रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव को कुछ ही समय बचे हैं. ऐसे में बड़ी पार्टियों के साथ-साथ छोटी पार्टियां भी मैदान में उतरेगी. कांग्रेस, बीजेपी, बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच टक्कर तो होती ही थी, लेकिन इस बार के चुनावी समर में आप, जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़, सर्व आदिवासी समाज और पुलिसकर्मियों की पार्टी मैदान में दमखम लगाएगी.
भाजपा, कांग्रेस को टक्कर देने पुलिसकर्मियों ने बनाई पार्टी : छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव में राजनीतिक पार्टियों के अलावा पहली बार पुलिसकर्मियों की आजाद जनता पार्टी मैदान में उतरेगी. पुलिस परिवार आंदोलन के नेता उज्ज्वल दीवान समेत कई पूर्व पुलिसकर्मियों ने पार्टी ज्वाइन की है. इन पुलिसकर्मियों में कुछ बर्खास्त हैं तो कुछ ने इस्तीफा देकर पार्टी ज्वाइन की है. 'आजाद जनता पार्टी' छत्तीसगढ़ की 90 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी.
छत्तीसगढ़ में इतनी है पुलिसकर्मियों की संख्या : छत्तीसगढ़ में यदि पुलिसकर्मियों की संख्या की बात की जाए तो प्रदेश में लगभग 63000 जिला बल, 12000 नगर सेना, 1500 जेल विभाग और 4000 सहायक आरक्षक हैं. वहीं 4 लाख 80 हजार पुलिस परिवार भी हैं. यही वजह है कि यह लोग आगामी विधानसभा चुनाव में व्यापक असर डालने का दावा कर रहे हैं.
इसलिए भाजपा और कांग्रेस के खिलाफ उतरने का लिया फैसला: आजाद जनता पार्टी (AJP) के प्रदेश अध्यक्ष उज्जवल दीवान का कहना है कि ''आज प्रदेश में कोई भी वर्ग संतुष्ट नहीं है. सभी वर्ग अपनी अपनी मांगों और अधिकारों को लेकर आंदोलनरत हैं. इन आंदोलनकारियों को सरकार झूठे केस में जेल भेज रही है. भ्रष्टाचार और कमीशन खोरी चरम पर है. प्रदेश में शिक्षा का स्तर ठीक नहीं है. सड़कें नहीं हैं, लोगों को मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल रही है. यही वजह है कि हमें चुनाव में उतरना पड़ रहा है.''
भाजपा और कांग्रेस के लिए चुनौती सर्व आदिवासी समाज पार्टी : इस बार सर्व आदिवासी समाज ने भी अपने प्रभाव वाली लगभग 50 से 55 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा किया है. सर्व आदिवासी समाज राजनीतिक दल बनाने की तैयारी में है. छत्तीसगढ़ में लगभग 80 लाख आदिवासी आबादी है.
छत्तीसगढ़ में इतनी है आदिवासियों की संख्या : 80 लाख आदिवासी में से लगभग 70 लाख लोग बस्तर और सरगुजा में रहते हैं. बाकी 10 लाख लोग मैदानी क्षेत्रों में हैं. 80 लाख आदिवासी आबादी में से लगभग 54 लाख मतदाता हैं. 2018 में इन 54 लाख में से लगभग 40 लाख वोटर्स ने अपना वोट दिया था. कांग्रेस ने इनमें से करीब 24 लाख वोट हासिल किए थे, जबकि 2 लाख तक आदिवासी वोट जोगी की जकांछ को मिले थे. बीजेपी को सबसे ज्यादा निराश हुई थी. बीजेपी के खाते में महज 14 लाख आदिवासी वोट आए थे.
आदिवासियों को वंचित करने का आरोप : पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष अरविंद नेताम का कहना है कि ''लगातार पूर्ववर्ती और वर्तमान सरकारों ने आदिवासियों की उपेक्षा की है, उन्हें उनके अधिकारों से वंचित रखा गया है. भाजपा सरकार के 15 साल और कांग्रेस के 5 साल हम लोगों के देख लिया है. लगातार सर्व आदिवासी समाज अपने अधिकारों के लिए मांग करता रहा और आज भी कर रहा. कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई. इसलिए समाज ने विचार किया कि अब अपने अधिकारों के लिए हमें भी चुनाव में उतरना चाहिए."
भाजपा और कांग्रेस के खिलाफ निषाद पार्टी : उत्तर प्रदेश की निषाद पार्टी छत्तीसगढ़ में चुनाव लड़ने आ रही है. लगभग 25 सीटों पर अपनी किस्मत आजमाएगी. यूपी में एनडीए के साथ पार्टी का गठबंधन है. बिलासपुर में बेलतरा, तखतपुर से निषाद पार्टी के दावेदार चुनाव लड़ेंगे. प्रदेश में 10 फीसदी आबादी मछुआ समाज की है. यहां 35 से 40 फीसदी वोट पाने वाला प्रत्याशी विधायक बन जाता है, इसीलिए निषाद पार्टी ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है.
