बालोद: पशुपालन विभाग ने उपसंचालक ने बताया कि "मुर्गियों में रानीखेत बीमारी की पुष्टि हुई है. उसे वैज्ञानिक भाषा में Newcastle disease कहा जाता है. अलग अलग देशों में इसका अलग अलग नाम है और बेहतर रिपोर्ट के लिए पुणे महाराष्ट्र भी सैंपल भेजा गया है."
विषाणुजन रोग है रानीखेत: डॉक्टर सिहारे ने बताया कि रानीखेत रोग (Virulent Newcastle disease) एक विषाणुजन्य रोग है. जो घरेलू पक्षियों (जैसे मुर्गी) तथा अनेकों जंगली पक्षी प्रजातियों को प्रभावित करती है. दो तीन दिन में ही पक्षी बहुत कमजोर हो जाते है. इसमें मृत्यु दर भी अधिक होती है. शायद यहीं कारण है कि एक साथ इतने पक्षियों की मृत्यु हुई है. यह रोग बहुत तेजी से संक्रमित होती है. संक्रमण का नियंत्रण और उपचार समय रहते न होने से रोग महामारी की तरह फैल जाता है. इससे मुर्गी पालकों को भारी नुकसान होता है.
रानीखेत बीमारी क्या है: रानीखेत को न्यू कैसल रोग या डॉयल की बीमारी के रूप में भी जाना जाता है, जो मुर्गियों में एक तीव्र, संक्रामक और अत्यधिक संक्रामक रोग है. यह श्वसन संकट, तंत्रिका संबंधी लक्षणों को प्रभावित करता है.
रानीखेत बीमारी के लक्षण: रोग के नैदानिक लक्षण प्रतिरक्षा स्थिति और पक्षी की उम्र पर निर्भर करते हैं. वायुमार्ग, आंत और तंत्रिका तंत्र संक्रमित हो जाते हैं. पंखों का गिरना, टांगों का घसीटना, सिर और गर्दन को मरोड़ना, चक्कर लगाना, अवसाद, भूख न लगना, पूर्ण पक्षाघात जैसे लक्षण इस बीमारी के दौैरान मुर्गियों में देखने को मिलते हैं.
पशुपालन विभाग ने जारी की एडवाइजरी: पशुपालन विभाग से जो यहां एडवाइजरी मिली है. उसको लेकर अब इसे अमल में लाया जाएगा. लक्षण दिखने वाले मुर्गियों को अलग रखने के निर्देश दिए गए हैं. बीमार शेड में रखी गई मुर्गियों को अलग रखना है. इसके साथ ही यहां पर पानी निकासी की व्यवस्था और साफ सफाई रखने की बात कही गई है. जिस पोल्ट्री फार्म में यह घटना घटी है, वहां पर संभाग स्तरीय रैपिड रिस्पॉन्स टीम काम करेगी.
पुणे भी भेजा गया सैंपल: फिलहाल यहां पर रानीखेत बीमारी होने की बात प्रथम दृष्टया सामने आई है. मोक्यूकूलर रिपोर्ट के लिए पुणे महाराष्ट्र भी सैंपल भेजा गया है. वास्तव रिपोर्ट वहीं से आने के बाद ही पता लग पाएगा, लेकिन बालोद के लिए राहत की बात है कि वहां फिलहाल बर्ड फ्लू जैसी बात सामने नहीं आई है.