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Fuel shortages in France : ईंधन के लिए लंबी कतारें, एक-दूसरे पर हमला कर रहे लोग !

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Published : Oct 13, 2022, 7:06 PM IST

रूस और यूक्रेन युद्ध की वजह से यूरोपीय देशों में ऊर्जा संकट बढ़ता जा रहा है. सबसे अधिक खराब स्थिति फ्रांस की है. यहां पर हड़ताल ने स्थिति को और भी जटिल बना दिया है. संकट में समय में कंपनी कर्मचारी वेतन बढ़ाने की मांग को लेकर हड़ताल पर चले गए हैं. इसका असर ये हुआ कि पेट्रोल पंप पर लंबी-लंबी कतारें हैं. ईंधन पाने के लिए लोग झगड़े कर रहे हैं. एक दूसरे पर हमला भी कर रहे हैं. सरकार ऊर्जा बचाने का आह्वान कर रही है. यूरोप के दूसरे देशों में भी बहुत कुछ ऐसी ही स्थिति बनती जा रही है.

france long queue
ईंधन के लिए लंबी लाइन फ्रांस में

नई दिल्ली : रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की वजह से यूरोप में ऊर्जा संकट खड़ा हो गया है. यूरोपीय देशों में ईंधन की समस्या उत्पन्न हो गई है. दरअसल, यूरोपीय देश ईंधन के लिए रूस पर निर्भर हैं. उन्हें अभी तक रूस से निर्बाध सप्लाई की जा रही थी. वह भी कम कीमत पर. लेकिन युद्ध ने पूरे क्षेत्र की तस्वीर बदल दी. ऊपर से अमेरिका का रवैया भी यूरोपीय देशों को परेशान कर रहा है.

  • ‼️🇫🇷 The fuel crisis in France has caused huge queues at gas stations in and around Paris… Three of the 6 oil refineries in France are currently closed due to strikes by workers that have reduced production by 60%, equivalent to 740,000 barrels of gasoline a day… #France pic.twitter.com/sA6Fv6qRXn

    — Maimunka News (@Tb4O2u9c7MmZPmR) October 9, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

पश्चिमी यूरोप के अधिकांश देश मानते हैं कि रूस ने यूक्रेन पर हमला किया है. लिहाजा, रूस पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए. अमेरिका और यूरोप के देशों ने रूस पर कई तरह के प्रतिबंधों की घोषणा भी कर दी. बावजूद रूस पर कोई असर नहीं पड़ा. यूरोपीय देश अभी भी रूस से तेल खरीद रहे हैं. फिर भी संकट गहराता जा रहा है. इसकी वजह है- ऊर्जा की मांग में बढ़ोतरी. ऊर्जा की मांग में बढ़ोतरी के मुख्य कारण- ठंड और कोरोना काल के बाद इकोनोमी में आई नई गति है. इसकी वजह से ईंधन की मांग पहले के मुकाबले बढ़ गई है. सबसे अधिक खराब स्थिति फ्रांस की है. ऐसे समय में जबकि ऊर्जा संकट से पूरा यूरोप प्रभावित है, फ्रांस में हड़ताल ने स्थिति और विकट कर दी है

कई जगहों पर लंबी-लंबी कतारें देखी जा रहीं हैं. लोग पहले ईंधन पाने के लिए एक दूसरे से लड़ाई लड़ रहे हैं. वे एक दूसरे पर हमला कर दे रहे हैं. फ्रांस में पेट्रोल की आपूर्ति प्रभावित हुई है, जिसके कारण प्रमुख शहरों के बाहर कारों की लंबी कतारें लग गई हैं. तेल की दिग्गज कंपनियां टोटल एनर्जींज और एक्सॉनमोबिल द्वारा संचालित रिफाइनरियों में वेतन हड़ताल के कारण पेट्रोल की आपूर्ति प्रभावित हुई है. एक रिपोर्ट में कहा गया है कि हड़तालों का नेतृत्व वामपंथी सीजीटी यूनियन कर रहे हैं, जो जीवन की लागत के संकट के दौरान बेहतर वेतन की मांग कर रहे हैं और इन कंपनियों के मुनाफे में हिस्सेदारी के लिए भी आग्रह कर रहे हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि दक्षिण-पूर्व में हाउते-सावोई में पहले कौन तेल भरे, इसको लेकर झगड़ा हो गया. कुछ जगहों पर लोग आपस में ही उलझ पड़े. फ्रांसीसी रिफाइनरी उत्पादन में 60% से अधिक की गिरावट आई है.

