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मध्य प्रदेश के गुरुद्वारा दाता बंदी पहुंचे किसानों ने सीएम शिवराज सिंह का किया विरोध

मध्य प्रदेश के ग्वालियर में दाता बंदी छोड़ गुरुद्वारा में आयोजन एक कार्यक्रम के दौरान सिंधू बॉर्डर से आए सिख समाज के कुछ लोगों ने सीएम शिवराज के पहुंचने से कुछ देर पहले उनका विरोध करना शुरू कर दिया. हालांकि कार्यक्रम के आयोजकों और प्रशासन ने मिलकर मामले को शांत करवा दिया.

सीएम शिवराज
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Published : Oct 6, 2021, 9:21 PM IST

भोपाल : मध्य प्रदेश के ग्वालियर में दाता बंदी छोड़ गुरुद्वारा में आयोजन एक कार्यक्रम के दौरान सिंधू बॉर्डर से आए सिख समाज के कुछ लोगों ने सीएम शिवराज के पहुंचने से कुछ देर पहले उनका विरोध करना शुरू कर दिया. हालांकि प्रशासनिक अधिकारियों और स्थानीय सिख समाज के लोगों के बीच बातचीत के बाद मामला शांत हो गया था.

400 वर्ष पूरे होने पर शताब्दी समारोह किया गया आयोजन

आप को बता दें कि गुरुद्वारा दाता बंदी छोड़ के 400 वर्ष पूरे होने पर शताब्दी दिवस का आयोजन किया जा रहा है. तीन दिवसीय कार्यक्रम में केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी मौजूद थे. वहीं सीएम शिवराज को इस कार्यक्रम में आना था. इस आयोजन में देशभर से सिख धर्म के श्रद्धालु आए हुए थे. सीएम शिवराज के पहुंचने से पहले सिंधू बॉर्डर से आए कुछ किसानों ने विरोध किया, हालांकि कार्यक्रम के आयोजको और प्रशासन ने मिलकर मामले को शांत करवा दिया.

गुरुद्वारा दाता बंदी छोड़ का इतिहास

कहा जाता है कि सिखों के 6वें गुरु, गुरु हरगोविंद साहिब को ग्वालियर के किले में कैद किया गया था, जहां पहले से ही 52 हिन्दू राजा कैद में रखे गए थे. जब हरगोविंद गुरु जेल में पहुंचे तो सभी राजाओं ने उनका सम्मान किया. गुरु हरगोविंद साहब की इस प्रसिद्धि से जहांगीर को आजीब लगा और साईं मियां मीर की बात मानते हुए जहांगीर ने उन्हें छोड़ने का फैसला किया, लेकिन गुरु हरगोविंद साहब ने अकेले रिहा होने से मना कर दिया और अपने साथ 52 राजाओं की रिहाई की शर्त रख दी और अंत में जहांगीर को हरगोविंद गुरु जी की बात माननी पड़ी और कार्तिक की अमावस्या यानि दीपावली के दिन उन्हें 52 राजाओं सहित रिहा कर दिया. तभी से सिख धर्म के लोग कार्तिक अमावस्या को दाता बंदीछोड़ दिवस के रूप में मनाते हैं और इस वर्ष दाता बंदी छोड़ को 400 वर्ष पूरे हो चुके हैं.

इसे भी पढ़ें-पंजाब सीएम चन्नी ने केजरीवाल के कपड़ों को लेकर उड़ाया मजाक, दिल्ली सीएम ने दागे ये सवाल

भोपाल : मध्य प्रदेश के ग्वालियर में दाता बंदी छोड़ गुरुद्वारा में आयोजन एक कार्यक्रम के दौरान सिंधू बॉर्डर से आए सिख समाज के कुछ लोगों ने सीएम शिवराज के पहुंचने से कुछ देर पहले उनका विरोध करना शुरू कर दिया. हालांकि प्रशासनिक अधिकारियों और स्थानीय सिख समाज के लोगों के बीच बातचीत के बाद मामला शांत हो गया था.

400 वर्ष पूरे होने पर शताब्दी समारोह किया गया आयोजन

आप को बता दें कि गुरुद्वारा दाता बंदी छोड़ के 400 वर्ष पूरे होने पर शताब्दी दिवस का आयोजन किया जा रहा है. तीन दिवसीय कार्यक्रम में केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी मौजूद थे. वहीं सीएम शिवराज को इस कार्यक्रम में आना था. इस आयोजन में देशभर से सिख धर्म के श्रद्धालु आए हुए थे. सीएम शिवराज के पहुंचने से पहले सिंधू बॉर्डर से आए कुछ किसानों ने विरोध किया, हालांकि कार्यक्रम के आयोजको और प्रशासन ने मिलकर मामले को शांत करवा दिया.

गुरुद्वारा दाता बंदी छोड़ का इतिहास

कहा जाता है कि सिखों के 6वें गुरु, गुरु हरगोविंद साहिब को ग्वालियर के किले में कैद किया गया था, जहां पहले से ही 52 हिन्दू राजा कैद में रखे गए थे. जब हरगोविंद गुरु जेल में पहुंचे तो सभी राजाओं ने उनका सम्मान किया. गुरु हरगोविंद साहब की इस प्रसिद्धि से जहांगीर को आजीब लगा और साईं मियां मीर की बात मानते हुए जहांगीर ने उन्हें छोड़ने का फैसला किया, लेकिन गुरु हरगोविंद साहब ने अकेले रिहा होने से मना कर दिया और अपने साथ 52 राजाओं की रिहाई की शर्त रख दी और अंत में जहांगीर को हरगोविंद गुरु जी की बात माननी पड़ी और कार्तिक की अमावस्या यानि दीपावली के दिन उन्हें 52 राजाओं सहित रिहा कर दिया. तभी से सिख धर्म के लोग कार्तिक अमावस्या को दाता बंदीछोड़ दिवस के रूप में मनाते हैं और इस वर्ष दाता बंदी छोड़ को 400 वर्ष पूरे हो चुके हैं.

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