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Decision On Right To Privacy: बिना जानकारी संबंधित व्यक्ति का बातचीत रिकॉर्ड करना निजता के अधिकार का उल्लंघन: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट

Decision On Right To Privacy निजता के अधिकार को लेकर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा कि किसी भी शख्स की बातचीत उसके इजाजत के बगैर मोबाइल पर अगर रिकॉर्ड की जा रही है तो वह गलत है. यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत निजता के अधिकार का उल्लंघन है. एक महिला ने अपने पति के खिलाफ हाईकोर्ट मे केस दायर किया था कि उसकी मंजूरी के बिना उसके पति ने उसकी बातचीत रिकॉर्ड की.Chhattisgarh High Court Decision

Decision On Right To Privacy
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 15, 2023, 12:17 AM IST

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट बिलासपुर ने एक अहम फैसला सुनाया है. जिसमें अदालत ने संबंधित व्यक्ति की इजाजत के बगैर मोबाइल पर उसके बातचीत को रिकॉर्ड करने को गलत ठहराया है. इसे कोर्ट ने निजता के अधिकार का उल्लंघन करार दिया है. हाई कोर्ट ने कहा कि पति द्वारा अपनी पत्नी की जानकारी के बिना उसकी फोन पर बातचीत रिकॉर्ड करना उसके निजता के अधिकार का उल्लंघन है. यह भारतीय संविधान की तरफ से आर्टिकल 21 के तहत दिए गए अधिकारों का उल्लंघन है.

महिला की याचिका पर कोर्ट ने सुनाया फैसला: यह पूरा मामला एक तलाक केस से जुड़ा हआ है. जिसमें एक महिला ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में साल 2022 में याचिका दायर की थी. जिसमें उसने अपने पति पर बिना जानकारी दिए उसकी बातचीत को मोबाइल में रिकॉर्ड करने का आरोप लगाया था. जिस पर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया.

जानिए क्या है पूरा मामला: वकील वैभव ए गोवर्धन ने कहा कि "यह पूरा मामला साल 2019 में एक पति पत्नी के तलाक से जुड़ा हुआ है. महासमुंद की एक महिला ने अपने पति से गुजारा भत्ता मांगने के लिए फैमिली कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. जिसे कोर्ट ने मान लिया था. फिर उसके पति ने पारिवारिक अदालत में अपनी पत्नी के मोबाइल पर की गई बातचीत को पेश किया. वह अपनी पत्नी का सामना उस बातचीत से कराना चाहता था. जिसे उसने रिकॉर्ड किया था. पारिवारिक अदालत ने 21 अक्टूबर, 2021 के एक आदेश में पुरुष के आवेदन को स्वीकार कर लिया, जिसके बाद महिला ने 2022 में पारिवारिक अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया."

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में महिला ने याचिका में क्या कहा: महिला ने हाईकोर्ट में दायर याचिका में यह कहा कि" पति मोबाइल पर बातचीत के जरिए फैमिली कोर्ट के सामने अलग तर्क साबित करना चाह रहा था. वह यह साबित करने की कोशिश कर रहा था कि उसकी पत्नी व्यभिचार कर रही है. इसलिए तलाक होने के बाद उसे उसे गुजारा भत्ता देने की जरूरत नहीं है"

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बिलासपुर हाईकोर्ट की सुनवाई में क्या हुआ: एचसी में सुनवाई के दौरान, महिला के वकील ने कहा कि पारिवारिक अदालत ने आवेदन की अनुमति देकर कानूनी गलती की है. क्योंकि इससे याचिकाकर्ता की निजता के अधिकार का उल्लंघन हुआ है. उसकी जानकारी के बिना, बातचीत उसके पति द्वारा रिकॉर्ड की गई थी और उसका उपयोग उसके विरुद्ध नहीं किया जा सकता.उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय और मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा पारित कुछ निर्णयों का हवाला दिया. जिसके बाद 5 अक्टूबर को हाई कोर्ट के जस्टिस राकेश मोहन पांडे ने फैमिली कोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया. कोर्ट ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि पति ने पत्नी को बताए बगैर उसकी बातचीत रिकॉर्ड कर ली है. जो उसके निजता के अधिकार का उल्लंघन है. साथ ही भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत दिए गए अधिकारों का भी उल्लंघन है.