टोटलएनर्जी की कई रिफाइनरियां हैं, लेकिन तीन मुख्य रिफाइनरियां अवरुद्ध हैं. नॉरमैंडी में टोटल की सबसे बड़ी रिफाइनरी उत्तर में फ़्लैंडर्स के पास एक ईंधन डिपो के साथ अवरुद्ध है. नाकाबंदी करीब दो हफ्ते पहले शुरू हुई थी. टोटल पर श्रमिक संघ सीजीटी के नेतृत्व में हड़तालें कम से कम दो सप्ताह से चल रही हैं, जबकि एक्सॉनमोबिल श्रमिक विरोध ने प्रबंधन और संघ के बीच बातचीत शुरू करने के लिए मजबूर किया, जो अब हफ्तों से चल रही है. लंबी कतारों ने वाहन चालकों को घंटों तक इंतजार करने के लिए मजबूर किया क्योंकि ड्राइवरों ने अपनी कार के लिए ईंधन मांगा. पेरिस के आसपास के आइल-डी-फ़्रांस क्षेत्र में कतारें प्रमुख थीं और उत्तरी फ़्रांस में भी कतारें देखी गईं.

उत्पादक समूह एसएनएफएस ने कहा कि फ्रांस ने चीनी उत्पादकों के लिए रणनीतिक ईंधन भंडार जारी किया, क्योंकि उन्होंने चेतावनी दी थी कि चुकंदर की कटाई पर डीजल की कमी से कारखाने बंद हो सकते हैं. फ्रांस की सबसे बड़ी चीनी निर्माता टेरियोस ने पिछले महीने कहा था कि उसे कुछ कारखानों में उत्पादन धीमा करना पड़ा क्योंकि टोटल ने कहा कि वह डीजल की आपूर्ति करने में असमर्थ होगी. इसने रणनीतिक स्टॉक रिलीज पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. चीनी कारखाने, जो आमतौर पर फ्रांस में सितंबर से जनवरी के अंत या फरवरी की शुरुआत में चलते हैं, उन किसानों पर निर्भर हैं जिनके पास चुकंदर की कटाई के लिए पर्याप्त ईंधन है और इसे संसाधित करने के लिए एक कारखाने में ले जाया जाता है.

फ्रांस ने क्या ढूंढा समाधान - फ्रांस की रिफाइनिंग क्षमता का 60% से अधिक हड़तालों द्वारा ऑफ़लाइन ले लिया गया है, डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है और देश को ईंधन के आयात में वृद्धि करने के लिए प्रेरित किया गया है. संकट को लेकर राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने देश से फ्रांस, यूरोप और पूरी दुनिया के विभिन्न संकटों का सामना करने का आह्वान किया है. मैक्रों ने कहा कि देश का लक्ष्य जनवरी 2023 तक 45 परमाणु रिएक्टरों के संचालन के लिए परमाणु रिएक्टरों का निर्माण फिर से शुरू करना है, जबकि आज 56 में से 30 चालू हैं. मैक्रोन ने संकटों का सामना करने के लिए तीन अक्ष का नाम दिया, ऊर्जा की खपत को कम करना, अधिक परमाणु ऊर्जा का उत्पादन करना और नवीकरणीय ऊर्जा का विकास करना. रिफाइनरियों में हड़ताल के कारण पूरे फ्रांस में ईंधन की कमी की बात करते हुए मैक्रों ने वादा किया कि आने वाले सप्ताह में सर्विस स्टेशनों की स्थिति सामान्य हो जाएगी.

फ्रांस की प्रधानमंत्री एलिजाबेथ बोर्न ने स्थानीय अधिकारियों को देश भर के सर्विस स्टेशनों पर पेट्रोल की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कर्मचारियों को बुलाने का आदेश दिया है क्योंकि फ्रांस टोटलएनर्जीज और एक्सॉनमोबिल द्वारा संचालित तेल रिफाइनरियों की किल्लतों से जूझ रहा है. बॉर्न के अनुसार, देश के 30 प्रतिशत गैस स्टेशनों में पहले से ही ईंधन खत्म हो चुका है, ग्रेटर पेरिस क्षेत्र सबसे बुरी तरह प्रभावित है. टोटल एनर्जी और जनरल कन्फेडरेशन ऑफ लेबर बातचीत शुरू करने के लिए सहमत हुए लेकिन कोई समझौता नहीं हुआ.

