसे में चीन के डोकलाम पठार के दक्षिण-पूर्व में 'मध्यम रूप से समृद्ध' 'दोहरे उपयोग' वाला गांव- 'जियाओकांग' बसाया जाना इस बात का संकेत हो सकता है कि चीन रिज ​​पर नियंत्रण हासिल करने की ताक में है.

संबंधित भौगोलिक इलाके का विवरण (सौ. गूगल)
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रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण जामफेरी रिज एक भौगोलिक भूभाग है. जो चिकन्स नेक या सिलीगुड़ी कॉरिडोर के उत्तर-पूर्वोत्तर में लगभग 500 मीटर की दूरी पर है. आमतौर पर चीनी रणनीति कब्जा करने की मानी जाती है. अक्सर ऐसी स्थिति बन जाती है जब प्रतिद्वंद्वी दावेदारों को अंततः चीन के पक्ष में नई बदली हुई यथास्थिति को स्वीकार करना पड़ता है. ऐसे में यह 'सलामी-स्लाइसिंग' (salami-slicing) विवादित क्षेत्र पर धीरे-धीरे कब्जा करने की नीति को दर्शाता है.

चीन ने भूटान क्षेत्र में बसाए नए गांव
सैटेलाइट इमेजरी ने मंगलवार को इंटेल लैब के एक स्वीकृत शोधकर्ता ने ट्वीट किया, 'ये तस्वीरें डोकलाम के पास भूटान और चीन के बीच विवादित भूमि के बीच 2020-21 में निर्माण गतिविधि को दर्शाती हैं. लगभग 100 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले कई नए गांव अब परिदृश्य को देखते हैं. क्या यह एक नए समझौते या चीन के क्षेत्रीय दावों के प्रवर्तन का हिस्सा है?'

रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है ये क्षेत्र
डोकलाम भारत, चीन और भूटान के बीच त्रि-जंक्शन पर एक पठार और एक घाटी से युक्त 100 वर्ग किमी का क्षेत्र है. यह तिब्बत की चुंबी घाटी, भूटान की ही घाटी और भारतीय राज्य सिक्किम से घिरा हुआ है. यह क्षेत्र भारत-भूटान-चीन ट्राइजंक्शन के पास स्थित डोकलाम (Doka La) पठार के बहुत करीब है, जहां 2017 में 73 दिनों तक चीनी सैनिकों की तैनाती की बराबरी करते हुए भारत के सैनिक डटे रहे थे. चीन के हाल ही में 1 जनवरी, 2022 से प्रभावी होने के लिए एक व्यापक सीमा कानून तैयार करने की पृष्ठभूमि में यह घटनाक्रम मायने रखता है.

जिन चीनी गांवों का निर्माण मई 2020 और नवंबर 2021 के बीच किया गया है वह भूटानी क्षेत्र में हैं, लेकिन ये दक्षिण की ओर जामफेरी रिज की ओर अधिक हैं, जो सिलीगुड़ी कॉरिडोर को नज़रअंदाज़ करता है. उत्तर में भूटान और दक्षिण में बांग्लादेश के बीच लगभग 60 किलोमीटर लंबा भूमि गलियारा है. सिलीगुड़ी कॉरिडोर एक ऐसा खंड है जिसके माध्यम से भारतीय मुख्य भूमि को पूर्वोत्तर क्षेत्र से जोड़ने के लिए सभी रेल और सड़क संपर्क गुजरते हैं.

इसलिए संघर्ष के समय यह खंड दुश्मन के विमानों के हमलों के लिए एक बहुत ही कमजोर लक्ष्य होगा. जामफेरी रिज का चीनी नियंत्रण इस इलाके में सड़कों, पुलों और किसी भी चलती वस्तु को निशाना बनाने में सक्षम होगा. ऐसे में जब जामफेरी रिज (Jampheri Ridge) के ऊपर रॉयल भूटानी सेना की एक स्थायी टुकड़ी तैनात है, इस तरह का निर्माण गंभीर कारक नहीं है कि भूटान के साथ चीन की 'जिस की लाठी उस की भैंस' (might is right) वाली कूटनीति हो सकती है. जो इस सारे विवरण के मूल प्रश्न को लाता है कि यहां 'थ्री स्टेप रोडमैप' 'समझौता शामिल हो सकता है.

पढ़ें- डोकलाम के निकट 'चीन के गांव बसाने' को लेकर PM चुप क्यों हैं: कांग्रेस

गौरतलब है कि 2017 के डोकलाम संकट के दौरान चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग (Lu Kang) ने जामफेरी रिज को लेकर एक स्केच नक्शा प्रस्तुत किया था. डोकलाम पठार और जामफेरी रिज पर अधिक नियंत्रण से भूटान की रक्षा करने की भारत की क्षमता का भी परीक्षण होगा. चीन चाहता है कि भारत-भूटान राजनीतिक संबंध कमजोर हों. साथ ही ड्रैगन की मंशा है कि भूटान उसके दबाव में आए.

पढ़ें- सीमा विवाद के जल्द समाधान पर भारत-चीन सहमत : विदेश मंत्रालय

Last Updated : Nov 18, 2021, 8:18 PM IST
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