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बैलगाड़ी पर कीर्तन करते स्कूल आते और जाते बच्चे, देखिए Video

मथुरा के संदीप मुनि स्कूल की छात्राएं बैलगाड़ी में संकीर्तन (bullock cart sankirtana) करते हुए स्कूल जातीं हैं. विद्यालय की प्रधानाचार्य ने कहा कि इस बैलगाड़ी की वजह से वृंदावन प्रदूषण से मुक्त रहेगा.

बैलगाड़ी पर स्कूल जाते बच्चे
बैलगाड़ी पर स्कूल जाते बच्चे
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Published : Sep 23, 2022, 9:09 PM IST

मथुराः जनपद की धर्म नगरी वृंदावन (Dharma Nagar Vrindavan) में एक ऐसा विद्यालय है. जहां पर विद्यार्थियों को आम पढ़ाई के साथ-साथ सनातन संस्कृति के बारे में भी शिक्षा दी जाती है. वहीं छात्राओं को लाने और ले जाने के लिए बैलगाड़ी का इस्तेमाल किया जाता है. बैलगाड़ी प्रतिदिन छात्राओं को घर से स्कूल और स्कूल से घर छोड़ने का कार्य करती है. विद्यालय की प्रधानाचार्य का कहना है कि बैलगाड़ी से कोई प्रदूषण नहीं होता है.

बता दें कि इस आधुनिक युग में लगातार नए-नए आविष्कार हो रहे हैं. शिक्षा पद्धति को भी काफी अत्याधुनिक बना दिया गया है लेकिन धर्म नगरी वृंदावन के संदीप मुनि स्कूल (Sandeep Muni School mathura) में छात्राओं को आधुनिक शिक्षा के साथ ही सनातनी सभ्यता के बारे में भी शिक्षा दी जाती है. वहीं, छात्राओं को प्रतिदिन लाने और ले जाने के लिए स्कूल बस नहीं, मोटरसाइकिल नहीं, टेंपो नहीं बल्कि बैलगाड़ी का इस्तेमाल किया जाता है. बैलगाड़ी छात्राओं को घर से स्कूल और स्कूल से घर छोड़ने का कार्य करती है. यह प्रक्रिया पिछले 15 से 16 सालों से अनवरत चल रही है.

बैलगाड़ी से स्कूल जाते बच्चे

इस मामले में संदीप मुनि स्कूल की प्रधानाचार्य दीपिका शर्मा (Principal Deepika Sharma) ने बताया कि बच्चों को विद्यालय बैलगाड़ी से लाने और ले जाने का सबसे पहला उद्देश्य है कि वृंदावन प्रदूषण से मुक्त रहे. हम चाहते हैं हमारा वृंदावन पहले की तरह प्रदूषण से मुक्त रहे. बैलगाड़ी इसके लिए सबसे अच्छा साधन है क्योंकि बैलगाड़ी से कोई प्रदूषण नहीं होता है. हमारे जो बैल हैं वह गोवंश हैं. जो हमारा सनातन धर्म है. जो हमारी संस्कृति है. उसमें गोवंश की रक्षा करने के लिए कहा गया है. गाय को तो हर कोई पाल लेता है, क्योंकि वह दूध देती है. लेकिन बैल को सभी सड़क पर छोड़ देते हैं. बैलों का संरक्षण करने के लिए हम उन को संरक्षण देते हैं.

यह भी पढ़ें-नकल करने पर स्कूल में टीचर ने की बेइज्जती, सातवीं के छात्र ने फांसी लगाई

प्रधानाचार्य ने बताया कि हमारे यहां 10 से 12 बैल गाड़ियां हैं जो बच्चों को स्कूल से लाती और ले जाती है. बच्चों को भी सफर करके उसमें बहुत अच्छा लगता है . 15 से 16 साल से हमारे स्कूल में बैलगाड़ियां चल रही हैं. बच्चे बैलगाड़ी में बैठकर संकीर्तन (bullock cart sankirtana) करते हुए जाते हैं. संकीर्तन से बच्चों को आनंद मिलता है. हमारा यही उद्देश्य है कि हमारे स्कूल के बच्चे अपनी परंपरा से जुड़े रहें. उन्होंने बताया कि हरे कृष्णा महामंत्र से आत्मिक शांति प्राप्ति होती है. बच्चे अभी से जुड़कर इसका जाप करेंगे. इससे भविष्य में भी वह इसका जाप करते रहेंगे. हरे कृष्णा मंत्र का महत्व हर कोई अच्छे से जानता है. वृंदावन में रह करके हमने कीर्तन नहीं किया तो हमारा यहां रहने का कोई फायदा नहीं है.