बोर्न ने नेशनल असेंबली को बताया, 'एक वेतन असहमति देश को अवरुद्ध करने का औचित्य नहीं है.' चर्चा करने से इंकार करने का अर्थ है फ्रांसीसी को संवाद के अभाव का शिकार बनाना. स्ट्राइकरों की कार्रवाईयों के कारण ईंधन की आपूर्ति में कमी आई है, जिससे ईंधन की कमी और लंबे समय तक प्रतीक्षा करने का डर पैदा हो गया है. हड़ताल से स्कूल बस परिवहन भी प्रभावित हुआ. फ्रांस के ऊर्जा संक्रमण मंत्री एग्नेस पैनियर-रनचर ने कई सर्विस स्टेशनों में कीमतों में हेराफेरी की चेतावनी दी. उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर कहा,'ईंधन आपूर्ति तनाव कई सर्विस स्टेशनों पर बढ़ती कीमतों को सही नहीं ठहराता है. हम कीमतों को कृत्रिम रूप से बढ़ाने की अनुमति नहीं देंगे.'

क्या है रूस का पक्ष - रूस के राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन ने कहा है कि ऊर्जा संकट के लिए यूरोपीय देश जिम्‍मेदार हैं और उन्होंने ही तेल और गैस उद्योग में निवेश न करने की नीति बना रखी है. रूस में ऊर्जा फोरम को संबोधित करते हुए राष्‍ट्रपति पुतिन ने कहा है कि कीमतों को सीमित करने से संकट और गहरा जाएगा, क्‍योंकि यूरोपीय संघ के देशों ने बढते ऊर्जा मूल्यों पर नियंत्रण के लिए गठजोड किया हुआ है. पुतिन ने कहा कि रूस से यूरोप को तेल और गैस की आपूर्ति की नॉरद स्‍ट्रीम-दो पाइपलाइन में रिसाव अंतर्राष्‍ट्रीय आतंकवाद की कार्रवाई है. इसका उद्देश्‍य किफायती ऊर्जा से लोगों को वंचित रखना है. उन्‍होंने कहा कि नॉरद स्‍ट्रीम-दो की पाइपलाइन का कुछ भाग अब भी चालू है जिससे गैस की आपूर्ति की जा सकती है. अब यह यूरोपीय संघ पर निर्भर है कि वो इस गैस की आपूर्ति चाहता है या नहीं. रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद जर्मनी ने नॉरद स्‍ट्रीम-दो परियोजना रद्द कर दी थी.

नई दिल्ली : रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की वजह से यूरोप में ऊर्जा संकट खड़ा हो गया है. यूरोपीय देशों में ईंधन की समस्या उत्पन्न हो गई है. दरअसल, यूरोपीय देश ईंधन के लिए रूस पर निर्भर हैं. उन्हें अभी तक रूस से निर्बाध सप्लाई की जा रही थी. वह भी कम कीमत पर. लेकिन युद्ध ने पूरे क्षेत्र की तस्वीर बदल दी. ऊपर से अमेरिका का रवैया भी यूरोपीय देशों को परेशान कर रहा है.

  • ‼️🇫🇷 The fuel crisis in France has caused huge queues at gas stations in and around Paris… Three of the 6 oil refineries in France are currently closed due to strikes by workers that have reduced production by 60%, equivalent to 740,000 barrels of gasoline a day… #France pic.twitter.com/sA6Fv6qRXn

    — Maimunka News (@Tb4O2u9c7MmZPmR) October 9, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

पश्चिमी यूरोप के अधिकांश देश मानते हैं कि रूस ने यूक्रेन पर हमला किया है. लिहाजा, रूस पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए. अमेरिका और यूरोप के देशों ने रूस पर कई तरह के प्रतिबंधों की घोषणा भी कर दी. बावजूद रूस पर कोई असर नहीं पड़ा. यूरोपीय देश अभी भी रूस से तेल खरीद रहे हैं. फिर भी संकट गहराता जा रहा है. इसकी वजह है- ऊर्जा की मांग में बढ़ोतरी. ऊर्जा की मांग में बढ़ोतरी के मुख्य कारण- ठंड और कोरोना काल के बाद इकोनोमी में आई नई गति है. इसकी वजह से ईंधन की मांग पहले के मुकाबले बढ़ गई है. सबसे अधिक खराब स्थिति फ्रांस की है. ऐसे समय में जबकि ऊर्जा संकट से पूरा यूरोप प्रभावित है, फ्रांस में हड़ताल ने स्थिति और विकट कर दी है

