लखनऊ : लखीमपुर खीरी में प्रदर्शन के दौरान किसानों की मौत मामले में अब विपक्षी पार्टियां मोदी-योगी सरकार पर पूरी तरह हमलावर हो गई हैं. सोमवार को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री और यूपी चुनाव के लिये सीनियर ऑब्ज़र्वर नियुक्त किये गए भूपेश बघेल को लखीमपुर खीरी जाने की अनुमित नहीं दी गई. इतना ही नहीं उनके विमान को लखनऊ में उतरने ही नहीं दिया गया. बाद में बघेल ने दिल्ली के कांग्रेस मुख्यालय में मीडिया को संबोधित किया और प्रकरण में गृह राज्य मंत्री को बर्खास्त कर मुख्य आरोपी उनके बेटे पर हत्या का मुकदमा दर्ज किये जाने की मांग की. भूपेश बघेल ने मृतक किसानों के परिवार के लिये एक करोड़ रुपये मुआवजे और न्यायिक जांच की मांग भी की है.
भाजपा को अंग्रेजों से प्रेरित बताते हुए बघेल ने कहा कि विपक्ष के नेताओं को पीड़ित परिवारों से नहीं मिलने देना अमानवीय है और दर्शाता है कि भाजपा की सरकार किस तरह हर उस आवाज को दबाने का प्रयास करती है जो उनके विरोध में उठ रही हो.
तीन कृषि कानून के संसद में पारित होने के बाद कई राज्यों ने विधानसभा में कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पारित किये, जिसमें छत्तीसगढ़ भी शामिल है. भूपेश बघेल ने तत्काल तीन कृषि कानूनों को रद्द किये जाने की मांग की.
दूसरी तरफ यह खबर भी आ रही है कि गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा की तरफ से यह कहा गया है कि उनका बेटा घटनाक्रम में मौजूद ही नहीं था. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने कहा कि वहां मौजूद लोगों और पुलिस अधिकारी ने शुरुआत में ही यह पुष्टि कर दी थी कि गाड़ी में गृह राज्य मंत्री का बेटा मौजूद था. अब मंत्री का इससे इनकार करना, एक अपराधी को बचाने की कवायद हो सकती है. यदि ऐसा है तो उनके ऊपर भी मुकदमा दर्ज होना चाहिये.
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बघेल ने आगे कहा कि उत्तर प्रदेश में लखीमपुर खीरी जाने वाले ज्यादातर नेताओं को या तो नजरबंद कर दिया गया है या हिरासत में लिया गया है. योगी सरकार को यह बताना चाहिये कि क्या उत्तर प्रदेश में आम नागरिकों के अधिकार छीन लिये गए हैं. बीजेपी के मुख्यमंत्री खट्टर का बयान कि 'किसानों को लाठी मारो' और उससे पहले गृह राज्यमंत्री का भी बयान आया था कि 'सुधर जाओ नहीं तो सुधार देंगे' ये साबित करते हैं कि भाजपा किसानों को पसंद नहीं करती.