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Chhattisgarh Rajyotsava 2022 : छत्तीसगढ़ राज्योत्सव समारोह, 22 साल की उपलब्धियां

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Published : Oct 31, 2022, 7:24 PM IST

chhattisgarh Rajyotsava 2022. हर साल की तरह इस साल भी राज्योत्सव का कार्यक्रम रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में हो रहा है. राज्योत्सव के दौरान देसी और विदेशी कलाकार शामिल हो रहे हैं. इस बार राज्योत्सव में 1500 आदिवासी कलाकार भी शिरकत कर रहे हैं. जिसमें से 1400 कलाकार भारत और 100 कलाकार विदेश से है.

chhattisgarh Rajyotsava 2022
छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस

chhattisgarh Rajyotsava 2022 :1 नवंबर को छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस (chhattisgarh state foundation day) प्रदेश मना रहा है. राज्योत्सव 2022 (Rajyotsava 2022) के दौरान तीन दिवसीय आयोजन में अलग-अलग संस्थाओं और देशों के कलाकार परफॉर्म करने जा रहे हैं. 22 साल के सफर में छत्तीसगढ़ लगातार प्रगति की ओर बढ़ रहा है. Foundation Day of Chhattisgarh on 1st November

2000 में हुआ था छत्तीसगढ़ का गठन : 1 नवम्बर 2000 को छत्तीसगढ़ का गठन हुआ. आधिकारिक दस्तावेज में 'छत्तीसगढ़' का सर्वप्रथम प्रयोग 1795 में हुआ था. छत्तीसगढ़ शब्द की व्युत्पत्ति को लेकर इतिहासकारों में कोई एक मत नहीं है. कुछ इतिहासकारों (Historians) का मानना है कि कलचुरी काल में छत्तीसगढ़ आधिकारिक रूप से 36 गढ़ो में बंटा था, यह गढ़ एक आधिकारिक इकाई (Official Unit) थे न कि किले या दुर्ग. इन्ही '36 गढ़ों' के आधार पर छत्तीसगढ़ नाम कि व्युत्पत्ति हुई.इसलिए जिस दिन छत्तीसगढ़ का निर्माण हुआ उस दिन राज्योत्सव मनाया जाता है. इस दिन कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.


राज्योत्सव के दौरान अलंकरण पुरस्कारों की घोषणा : छत्तीसगढ़ राज्य अलंकरण पुरस्कारों की घोषणा हो गई है. संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत ने छत्तीसगढ़ राज्य अलंकरण पुरस्कार पाने वालों के नामों की घोषणा कर दी है. अलंकरण सम्मान प्रदेश के 41 लोगों को दिया जा रहा है. 1 नवंबर को साइंस कॉलेज मैदान में आयोजित छत्तीसगढ़ राज्योत्सव में सभी को पुरस्कार देकर सम्मानित किया जाएगा.Rajya Alankaran Award

41 व्यक्तियों और संस्थाओं को राज्य अलंकरण पुरस्कार: इस वर्ष छत्तीसगढ़ में आदिवासी एवं पिछड़ा वर्ग उत्थान, अपराध अनुसंधान, अहिंसा एवं गो रक्षा, खेल, महिला उत्थान, दलित उत्थान, सहकारिता, उर्दू भाषा सेवा, संगीत कला शिल्प, कृषि, मछलीपालन, संस्कृत भाषा, श्रम में विशेष योगदान देने वाले व्यक्तियों और संस्थाओं को सम्मानित किया जा रहा है.

National Tribal Dance Festival 2022 : राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में दिखेगी विदेशी संस्कृति की झलक

1 नवंबर को राज्योत्सव में होंगे सम्मानित

नारायण मरकाम को शहीद वीर नारायण सिंह सम्मान दिया जा रहा है. खेल एवं युवा कल्याण विभाग की तरफ से गुंडाधुर सम्मान अमितेष मिश्रा को दिया जा रहा है. कृषि के लिए खूबचंद बघेल सम्मान खेदू राम बंजारे को मिल रहा है. चंदूलाल चंद्राकर स्मृति पत्रकारिता पुरस्कार प्रिंट मीडिया के लिए धनंजय वर्मा, चंदूलाल चंद्राकर स्मृति पत्रकारिता पुरस्कार इलेक्ट्रोनिक मीडिया के लिए अमितेष पांडेय और वैभव शिव पांडेय को संयुक्त रूप से दिया जा रहा है.

शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में बढ़े कदम : छत्तीसगढ़ अपने निर्माण के वक्त स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में बेहद मामूली संसाधन वाला क्षेत्र था. 21 साल में इस दिशा में काफी काम हुआ है. जब राज्य का निर्माण हुआ था, उस वक्त यहां महज एक मेडिकल कॉलेज (Medical College) हुआ करता था, लेकिन आज इसकी संख्या बढ़कर आधे दर्जन से भी अधिक हो गई है. प्रदेश में आईआईएम (IIM), आईआईटी (IIT), ट्रिपल आईटी (Triple IT), एनआईटी (NIT), एम्स, लॉ यूनिवर्सिटी (AIIMS, Law University) जैसी कई बड़ी संस्थाएं खुल गई हैं. इसके अलावा स्कूली शिक्षा में भी काफी विकास हुआ है.