कई जगहों पर लंबी-लंबी कतारें देखी जा रहीं हैं. लोग पहले ईंधन पाने के लिए एक दूसरे से लड़ाई लड़ रहे हैं. वे एक दूसरे पर हमला कर दे रहे हैं. फ्रांस में पेट्रोल की आपूर्ति प्रभावित हुई है, जिसके कारण प्रमुख शहरों के बाहर कारों की लंबी कतारें लग गई हैं. तेल की दिग्गज कंपनियां टोटल एनर्जींज और एक्सॉनमोबिल द्वारा संचालित रिफाइनरियों में वेतन हड़ताल के कारण पेट्रोल की आपूर्ति प्रभावित हुई है. एक रिपोर्ट में कहा गया है कि हड़तालों का नेतृत्व वामपंथी सीजीटी यूनियन कर रहे हैं, जो जीवन की लागत के संकट के दौरान बेहतर वेतन की मांग कर रहे हैं और इन कंपनियों के मुनाफे में हिस्सेदारी के लिए भी आग्रह कर रहे हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि दक्षिण-पूर्व में हाउते-सावोई में पहले कौन तेल भरे, इसको लेकर झगड़ा हो गया. कुछ जगहों पर लोग आपस में ही उलझ पड़े. फ्रांसीसी रिफाइनरी उत्पादन में 60% से अधिक की गिरावट आई है.

टोटलएनर्जी की कई रिफाइनरियां हैं, लेकिन तीन मुख्य रिफाइनरियां अवरुद्ध हैं. नॉरमैंडी में टोटल की सबसे बड़ी रिफाइनरी उत्तर में फ़्लैंडर्स के पास एक ईंधन डिपो के साथ अवरुद्ध है. नाकाबंदी करीब दो हफ्ते पहले शुरू हुई थी. टोटल पर श्रमिक संघ सीजीटी के नेतृत्व में हड़तालें कम से कम दो सप्ताह से चल रही हैं, जबकि एक्सॉनमोबिल श्रमिक विरोध ने प्रबंधन और संघ के बीच बातचीत शुरू करने के लिए मजबूर किया, जो अब हफ्तों से चल रही है. लंबी कतारों ने वाहन चालकों को घंटों तक इंतजार करने के लिए मजबूर किया क्योंकि ड्राइवरों ने अपनी कार के लिए ईंधन मांगा. पेरिस के आसपास के आइल-डी-फ़्रांस क्षेत्र में कतारें प्रमुख थीं और उत्तरी फ़्रांस में भी कतारें देखी गईं.

उत्पादक समूह एसएनएफएस ने कहा कि फ्रांस ने चीनी उत्पादकों के लिए रणनीतिक ईंधन भंडार जारी किया, क्योंकि उन्होंने चेतावनी दी थी कि चुकंदर की कटाई पर डीजल की कमी से कारखाने बंद हो सकते हैं. फ्रांस की सबसे बड़ी चीनी निर्माता टेरियोस ने पिछले महीने कहा था कि उसे कुछ कारखानों में उत्पादन धीमा करना पड़ा क्योंकि टोटल ने कहा कि वह डीजल की आपूर्ति करने में असमर्थ होगी. इसने रणनीतिक स्टॉक रिलीज पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. चीनी कारखाने, जो आमतौर पर फ्रांस में सितंबर से जनवरी के अंत या फरवरी की शुरुआत में चलते हैं, उन किसानों पर निर्भर हैं जिनके पास चुकंदर की कटाई के लिए पर्याप्त ईंधन है और इसे संसाधित करने के लिए एक कारखाने में ले जाया जाता है.