सोर्स: पीटीआई

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट बिलासपुर ने एक अहम फैसला सुनाया है. जिसमें अदालत ने संबंधित व्यक्ति की इजाजत के बगैर मोबाइल पर उसके बातचीत को रिकॉर्ड करने को गलत ठहराया है. इसे कोर्ट ने निजता के अधिकार का उल्लंघन करार दिया है. हाई कोर्ट ने कहा कि पति द्वारा अपनी पत्नी की जानकारी के बिना उसकी फोन पर बातचीत रिकॉर्ड करना उसके निजता के अधिकार का उल्लंघन है. यह भारतीय संविधान की तरफ से आर्टिकल 21 के तहत दिए गए अधिकारों का उल्लंघन है.

महिला की याचिका पर कोर्ट ने सुनाया फैसला: यह पूरा मामला एक तलाक केस से जुड़ा हआ है. जिसमें एक महिला ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में साल 2022 में याचिका दायर की थी. जिसमें उसने अपने पति पर बिना जानकारी दिए उसकी बातचीत को मोबाइल में रिकॉर्ड करने का आरोप लगाया था. जिस पर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया.

जानिए क्या है पूरा मामला: वकील वैभव ए गोवर्धन ने कहा कि "यह पूरा मामला साल 2019 में एक पति पत्नी के तलाक से जुड़ा हुआ है. महासमुंद की एक महिला ने अपने पति से गुजारा भत्ता मांगने के लिए फैमिली कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. जिसे कोर्ट ने मान लिया था. फिर उसके पति ने पारिवारिक अदालत में अपनी पत्नी के मोबाइल पर की गई बातचीत को पेश किया. वह अपनी पत्नी का सामना उस बातचीत से कराना चाहता था. जिसे उसने रिकॉर्ड किया था. पारिवारिक अदालत ने 21 अक्टूबर, 2021 के एक आदेश में पुरुष के आवेदन को स्वीकार कर लिया, जिसके बाद महिला ने 2022 में पारिवारिक अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया."

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में महिला ने याचिका में क्या कहा: महिला ने हाईकोर्ट में दायर याचिका में यह कहा कि" पति मोबाइल पर बातचीत के जरिए फैमिली कोर्ट के सामने अलग तर्क साबित करना चाह रहा था. वह यह साबित करने की कोशिश कर रहा था कि उसकी पत्नी व्यभिचार कर रही है. इसलिए तलाक होने के बाद उसे उसे गुजारा भत्ता देने की जरूरत नहीं है"

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बिलासपुर हाईकोर्ट की सुनवाई में क्या हुआ: एचसी में सुनवाई के दौरान, महिला के वकील ने कहा कि पारिवारिक अदालत ने आवेदन की अनुमति देकर कानूनी गलती की है. क्योंकि इससे याचिकाकर्ता की निजता के अधिकार का उल्लंघन हुआ है. उसकी जानकारी के बिना, बातचीत उसके पति द्वारा रिकॉर्ड की गई थी और उसका उपयोग उसके विरुद्ध नहीं किया जा सकता.उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय और मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा पारित कुछ निर्णयों का हवाला दिया. जिसके बाद 5 अक्टूबर को हाई कोर्ट के जस्टिस राकेश मोहन पांडे ने फैमिली कोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया. कोर्ट ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि पति ने पत्नी को बताए बगैर उसकी बातचीत रिकॉर्ड कर ली है. जो उसके निजता के अधिकार का उल्लंघन है. साथ ही भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत दिए गए अधिकारों का भी उल्लंघन है.

सोर्स: पीटीआई

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