ETV Bharat / bharat

टूलकिट मामला : रमन सिंह, संबित पात्रा को मिली राहत के खिलाफ छत्तीसगढ़ सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची - पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह

फर्जी टूलकिट मामले में भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह तथा पार्टी प्रवक्ता संबित पात्रा के ट्वीट को लेकर दर्ज प्राथमिकी में जांच पर रोक के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है.

सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट
author img

By

Published : Jul 1, 2021, 10:43 PM IST

नई दिल्ली : छत्तीसगढ़ सरकार ने कथित फर्जी टूलकिट मामले में भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह तथा पार्टी प्रवक्ता संबित पात्रा के ट्वीट को लेकर दर्ज प्राथमिकी में जांच पर रोक के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है.

छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने 11 जून को दो अलग-अलग आदेश पारित कर सिंह और पात्रा के खिलाफ दर्ज एक ही प्राथमिकी में अंतरिम राहत दे दी थी. उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि यह पूरी तरह से दो राजनीतिक दलों के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता है और प्रथम दृष्टया यह स्थापित होता है कि मौजूदा प्राथमिकी राजनीतिक मकसदों से दर्ज की गई है.

राज्य सरकार ने सर्वोच्च अदालत में स्थायी वकील सुमीर सोढ़ी के जरिए दो अलग-अलग अपील दायर की है। एक अपील रमन सिंह को दी गई राहत के खिलाफ है जबकि दूसरी अपील पात्रा को दी गई राहत के खिलाफ है.

राज्य सरकार ने रमन सिंह मामले में आदेश के खिलाफ अपनी अपील में कहा कि 11 जून को दाखिला के स्तर पर, उच्च न्यायालय ने न केवल तुच्छ याचिका को स्वीकार किया बल्कि प्राथमिकी के सिलसिले में जांच पर रोक लगाकर गलती से आरोपी/प्रतिवादी संख्या 1 (रमन सिंह) को अंतरिम राहत प्रदान कर दी.

राज्य सरकार ने इस आधार पर आदेशों को रद्द करने का अनुरोध किया कि उच्चतम न्यायालय ने बार-बार यह कहा कि संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालय के विशेष अधिकारियों का इस्तेमाल कम से कम और दुर्लभतम मामलों में किया जाना चाहिए. राज्य सरकार ने आगे कहा कि उच्च न्यायालय ने इस तरह के अधिकारियों का उपयोग करने और पूरी जांच पर प्रारंभिक चरण में रोक लगाने में गलती की है, खासकर तब जबकि जालसाजी का पूर्व दृष्टया अपराध बनता है.

पढ़ें - चुनाव बाद हिंसा : SC ने केंद्र, बंगाल और निर्वाचन आयोग को जारी किया नोटिस

राज्य सरकार ने कहा कि वह कानून के अनुसार जांच कर रही है और महामारी को देखते हुए, अपने आचरण में निष्पक्ष रही है तथा आरोपी को भेजे गए नोटिस के अनुसार अपने घर पर उपस्थित होने का मौका दिया गया था और जब उन्हें दूसरा नोटिस भेजा गया तो उन्हें अपने वकील के माध्यम से पेश होने का विकल्प दिया गया था.

संबित पात्रा के मामले में दायर अपील में भी यही आधार बताया गया है और आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया गया है.

(पीटीआई- भाषा)

नई दिल्ली : छत्तीसगढ़ सरकार ने कथित फर्जी टूलकिट मामले में भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह तथा पार्टी प्रवक्ता संबित पात्रा के ट्वीट को लेकर दर्ज प्राथमिकी में जांच पर रोक के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है.

छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने 11 जून को दो अलग-अलग आदेश पारित कर सिंह और पात्रा के खिलाफ दर्ज एक ही प्राथमिकी में अंतरिम राहत दे दी थी. उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि यह पूरी तरह से दो राजनीतिक दलों के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता है और प्रथम दृष्टया यह स्थापित होता है कि मौजूदा प्राथमिकी राजनीतिक मकसदों से दर्ज की गई है.

राज्य सरकार ने सर्वोच्च अदालत में स्थायी वकील सुमीर सोढ़ी के जरिए दो अलग-अलग अपील दायर की है। एक अपील रमन सिंह को दी गई राहत के खिलाफ है जबकि दूसरी अपील पात्रा को दी गई राहत के खिलाफ है.

राज्य सरकार ने रमन सिंह मामले में आदेश के खिलाफ अपनी अपील में कहा कि 11 जून को दाखिला के स्तर पर, उच्च न्यायालय ने न केवल तुच्छ याचिका को स्वीकार किया बल्कि प्राथमिकी के सिलसिले में जांच पर रोक लगाकर गलती से आरोपी/प्रतिवादी संख्या 1 (रमन सिंह) को अंतरिम राहत प्रदान कर दी.

राज्य सरकार ने इस आधार पर आदेशों को रद्द करने का अनुरोध किया कि उच्चतम न्यायालय ने बार-बार यह कहा कि संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालय के विशेष अधिकारियों का इस्तेमाल कम से कम और दुर्लभतम मामलों में किया जाना चाहिए. राज्य सरकार ने आगे कहा कि उच्च न्यायालय ने इस तरह के अधिकारियों का उपयोग करने और पूरी जांच पर प्रारंभिक चरण में रोक लगाने में गलती की है, खासकर तब जबकि जालसाजी का पूर्व दृष्टया अपराध बनता है.

पढ़ें - चुनाव बाद हिंसा : SC ने केंद्र, बंगाल और निर्वाचन आयोग को जारी किया नोटिस

राज्य सरकार ने कहा कि वह कानून के अनुसार जांच कर रही है और महामारी को देखते हुए, अपने आचरण में निष्पक्ष रही है तथा आरोपी को भेजे गए नोटिस के अनुसार अपने घर पर उपस्थित होने का मौका दिया गया था और जब उन्हें दूसरा नोटिस भेजा गया तो उन्हें अपने वकील के माध्यम से पेश होने का विकल्प दिया गया था.

संबित पात्रा के मामले में दायर अपील में भी यही आधार बताया गया है और आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया गया है.

(पीटीआई- भाषा)

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.