कोट्टायम (केरल) : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने यहां कहा कि अगर सभी परीक्षण सफल रहे तो चंद्रमा की सतह पर उतरने के भारत के महत्वाकांक्षी मिशन 'चंद्रयान-3' का 12 से 19 जुलाई के बीच प्रक्षेपण किया जाएगा. इसरो द्वारा कोथावारा सेंट जेवियर्स कॉलेज में आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला और अंतरिक्ष प्रदर्शनी का उद्घाटन करने के बाद सोमनाथ ने मीडिया से कहा कि चंद्रयान पहले ही यू आर राव उपग्रह केंद्र से श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में प्रक्षेपण पैड पर पहुंच चुका है.
सोमनाथ ने कहा, "अंतिम तैयारी चल रही है. इसे इस महीने के अंत तक पूरा कर लिया जाएगा. वहीं, इस प्रक्षेपण के लिए रॉकेट, एलवीएम-3 का इस्तेमाल किया जाएगा. इसके लिए सभी पुर्जे श्रीहरिकोटा पहुंच गए हैं." उन्होंने कहा कि रॉकेट के पुर्जों को जोड़ने का काम भी इस महीने के अंत तक पूरा हो जाएगा और फिर चंद्रयान-3 को रॉकेट से जोड़ने की प्रक्रिया होगी. उन्होंने कहा कि यह भी जून के अंतिम सप्ताह में किया जाएगा और इसके बाद कई परीक्षण होंगे.
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सोमनाथ ने कहा, "12 से 19 जुलाई के बीच प्रक्षेपण के लिए अनुकूल स्थिति है और हम इसे केवल तभी प्रक्षेपित कर सकते हैं. हम इसे बाद में भी कर सकते हैं लेकिन हमें ईंधन का नुकसान होगा." हालांकि, उन्होंने कहा कि प्रक्षेपण संबंधित अवधि के दौरान तभी किया जाएगा जब सभी परीक्षण सफल हो जाएंगे.
चंद्रयान-3 इसरो के कंपन परीक्षण सफल : बता दें कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अनुसार, मार्च 2023 के पहले सप्ताह के दौरान बेंगलुरु के यूआर राव सैटेलाइट सेंटर में चंद्रयान-3 'चंद्रमा अंतरिक्ष यान' की जांच के लिए परीक्षण किए गए थे. ये परीक्षण किसी भी अंतरिक्ष यान के लिए योग्यता और स्वीकृति प्रक्रिया का एक अनिवार्य हिस्सा हैं. ये परीक्षण विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण थे, इस तथ्य पर विचार करते हुए कि चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान तीन मॉड्यूलों का एक संयोजन हैं, जिसमें प्रणोदन मॉड्यूल, लैंडर मॉड्यूल और रोवर मॉड्यूल शामिल है. इसरो ने कहा कि एकीकृत अंतरिक्ष यान पर किए गए कंपन और ध्वनिक परीक्षणों ने लॉन्च पर्यावरण में संरचनात्मक अखंडता और उत्तरजीविता पर पर्याप्त विश्वास प्रदान किया है.
(पीटीआई-भाषा)