36 किलों का गढ़ छत्तीसगढ़ : इतिहासकारों (Historian) के मुताबिक कल्चुरी राजाओं द्वारा 36 किले या कई गांवों को मिलाकर गढ़ बनाए गए थे. इस क्षेत्र को दक्षिण कोसल के तौर पर भी जाना जाता था. बताते हैं, राजाओं के समय में छत्तीसगढ़ की राजधानी बिलासपुर के पास स्थित एक शहर रतनपुर, कल्चुरी हुआ करती थी. हालांकि वर्तमान में छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर है.

जल-जंगल और जमीन है पहचान : किले और गढ़ के अलावा छत्तीसगढ़ की और भी कई पहचान है. कहते हैं, जब जंगलों में धूप खिले...जब नदियां बहती जाएं...जब बैलों की पूजा हो...परंपराएं निभाई जाएं...तो समझ जाइएगा छत्तीसगढ़ है.

जब धान की खुशबू की महक उठे...बिटिया तीज में मेंहदी लगाकर चहक उठे...सुआ नृत्य में झूमते-झूमते जब महानदी की लहर उठे....तो समझ जाइएगा छत्तीसगढ़ है. पोला-हरेली, चीला और फरा...बस्तर स्वर्ग सा सुंदर हरा-भरा...दंतेश्वरी के आशीष से जब दुख हरते जाएं...तो समझ जाइएगा छत्तीसगढ़ है.

आदिवासियों की झोली में रीति और रिवाज हैं. खेतों से आती खुशहाली की आवाज है. तीजन बाई की पंडवानी में जब चारों दिशाएं बंधती जाएं...समझ जाइएगा छत्तीसगढ़ है.

छत्तीसगढ़ का इतिहास : प्राचीन काल (Ancient Time) में इस क्षेत्र को 'दक्षिण कौशल' के नाम से जाना जाता था. रामायण और महाभारत (Ramayana and Mahabharata in Chattisgarh) में भी उल्लेख मिलता है. 6वीं और 12वीं शताब्दियों के बीच सरभपूरिया, पांडुवंशी, सोमवंशी, कलचुरी और नागवंशी शासकों ने यहां शासन किया. साल 1904 में यह प्रदेश संबलपुर ओडिशा में चला गया और 'सरगुजा' रियासत बंगाल से छत्तीसगढ़ के पास आया. (history of Chhattisgarh)

chhattisgarh Rajyotsava 2022 :1 नवंबर को छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस (chhattisgarh state foundation day) प्रदेश मना रहा है. राज्योत्सव 2022 (Rajyotsava 2022) के दौरान तीन दिवसीय आयोजन में अलग-अलग संस्थाओं और देशों के कलाकार परफॉर्म करने जा रहे हैं. 22 साल के सफर में छत्तीसगढ़ लगातार प्रगति की ओर बढ़ रहा है. Foundation Day of Chhattisgarh on 1st November

2000 में हुआ था छत्तीसगढ़ का गठन : 1 नवम्बर 2000 को छत्तीसगढ़ का गठन हुआ. आधिकारिक दस्तावेज में 'छत्तीसगढ़' का सर्वप्रथम प्रयोग 1795 में हुआ था. छत्तीसगढ़ शब्द की व्युत्पत्ति को लेकर इतिहासकारों में कोई एक मत नहीं है. कुछ इतिहासकारों (Historians) का मानना है कि कलचुरी काल में छत्तीसगढ़ आधिकारिक रूप से 36 गढ़ो में बंटा था, यह गढ़ एक आधिकारिक इकाई (Official Unit) थे न कि किले या दुर्ग. इन्ही '36 गढ़ों' के आधार पर छत्तीसगढ़ नाम कि व्युत्पत्ति हुई.इसलिए जिस दिन छत्तीसगढ़ का निर्माण हुआ उस दिन राज्योत्सव मनाया जाता है. इस दिन कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.