यह भी पढ़ें- Allahabad University Students Movement : जानिए पिछले 15 दिनों का हाल व बवाल का असली कारण

मथुराः जनपद की धर्म नगरी वृंदावन (Dharma Nagar Vrindavan) में एक ऐसा विद्यालय है. जहां पर विद्यार्थियों को आम पढ़ाई के साथ-साथ सनातन संस्कृति के बारे में भी शिक्षा दी जाती है. वहीं छात्राओं को लाने और ले जाने के लिए बैलगाड़ी का इस्तेमाल किया जाता है. बैलगाड़ी प्रतिदिन छात्राओं को घर से स्कूल और स्कूल से घर छोड़ने का कार्य करती है. विद्यालय की प्रधानाचार्य का कहना है कि बैलगाड़ी से कोई प्रदूषण नहीं होता है.

बता दें कि इस आधुनिक युग में लगातार नए-नए आविष्कार हो रहे हैं. शिक्षा पद्धति को भी काफी अत्याधुनिक बना दिया गया है लेकिन धर्म नगरी वृंदावन के संदीप मुनि स्कूल (Sandeep Muni School mathura) में छात्राओं को आधुनिक शिक्षा के साथ ही सनातनी सभ्यता के बारे में भी शिक्षा दी जाती है. वहीं, छात्राओं को प्रतिदिन लाने और ले जाने के लिए स्कूल बस नहीं, मोटरसाइकिल नहीं, टेंपो नहीं बल्कि बैलगाड़ी का इस्तेमाल किया जाता है. बैलगाड़ी छात्राओं को घर से स्कूल और स्कूल से घर छोड़ने का कार्य करती है. यह प्रक्रिया पिछले 15 से 16 सालों से अनवरत चल रही है.

बैलगाड़ी से स्कूल जाते बच्चे

इस मामले में संदीप मुनि स्कूल की प्रधानाचार्य दीपिका शर्मा (Principal Deepika Sharma) ने बताया कि बच्चों को विद्यालय बैलगाड़ी से लाने और ले जाने का सबसे पहला उद्देश्य है कि वृंदावन प्रदूषण से मुक्त रहे. हम चाहते हैं हमारा वृंदावन पहले की तरह प्रदूषण से मुक्त रहे. बैलगाड़ी इसके लिए सबसे अच्छा साधन है क्योंकि बैलगाड़ी से कोई प्रदूषण नहीं होता है. हमारे जो बैल हैं वह गोवंश हैं. जो हमारा सनातन धर्म है. जो हमारी संस्कृति है. उसमें गोवंश की रक्षा करने के लिए कहा गया है. गाय को तो हर कोई पाल लेता है, क्योंकि वह दूध देती है. लेकिन बैल को सभी सड़क पर छोड़ देते हैं. बैलों का संरक्षण करने के लिए हम उन को संरक्षण देते हैं.

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प्रधानाचार्य ने बताया कि हमारे यहां 10 से 12 बैल गाड़ियां हैं जो बच्चों को स्कूल से लाती और ले जाती है. बच्चों को भी सफर करके उसमें बहुत अच्छा लगता है . 15 से 16 साल से हमारे स्कूल में बैलगाड़ियां चल रही हैं. बच्चे बैलगाड़ी में बैठकर संकीर्तन (bullock cart sankirtana) करते हुए जाते हैं. संकीर्तन से बच्चों को आनंद मिलता है. हमारा यही उद्देश्य है कि हमारे स्कूल के बच्चे अपनी परंपरा से जुड़े रहें. उन्होंने बताया कि हरे कृष्णा महामंत्र से आत्मिक शांति प्राप्ति होती है. बच्चे अभी से जुड़कर इसका जाप करेंगे. इससे भविष्य में भी वह इसका जाप करते रहेंगे. हरे कृष्णा मंत्र का महत्व हर कोई अच्छे से जानता है. वृंदावन में रह करके हमने कीर्तन नहीं किया तो हमारा यहां रहने का कोई फायदा नहीं है.

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