फ्रांस ने क्या ढूंढा समाधान - फ्रांस की रिफाइनिंग क्षमता का 60% से अधिक हड़तालों द्वारा ऑफ़लाइन ले लिया गया है, डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है और देश को ईंधन के आयात में वृद्धि करने के लिए प्रेरित किया गया है. संकट को लेकर राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने देश से फ्रांस, यूरोप और पूरी दुनिया के विभिन्न संकटों का सामना करने का आह्वान किया है. मैक्रों ने कहा कि देश का लक्ष्य जनवरी 2023 तक 45 परमाणु रिएक्टरों के संचालन के लिए परमाणु रिएक्टरों का निर्माण फिर से शुरू करना है, जबकि आज 56 में से 30 चालू हैं. मैक्रोन ने संकटों का सामना करने के लिए तीन अक्ष का नाम दिया, ऊर्जा की खपत को कम करना, अधिक परमाणु ऊर्जा का उत्पादन करना और नवीकरणीय ऊर्जा का विकास करना. रिफाइनरियों में हड़ताल के कारण पूरे फ्रांस में ईंधन की कमी की बात करते हुए मैक्रों ने वादा किया कि आने वाले सप्ताह में सर्विस स्टेशनों की स्थिति सामान्य हो जाएगी.

फ्रांस की प्रधानमंत्री एलिजाबेथ बोर्न ने स्थानीय अधिकारियों को देश भर के सर्विस स्टेशनों पर पेट्रोल की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कर्मचारियों को बुलाने का आदेश दिया है क्योंकि फ्रांस टोटलएनर्जीज और एक्सॉनमोबिल द्वारा संचालित तेल रिफाइनरियों की किल्लतों से जूझ रहा है. बॉर्न के अनुसार, देश के 30 प्रतिशत गैस स्टेशनों में पहले से ही ईंधन खत्म हो चुका है, ग्रेटर पेरिस क्षेत्र सबसे बुरी तरह प्रभावित है. टोटल एनर्जी और जनरल कन्फेडरेशन ऑफ लेबर बातचीत शुरू करने के लिए सहमत हुए लेकिन कोई समझौता नहीं हुआ.

बोर्न ने नेशनल असेंबली को बताया, 'एक वेतन असहमति देश को अवरुद्ध करने का औचित्य नहीं है.' चर्चा करने से इंकार करने का अर्थ है फ्रांसीसी को संवाद के अभाव का शिकार बनाना. स्ट्राइकरों की कार्रवाईयों के कारण ईंधन की आपूर्ति में कमी आई है, जिससे ईंधन की कमी और लंबे समय तक प्रतीक्षा करने का डर पैदा हो गया है. हड़ताल से स्कूल बस परिवहन भी प्रभावित हुआ. फ्रांस के ऊर्जा संक्रमण मंत्री एग्नेस पैनियर-रनचर ने कई सर्विस स्टेशनों में कीमतों में हेराफेरी की चेतावनी दी. उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर कहा,'ईंधन आपूर्ति तनाव कई सर्विस स्टेशनों पर बढ़ती कीमतों को सही नहीं ठहराता है. हम कीमतों को कृत्रिम रूप से बढ़ाने की अनुमति नहीं देंगे.'

क्या है रूस का पक्ष - रूस के राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन ने कहा है कि ऊर्जा संकट के लिए यूरोपीय देश जिम्‍मेदार हैं और उन्होंने ही तेल और गैस उद्योग में निवेश न करने की नीति बना रखी है. रूस में ऊर्जा फोरम को संबोधित करते हुए राष्‍ट्रपति पुतिन ने कहा है कि कीमतों को सीमित करने से संकट और गहरा जाएगा, क्‍योंकि यूरोपीय संघ के देशों ने बढते ऊर्जा मूल्यों पर नियंत्रण के लिए गठजोड किया हुआ है. पुतिन ने कहा कि रूस से यूरोप को तेल और गैस की आपूर्ति की नॉरद स्‍ट्रीम-दो पाइपलाइन में रिसाव अंतर्राष्‍ट्रीय आतंकवाद की कार्रवाई है. इसका उद्देश्‍य किफायती ऊर्जा से लोगों को वंचित रखना है. उन्‍होंने कहा कि नॉरद स्‍ट्रीम-दो की पाइपलाइन का कुछ भाग अब भी चालू है जिससे गैस की आपूर्ति की जा सकती है. अब यह यूरोपीय संघ पर निर्भर है कि वो इस गैस की आपूर्ति चाहता है या नहीं. रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद जर्मनी ने नॉरद स्‍ट्रीम-दो परियोजना रद्द कर दी थी.

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