25 सीटों पर किस्मत आजमाएगी निषाद पार्टी : निषाद पार्टी के पदाधिकारी संजय सिह राजपूत का कहना है कि ''निषाद पार्टी छत्तीसगढ़ में चुनाव लड़ेगी, जिसमें 25 सीटों पर चुनाव लड़ने की अनुमति राष्ट्रीय अध्यक्ष से ली जाएगी. 2018 में भी 2 सीटों पर बेमेतरा और जांजगीर-चांपा में चुनाव लड़ा गया था. इस बार पहले से ज्यादा अच्छे तरीके से चुनाव लड़ने की तैयारी की जा रही है. उम्मीद है कि आगामी विधानसभा चुनाव में निषाद पार्टी बेहतर प्रदर्शन करेगी.''
तीसरे मोर्चे पर कांग्रेस की ये है राय : छत्तीसगढ़ की छोटी पार्टियों को लेकर प्रदेश सरकार का अपना रुख है. कांग्रेस के मुताबिक छत्तीसगढ़ के निर्माण से ही अलग दल बनाने की परंपरा शुरू हुई है. 2003 में विद्याचरण शुक्ल ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की, लेकिन सफलता नहीं मिली. अजीत जोगी ने छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस बनाई, जिसे पांच सीटें मिलीं. आम आदमी पार्टी की सभी सीटों पर जमानत जब्त हुई. ऐसे में तीसरे मोर्चे की छत्तीसगढ़ में उदय की संभावना नजर नहीं आती रही है. जनता बीजेपी और कांग्रेस पर ही भरोसा जताती है. यहां वोट काटने वालों की दुकान नहीं चलेगी.
छोटे दलों की सरकार से चल रही नाराजगी-भाजपा: छोटे दलों को लेकर भारतीय जनता पार्टी का कहना है कि आगामी विधानसभा चुनाव में कई दल चुनावी मैदान में उतरेंगे. इससे साफ है कि राज्य सरकार को सभी उखाड़ फेंकना चाहते हैं. कांग्रेस के शासन से कोई भी वर्ग खुश नहीं है. सरकार के कुशासन के कारण आम लोगों को मजबूरन चुनाव में उतरना पड़ रहा है. राज्य सरकार ने आदिवासियों को धोखा दिया, राज्य सरकार ने पुलिस और पुलिस परिवारों और छोटी छोटी जातियों को भी धोखा दिया. इसलिए अब सब एकजुट होकर सरकार के खिलाफ मुखर हो रहे हैं.
तीसरे मोर्चे का कितना असर : राजनीति के जानकार एवं वरिष्ठ पत्रकार उचित शर्मा का कहना है कि ''छोटी मोटी ऐसी राजनीतिक पार्टियां चुनाव के समय आती हैं. लेकिन उनका ज्यादा प्रभाव चुनाव पर देखने को नहीं मिलता है. छत्तीसगढ़ की बात की जाए तो जो चुनाव के समय कई पार्टी आई हैं, उनमें से 80% पार्टियां अगला चुनाव नहीं देख पाईं, ऐसा पुराना अनुभव रहा है. पुराने रिकॉर्ड की बात की जाए तो 80% वोट शेयर कांग्रेस और बीजेपी को ही जाता है. यदि 2018 विधानसभा चुनाव को छोड़ दिया जाए तो बाकी में एक दो परसेंट की मार्जिन के साथ हार जीत का फैसला होता है.
आदिपुरुष के डायलाग राइटर मनोज मुंतशिर हनुमान को नहीं मानते भगवान,सीएम भूपेश ने दी प्रतिक्रिया |
तीसरा मोर्चा की क्या है भागीदारी : उचित शर्मा के मुताबिक छत्तीसगढ़ में यदि थर्ड मोर्चा की बात की जाए तो 6 से 7 परसेंट वोट ही पाते हैंं. हर बार नई पार्टी चुनाव में आती है. 2003 में एनसीपी ने लगभग 7 पर्सेंट वोट पाया था. 2008 और 2013 की बात की जाए तो यहां बीएसपी को बड़ा वोट शेयर गया था. 2018 की बात की जाए तो जेसीसीजी ने बड़ा काम किया था. यदि नई तीन पार्टी सर्व आदिवासी समाज, आजाद जनता पार्टी और निषाद पार्टी की बात है तो ये सभी आंदोलन से निकली पार्टी है. इसलिए ये सफल हो, यह जरूरी नहीं है.