राज्योत्सव के दौरान अलंकरण पुरस्कारों की घोषणा : छत्तीसगढ़ राज्य अलंकरण पुरस्कारों की घोषणा हो गई है. संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत ने छत्तीसगढ़ राज्य अलंकरण पुरस्कार पाने वालों के नामों की घोषणा कर दी है. अलंकरण सम्मान प्रदेश के 41 लोगों को दिया जा रहा है. 1 नवंबर को साइंस कॉलेज मैदान में आयोजित छत्तीसगढ़ राज्योत्सव में सभी को पुरस्कार देकर सम्मानित किया जाएगा.Rajya Alankaran Award

41 व्यक्तियों और संस्थाओं को राज्य अलंकरण पुरस्कार: इस वर्ष छत्तीसगढ़ में आदिवासी एवं पिछड़ा वर्ग उत्थान, अपराध अनुसंधान, अहिंसा एवं गो रक्षा, खेल, महिला उत्थान, दलित उत्थान, सहकारिता, उर्दू भाषा सेवा, संगीत कला शिल्प, कृषि, मछलीपालन, संस्कृत भाषा, श्रम में विशेष योगदान देने वाले व्यक्तियों और संस्थाओं को सम्मानित किया जा रहा है.

National Tribal Dance Festival 2022 : राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में दिखेगी विदेशी संस्कृति की झलक

1 नवंबर को राज्योत्सव में होंगे सम्मानित

नारायण मरकाम को शहीद वीर नारायण सिंह सम्मान दिया जा रहा है. खेल एवं युवा कल्याण विभाग की तरफ से गुंडाधुर सम्मान अमितेष मिश्रा को दिया जा रहा है. कृषि के लिए खूबचंद बघेल सम्मान खेदू राम बंजारे को मिल रहा है. चंदूलाल चंद्राकर स्मृति पत्रकारिता पुरस्कार प्रिंट मीडिया के लिए धनंजय वर्मा, चंदूलाल चंद्राकर स्मृति पत्रकारिता पुरस्कार इलेक्ट्रोनिक मीडिया के लिए अमितेष पांडेय और वैभव शिव पांडेय को संयुक्त रूप से दिया जा रहा है.

शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में बढ़े कदम : छत्तीसगढ़ अपने निर्माण के वक्त स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में बेहद मामूली संसाधन वाला क्षेत्र था. 21 साल में इस दिशा में काफी काम हुआ है. जब राज्य का निर्माण हुआ था, उस वक्त यहां महज एक मेडिकल कॉलेज (Medical College) हुआ करता था, लेकिन आज इसकी संख्या बढ़कर आधे दर्जन से भी अधिक हो गई है. प्रदेश में आईआईएम (IIM), आईआईटी (IIT), ट्रिपल आईटी (Triple IT), एनआईटी (NIT), एम्स, लॉ यूनिवर्सिटी (AIIMS, Law University) जैसी कई बड़ी संस्थाएं खुल गई हैं. इसके अलावा स्कूली शिक्षा में भी काफी विकास हुआ है.

36 किलों का गढ़ छत्तीसगढ़ : इतिहासकारों (Historian) के मुताबिक कल्चुरी राजाओं द्वारा 36 किले या कई गांवों को मिलाकर गढ़ बनाए गए थे. इस क्षेत्र को दक्षिण कोसल के तौर पर भी जाना जाता था. बताते हैं, राजाओं के समय में छत्तीसगढ़ की राजधानी बिलासपुर के पास स्थित एक शहर रतनपुर, कल्चुरी हुआ करती थी. हालांकि वर्तमान में छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर है.

जल-जंगल और जमीन है पहचान : किले और गढ़ के अलावा छत्तीसगढ़ की और भी कई पहचान है. कहते हैं, जब जंगलों में धूप खिले...जब नदियां बहती जाएं...जब बैलों की पूजा हो...परंपराएं निभाई जाएं...तो समझ जाइएगा छत्तीसगढ़ है.

जब धान की खुशबू की महक उठे...बिटिया तीज में मेंहदी लगाकर चहक उठे...सुआ नृत्य में झूमते-झूमते जब महानदी की लहर उठे....तो समझ जाइएगा छत्तीसगढ़ है. पोला-हरेली, चीला और फरा...बस्तर स्वर्ग सा सुंदर हरा-भरा...दंतेश्वरी के आशीष से जब दुख हरते जाएं...तो समझ जाइएगा छत्तीसगढ़ है.

आदिवासियों की झोली में रीति और रिवाज हैं. खेतों से आती खुशहाली की आवाज है. तीजन बाई की पंडवानी में जब चारों दिशाएं बंधती जाएं...समझ जाइएगा छत्तीसगढ़ है.

छत्तीसगढ़ का इतिहास : प्राचीन काल (Ancient Time) में इस क्षेत्र को 'दक्षिण कौशल' के नाम से जाना जाता था. रामायण और महाभारत (Ramayana and Mahabharata in Chattisgarh) में भी उल्लेख मिलता है. 6वीं और 12वीं शताब्दियों के बीच सरभपूरिया, पांडुवंशी, सोमवंशी, कलचुरी और नागवंशी शासकों ने यहां शासन किया. साल 1904 में यह प्रदेश संबलपुर ओडिशा में चला गया और 'सरगुजा' रियासत बंगाल से छत्तीसगढ़ के पास आया. (history of Chhattisgarh)

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